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'पिता जी से पैसे लेकर सड़कें बनवाईं...', अखिलेश के बयान पर भावुक हुए केशव मौर्य, बोले- पिता का अपमान किया

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि मेरे पिता नहीं हैं, अखिलेश के इस बयान से मैं काफी आहत हूं. सदन में इस तरीके का व्यवहार अखिलेश को शोभा नहीं देता.

यूपी विधानसभा के बजट सत्र के दौरान केशव प्रसाद मौर्य यूपी विधानसभा के बजट सत्र के दौरान केशव प्रसाद मौर्य
अभिषेक मिश्रा
  • लखनऊ,
  • 26 मई 2022,
  • अपडेटेड 12:10 PM IST
  • यूपी विधानसभा का तू-तड़ाक मामला सुर्खियों में है
  • सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी इसपर बयान दिया था

यूपी विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच तू-तड़ाक का मामला सुर्खियों में है. इस मामले पर आजतक से बात करते हुए डिप्टी सीएम केशव मौर्य भावुक हो गए. केशव मौर्य ने कहा कि अखिलेश यादव ने मेरे दिवंगत पिता का अपमान किया है. 

डिप्टी सीएम ने कहा कि मेरे पिता नहीं हैं, उनके इस बयान से मैं काफी आहत हूं. सदन में इस तरीके का व्यवहार अखिलेश यादव को शोभा नहीं देता. केशव मौर्य ने कहा कि मैंने सिर्फ उप नेता होने के नाते अपनी बात सदन में रखी थी, लेकिन नेता प्रतिपक्ष का व्यवहार बिल्कुल भी संसदीय और शिष्टाचार के अनुरूप नहीं था.

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क्यों हुआ था सदन में हंगामा?

दरअसल, बुधवार को विधानसभा में अखिलेश यादव ने डिप्टी सीएम से सवाल किया था कि आपके जिले के मुख्यालय की सड़क किसने बनवाई? इसके जवाब में केशव मौर्य ने पिछली सपा सरकार को घेरते हुए कहा था कि जो लोग सड़क, एक्सप्रेस-वे जैसी बातें करते हैं. ऐसा लगता है जैसे इन्होंने सैफई बेच कर ये सब करवाया हो.

केशव मौर्य के इस बयान पर अखिलेश भड़क गए. उन्होंने पलटवार करते हुए कहा, 'तुम अपने पिता जी से लाते हो ये सब बनवाने के लिए...' इस पर विधानसभा में माहौल काफी गर्म हो गया. 

इस घमासान के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ को जवाब देना पड़ा. सीएम योगी ने कहा कि सदन में अशोभनीय शब्दों का इस्तेमाल सही नहीं है. आप और हम सब जनता के लिए विकास करते हैं. उप-मुख्यमंत्री सही बोल रहे थे. सबको अपनी बात रखने का अधिकार है. सीएम ने कहा कि आप भाषा को लेकर असहमति जता सकते हैं. सदन में तू-तू, मैं-मैं नहीं होना चाहिए. 

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उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री के प्रति इस तरह की भाषा गरिमापूर्ण नहीं होती. जिस तरह से आचरण करेंगे, उसका जवाब मिलना तय है. सहमति-असहमति हो सकती है, लेकिन असभ्य भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए. नेता प्रतिपक्ष की भी बहुत सारी बातें जिस पर आपत्ति कर सकते हैं, लेकिन इस सदन की गरिमा को हमने बरकरार रखा. 

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