Advertisement

UP: चार दशक के बाद बाहुबली मुक्त हुई नौतनवा की सियासत, पहली बार जीती BJP

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले की नौतनवा विधानसभा सीट पर दो बाहुबलियों की लड़ाई में तीसरे ने बाजी मार ली है. भाजपा-निषाद पार्टी के गठबंधन प्रत्याशी ऋषि त्रिपाठी ने 40 वर्षो के मिथक को तोड़ दिया है.

जीत का सर्टिफिकेट लेते ऋषि त्रिपाठी जीत का सर्टिफिकेट लेते ऋषि त्रिपाठी
अमितेश त्रिपाठी
  • महराजगंज,
  • 11 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 10:47 AM IST
  • नौतनवा सीट से जीते ऋषि त्रिपाठी
  • अमनमणि पहुंचे तीसरे नंबर पर

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले की नौतनवा विधानसभा सीट पर पहली बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की जीत हुई है. यहां भाजपा-निषाद पार्टी के गठबंधन प्रत्याशी ऋषि त्रिपाठी ने अपने निकटवर्ती समाजवादी पार्टी (सपा) प्रत्याशी कुंवर कौशल सिह उर्फ मुन्ना सिंह को 15870 वोटों से हराया है. 

ऋषि त्रिपाठी को 90122 मत मिले और सपा प्रत्याशी मुन्ना सिंह को 74252 मत. वहीं नौतनवा विधानसभा से विधायक और कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में पत्नी मधुमणि समेत आजीवन कारावास की सजा काट रहे बाहुबली नेता पूर्व कैबिनेट मंत्री अमर मणि त्रिपाठी के बेटे अमन मणि 45963 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे.

Advertisement

वीरेंद्र प्रताप शाही से शुरू हुआ सफर

अस्सी के दशक में इस विधानसभा की पहचान लक्ष्मीपुर विधानसभा के रूप में थी. तब पहली बार छात्र राजनीति से उभरे बाहुबली नेता वीरेन्द्र प्रताप शाही ने लक्ष्मीपुर से विधानसभा की सियासत में कदम रखा. उनको अखिलेश सिंह का साथ मिला. निर्दल प्रत्याशी के रूप में वीरेन्द्र प्रताप शाही पहली बार अमर मणि को शिकस्त देकर विधायक बने.

उस चुनाव में श्रीपद अमृत डांगे वाली कम्युनिस्ट पार्टी से गठबंधन के टिकट पर अमर मणि चुनाव लड़े थे. पांच साल बाद 1985 के चुनाव में वीरेन्द्र प्रताप शाही को लगातार निर्दल प्रत्याशी के रूप में जीत मिली. रेलवे के ठेकों को लेकर शिव प्रकाश शुक्ल ने वीरेन्द्र प्रताप शाही की हत्या कर दी. उसके बाद 1989 में अमरमणि लक्ष्मीपुर से विधानसभा चुनाव में उतरे.

अमरमणि ने लगाई जीत की हैट्रिक

Advertisement

1989 में अमरमणि त्रिपाठी पहली बार विधायक बने, लेकिन साल 1991 के चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार कुंवर कौशल सिंह से अमर मणि चुनाव हार गए. 1993 के चुनाव में कुंवर कौशल सिंह समाजवादी पार्टी के टिकट पर लगातार दूसरी बार चुनाव जीत विधायक बने. उसके बाद लगातार तीन चुनाव 1996, 2002 व 2007 के चुनाव में अमर मणि कांग्रेस, बसपा व सपा के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत की हैट्रिक लगाई.

परसीमन के बाद सोलहवीं विधानसभा में लक्ष्मीपुर विधानसभा क्षेत्र का नाम परिवर्तित कर नौतनवा कर दिया गया. मधुमिता हत्याकांड में अमर मणि जेल में कैद हो गए. 2012 में अमर मणि अपने पुत्र अमन मणि को सपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतारा, लेकिन वह कुंवर अखिलेश सिंह के छोटे भाई कुंवर कौशल सिंह उर्फ मुन्ना सिंह से चुनाव हार गए.

कुंवर कौशल सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे. जीत के बाद कुंवर कौशल सिंह की आस्था सपा में हो गई. 2017 में सपा के टिकट पर कुंवर कौशल सिंह चुनावी मैदान में उतरे. उनके मुकाबले निर्दल प्रत्याशी के रूप में जेल में बंद रहते हुए अमन मणि ने ताल ठोंक दिया. बहनों ने प्रचार की कमान संभाली, जिसमें अमन मणि को जीत हासिल हुई.

Advertisement

सियासत की मंडी में फीकी पड़ी मणि की चमक

महराजगंज की नौतनवा विधानसभा उन चर्चित सीटों में से एक है, जिसपर पूरे देश की नजर बनी रहती है. इस सीट पर कभी कमल नहीं खिला और दो बाहुबलियों के बीच हार-जीत होती रही है, लेकिन इस बार के नतीजों ने इतिहास पलट दिया और भाजपा निषाद पार्टी के प्रत्याशी ऋषि त्रिपाठी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की.

इस सीट पर कभी मणि परिवार का दबदबा रहा है. 2017 का विधानसभा चुनाव अपनी पत्नी सारा हत्याकांड में जेल में रहते हुए अमन मणि त्रिपाठी ने चुनाव जीता था लेकिन सियासत की मंडी में जब चमक फीकी पड़ी और जनाधार खिसका तो अमन मणि तीसरे स्थान पर पहुंच गए. 2022 के चुनाव में वह बसपा के टिकट पर लड़कर भी तीसरे नंबर पर रहे.

काम आया केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी का सोशल इंजीनियरिंग

महराजगंज के सांसद और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सबसे ज्यादा जोर नौतनवा विधानसभा पर ही लगाया था और नौतनवा में लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक सभाएं की थी, जिसका असर विधानसभा चुनाव में साफ दिखा. पहले राउंड से ही बीजेपी के ऋषि त्रिपाठी ने जो बढ़त बनाना शुरु किया वो बढ़ता ही गया और उनकी जीत हुई.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement