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चुनावी साल से पहले सरकार का बड़ा फैसला, उत्तर प्रदेश में नहीं बढ़ेंगी बिजली की दरें

उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (यूपीईआरसी) ने गुरुवार को वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए बिजली दरों को अपरिवर्तित रखने का ऐलान किया है.

उत्तर प्रदेश में नहीं बढ़ेंगी बिजली की दरें. (सांकेतिक तस्वीर) उत्तर प्रदेश में नहीं बढ़ेंगी बिजली की दरें. (सांकेतिक तस्वीर)
अभिषेक मिश्रा
  • लखनऊ,
  • 30 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 9:42 AM IST
  • यूपी के करोड़ों उपभोक्ताओं को राहत
  • बिजली की दरों में नहीं होगा इजाफा
  • बिजली कम्पनियों को सरकार से झटका

उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (यूपीईआरसी) ने गुरुवार को ऐलान किया है कि राज्य में बिजली की दरें इस साल भी नहीं बढ़ेंगी. मौजूदा टैरिफ 2021-22 में सभी उपभोक्ता श्रेणियों के लिए पुरानी दरें ही लागू रहेंगी. जहां बिजली कम्पनियों के लिए इसे झटके के तौर पर देखा जा रहा है, वहीं उपभोक्ताओं के लिए यह राहतभरी खबर है.

बिजली कम्पनियों ने स्लैब परिवर्तन और रेगुलेटरी असेट के आधार पर बिजली की दरों में 10 से 12 प्रतिशत के इजाफे का प्रस्ताव रखा था, जिसे उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन ने पूरी तरह से खारिज कर दिया. दावा किया जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव भी बिजली की महंगाई रोकना का एक कारण हो सकते हैं.

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इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के अध्यक्ष आरपी सिंह और सदस्य केके शर्मा और वीके श्रीवास्तव की बेंच ने गुरुवार को राज्य के बिजली वितरण निगमों की ओर से 2021-22 के लिए ऐनुअल रेवेन्यू रिक्वायरमेंट (एआरआर) दायर की और परिवर्तन याचिका पर फैसला सुनाते हुए एक टैरिफ आदेश जारी किया है.

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2019-20 में बढ़ी थी बिजली की दरें

49 हजार करोड़ रुपये से अधिक की रेगुलेटरी असेट वाली बिजली कंपनियों को भी इस वर्ष लगभग 1,059 करोड़ रुपये का उपभोक्ता शुल्क लगेगा. सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में केवल एक बार बिजली दरों में वृद्धि की थी. आयोग ने अपने आदेश में कहा कि सभी बिजली कंपनियों के मौजूदा गैप/सरप्लस की स्थिति के चलते 2021-22 में पिछले साल की तरह ही दरें बरकरार रखी जाएंगी. 

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उपभोक्ताओं पर नहीं होगा स्मार्ट मीटर का बोझ

आयोग ने बिजली कंपनी टैरिफ श्रेणियों और उपश्रेणियों (स्लैब) के साथ-साथ नियामक संपत्तियों को रेशनलाइज करने की योजना को खारिज कर दिया है. आयोग ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा कि स्मार्ट मीटर से जुड़ी कोई भी कीमत का बोझ उपभोक्ताओं पर नहीं डाली जाएगी. पहले से स्वीकृत स्मार्ट मीटर रोलआउट योजना को बिलिंग और रेवेन्यू कलेक्शन की क्षमता को बढ़ाने पर जोर देना था.

किसानों को भी राहत

 रेगुलेटरी कमीशन ने अपने टैरिफ पर दिए गए फैसले में कहा है कि अगर ग्रामीण इलाकों में किसानों के निजी नलकूपों पर मीटर लग भी जाते हैं, तो बिना मीटर के श्रेणी दर केवल 170 रुपये प्रति हॉर्स पावर प्रति माह होगी. रेगुलेटरी कमीश की 2021-22 की बिजली दरें अगस्त के दूसरे सप्ताह से लागू हो सकती हैं. 

टैरिफ आदेश को प्रकाशित करने की केवल कानूनी औपचारिकता पूरी की जानी बाकी है. टैरिफ प्रकाशित होने के सात दिन बाद प्रभावी हो जाएंगे. 2003 के विद्युत अधिनियम के नियमों के अनुसार, टैरिफ आदेश जारी होने के तीन दिनों के भीतर सार्वजनिक किया जाना चाहिए, और दरें प्रकाशन के सात दिनों के बाद प्रभावी होनी चाहिए.

 

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