
उत्तर प्रदेश में हुए ट्रांसफर के 'खेल' से सियासी बवाल मच गया है. डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के स्वास्थ्य विभाग और कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद के लोक निर्माण विभाग में हुए तबादलों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच बैठा दी. सूबे में ट्रांसफर नीति का पालन न करने के चलते जितिन प्रसाद के ओएसडी अनिल कुमार पांडेय नप गए हैं तो चीफ इंजीनियर समेत पांच अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि स्वास्थ्य विभाग और पीडब्ल्यूडी में हुए ट्रांसफर में क्या योगी सरकार की तबादला नीति की अनदेखी की गई है, जिससे सियासी घमासान छिड़ गया है.
बता दें कि योगी सरकार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद एक नई ट्रांसफर पॉलिसी लाई थी. इस नीति के तहत समूह-ख और ग के अधिकारी और कर्मचारी एक जिले में 3 साल और एक मंडल में 7 साल से ज्यादा नहीं रह सकते. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग से लेकर शिक्षा विभाग और लोक निर्माण विभाग तक में तबादले हुए हैं, लेकिन योगी सरकार की तबादला नीति की कई विभागों में अनदेखी किए जाने का भी मामला सामने आया है.
क्या योगी सरकार की नीति का पालन हुआ?
जितिन प्रसाद के मंत्रालय लोक निर्माण विभाग में 350 से अधिक इंजीनियरों का तबादला हुआ था. इसमें 200 अधिशासी अभियंताओं और डेढ़ सौ से अधिक सहायक अभियंताओं का तबादला किया गया. इसी तरह डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के स्वास्थ्य विभाग में करीब 200 डॉक्टरों को ट्रांसफर किए गए थे. स्वास्थ्य विभाग ने दो बार में कई सीएमओ के ट्रांसफर की लिस्ट भी जारी की गई, जिसे लेकर शिकायत की गई.
पीडब्ल्यूडी में हुए ट्रांसफर में ऐसे-ऐसे लोगों का ट्रांसफर कर दिए गए थे, जो जिंदा भी नहीं हैं. जूनियर इंजीनियर घनश्याम दास का तबादला झांसी कर दिया गया था, जिन्हें मरे हुए तीन साल हो गए. पीडब्ल्यू विभाग में ही कई ऐसे इंजीनियर हैं, जो 10 साल से लेकर 22 साल तक एक ही जिले में जमे हुए हैं, उनके ट्रांसफर नहीं किए गए. वहीं, कई कर्मचारियों का तबादला तब बहुत दूर कर दिया गया, जब वे एक-दो साल के अंदर ही रिटायर होने वाले थे. एक ही जिले में तैनात पति-पत्नी का भी दूर जिलों में ट्रांसफर कर दिया गया. इस तरह योगी सरकार की नीति का पालन नहीं किया गया.
योगी सरकार की तबादला नीति क्या है?
दरअसल, योगी सरकार ने तबादले के लिए नीति बनाई थी. मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने तबादला नीति-2022-23 का शासनादेश में है कि समूह 'ग' और 'घ' के कर्मचारी पति-पत्नी दोनों सरकारी सेवा में हैं तो उन्हें एक ही जिले, नगर और स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकेगा. दो वर्ष में सेवानिवृत्त होने वाले समूह 'ग' के कार्मिकों को उनके गृह जिले और और समूह 'क' एवं 'ख' के कार्मिकों को उनके गृह जिले को छोड़कर उनकी इच्छा से किसी जिले में तैनात करने पर विचार किया जाएगा.
तबादला नीति के तहत जिलों में समूह क और ख के अधिकारी जो एक ही जिले में तीन वर्ष और मंडल में सात वर्ष की सेवा पूरी कर चुके है उनका स्थानांतरण किए जाएंगे. विभागाध्यक्ष या मंडलीय कार्यालयों में की गई तैनाती अवधि को इस अवधि में शामिल नहीं किया जाएगा. मंडलीय कार्यालय में तैनाती की अधिकतम अवधि सात वर्ष होगी लेकिन सर्वाधिक समय से कार्यरत अधिकारियों का तबादला प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा.
विभागाध्यक्ष कार्यालयों में विभागाध्यक्ष को छोड़कर यदि समूह क और ख के अधिकारी समकक्ष पद पर मुख्यलाय से स्वीकृत है तो मुख्यालय में तीन वर्ष की सेवा पूरी कर चुके उनके समकक्ष अधिकारियों को मुख्यालय से बाहर स्थानांतरित किया जाना था. समूह क और ख के स्थानांतरण संवर्गवार कार्यरत अधिकारियों की संख्या के अधिकतम 20 प्रतिशत की सीमा में शामिल किया जाएंगे. अपरिहार्य स्थिति में 20 प्रतिशत की सीमा से अधिक स्थानांतरण मुख्यमंत्री की मंजूरी से किए जाएंगे.
समूह- ग और घ के तबादले का नियम
समूह 'ग' के कार्मिकों के स्थानांतरण विभागाध्यक्ष के अनुमोदन से किए जाने का नियम. समूह 'ग' और 'घ' के कार्मिकों के स्थानांतरण संवर्गवार कुल कार्यरत कार्मिकों की संख्या के अधिकतम 10 प्रतिशत की सीमा तक किए हैं. 10 प्रतिशत से अधिक तथा अधिकतम 20 प्रतिशत तक स्थानांतरण विभागीय मंत्री के अनुमोदन से किए जा सकेंगे और तबादले विभागीय मंत्री की मंजूरी से किए जा सकेंगे.
किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को इलाज या बच्चों की शिक्षा जैसे निजी कारणों से स्थानांतरित किया जा सकेगा, लेकिन जहां स्थानांतरण मांगा गया है वहां पद रिक्त होना चाहिए. दूसरे अधिकारी या कर्मचारी के सहमति होने पर भी स्थानांतरण या समायोजन किया जा सकेगा बशर्ते उस पर कोई प्रशासनिक आपत्ति न हो. स्थानांतरण नीति के तहत प्रशासनिक दृष्टि से तबादले वर्ष में कभी भी किए जा सकेंगे.
पदोन्नति, सेवा समाप्ति, सेवानिवृत्ति को लेकर क्या है?
पदोन्नति, सेवा-समाप्ति और सेवानिवृत्ति की स्थिति में भी स्थानांतरण किए जा सकेंगे. दिव्यांग कार्मिकों और ऐसे कार्मिक जिनके परिवारजन दिव्यांगता से प्रभावित है उन्हें सामान्य स्थानांतरण से मुक्त रखा जाएगा. दिव्यांग कार्मिकों के तबादले उनके खिलाफ गंभीर शिकायत मिलने पर ही किए जाएंगे. सरकारी कर्मचारी-अधिकारियों के मान्यता प्राप्त सेवा संगठनों के अध्यक्ष एवं सचिव का तबादला उनके संगठन में पदभार ग्रहण करने की तिथि से दो वर्ष की अवधि तक नहीं किए जाएंगे.
योगी सरकार की इस तबादले नीति का न तो स्वास्थ्य विभाग में पालन किया गया और न ही लोक निर्माण विभाग में. यही वजह है कि इन दोनों ही मंत्रालय में ट्रांसफर लिस्ट सामने आने के बाद से बवाल मच गया है. विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार है. ऐसे में सीएम योगी आदित्यनाथ ने विभागों के अधिकारियों पर सख्त एक्शन लेना शुरू कर दिया है और तबादले पर जांच बैठा दी है.