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यूपी जल निगम के कर्मचारियों को 5 महीने से नहीं मिला वेतन, मार्च में आई सितंबर, 2020 की सैलरी

यूपी जल निगम में पिछले पांच महीने से कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है, वेतन ही नहीं रिटायर हुए कर्मचारियों को पिछले 5 महीने से पेंशन नहीं दी जा रही है. ऐसे में जल निगम के कर्मचारी काफी परेशान हैं.

धरने पर बैठे कर्मचारी धरने पर बैठे कर्मचारी
  • जल निगम कर्मचारियों को 5 महीने से न वेतन, न पेंशन
  • 15 दिनों से प्रदेश भर में धरनारत हैं कर्मचारी
  • सरकार पर हैं 1653 करोड़ रुपए की देनदारी

यूपी जल निगम में पिछले पांच महीने से कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है, वेतन ही नहीं रिटायर हुए कर्मचारियों को पिछले 5 महीने से पेंशन नहीं दी जा रही है. ऐसे में जल निगम के कर्मचारी काफी परेशान हैं. यूपी में पिछले 15 दिनों से जल निगम के कर्मचारी वेतन के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई होती नजर नहीं आ रही. छठवां महीना लग चुका है लेकिन कर्मचारियों को न वेतन दिया गया है और न ही कोई पेंशन दी जा रही है. 

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उत्तर प्रदेश जल निगम संस्थान मजदूर यूनियन के अध्यक्ष राम सनेही यादव ने बताया कि ''12 फरवरी को सभी जिलों में एक दिन का धरना दिया था और इस बाबत मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा था, 16 फरवरी से जल निगम मुख्यालय पर लगातार धरना-प्रदर्शन चल रहा है. सभी जिलों में भी भोजनावकाश के समय 1 घंटे का धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है.''

यूपी जल निगम के मुख्यालय पर धरनारत कर्मचारी

''जल निगम के एमडी साहब ने हमें वार्ता के लिए बुलाया था और कहा था कि हम एक माह के वेतन का प्रबंध कर रहे हैं. आप धरना-प्रदर्शन बंद कर दें. लेकिन हमने कहा कि 6 महीने होने को हैं, हमें कम से कम तीन माह का वेतन दे दीजिए और हर महीने एक महीने का वेतन मिलता रहे तो हम अपना धरना खत्म कर दें. लेकिन इसपर एमडी साहब ने असमर्थता जाहिर कर दी. इसके बाद न उन्होंने हमसे बात की, न हमें बुलाया.''

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लखनऊ में जल निगम के धरनारत कर्मचारी

उन्होंने आगे कहा कि ''जल निगम के एमडी से बैठक के बाद 1 मार्च को सितंबर, 2020 की सैलरी आई है. अभी अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर, जनवरी, फरवरी महीने की सैलरी बाकी है. जितनी सैलरी आई है वो तो उधारी चुकाने में ही उड़ जाएगी.''

यूपी जल निगम मुख्यालय, लखनऊ

मथुरा में जल निगम ऑफिस के बाहर धरनारत एक कर्मचारी भगवान सिंह सिसोदिया ने वेतन न मिलने के कारण आ रही समस्याओं के बारे में बताया कि भुखमरी की कगार पर आ गए हैं, उधार देने वालों ने उधार देना बंद कर दिया है. बड़े-बुजुर्गों का इलाज करवाना मुश्किल हो रहा है. बच्चों की फीस नहीं भर पा रहे, एक तरफ कोरोना, दूसरी तरफ लगभग आधे साल से तनख्वाह नहीं मिली. आदमी कहां जाए? कैसे अपने बच्चों का पेट पाले.''

मथुरा में धरना देते हुए जल निगम के कर्मचारी

वहीं यादव ने कहा, ''वेतन के अभाव में इलाज न होने और मानसिक तनाव के कारण कल ही दो कर्मचारियों की मौत हुई है, जिनमें से एक बरेली और एक बाराबंकी के रहने वाले थे. इससे दो-तीन दिन पहले इलाहाबाद की रहने वाली एक महिला कर्मचारी की मौत हो गई.

 

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