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RLD के यूपी चीफ डॉ. मसूद अहमद का इस्तीफा, बोले- आंतरिक तानाशाही से गठबंधन फ्लॉप

यूपी चुनाव में हार के बाद आरएलडी प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने दोनों जयंत चौधरी और अखिलेश यादव के सामने कई सवाल भी रख दिए हैं.

आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी
समर्थ श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 19 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 6:19 PM IST
  • अखिलेश-जयंत की कार्यशैली पर उठाए सवाल
  • मुस्लिम-दलित मुद्दों पर चुप्पी साधने का आरोप

हाल ही में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंकने के बावजूद भी सपा-आरएलडी का गठबंधन प्रदेश में सरकार नहीं बना पाया और 37 साल बाद किसी पार्टी ने दोबारा सत्ता में आने का काम किया. ऐसे में अब एक तरफ बीजेपी में तो जश्न का माहौल है, लेकिन सपा-आरएलडी में मंथन और इस्तीफों का दौर जारी है.

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इसी कड़ी में अब आरएलडी प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने दोनों जयंत चौधरी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के नाम पर एक खुली चिट्ठी लिखी है. उस चिट्ठी में उन कारणों पर जोर दिया गया है जिस वजह से यूपी चुनाव के दौरान ये गठबंधन फ्लॉप साबित हो गया. सबसे बड़ा आरोप तो ये लगाया गया है कि चुनाव से पहले टिकटों को बेचा गया था. दूसरा आरोप ये है कि समय रहते गठबंधन की सीटों का ऐलान नहीं किया गया था. तीसरा आरोप है कि सपा द्वारा रालोद, महान दल, आजाद समाज पार्टी का अपमान किया गया.

इस सब के अलावा मसूद अहमद की माने तो जब-जब दलित या फिर मुस्लिम समाज से जुड़ा कोई भी अहम मुद्दा आया तो उन पर अखिलेश यादव और जयंत चौधरी ने चुप्पी साध ली जिसका सियासी नुकसान सभी पार्टियों को चुनाव के दौरान उठाना पड़ा. चिट्ठी में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि सिर्फ चुनाव के दौरान प्रचार के लिए बाहर आने से कुछ नहीं होने वाला है. जनता के बीच रहना जरूरी है. मुलायम सिंह यादव का जिक्र कर बताया गया है कि उनकी असल कुंजी वो जनता थी जिसके बीच वे रहते थे.

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मसूद अहमद ने इस बात पर भी जोर दिया है कि चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश यादव ने इमरान मसूद का अपमान किया था. इस वजह से उनकी छवि मुस्लिम समाज के बीच धूमिल हो गई थी. उनकी माने तो कब तक मुस्लिम समाज मजबूरी में इन पार्टियों को वोट देता रहेगा. अब इस समाज के बीच जाना जरूरी हो गया है.

यूपी चुनाव के नतीजों की बात करें तो बीजेपी और उसके गठबंधन ने कुल 273 सीटें जीतीं. एक तरह से दो तिहाई बहुमत हासिल किया गया. वहीं दूसरी तरफ सपा गठबंधन सिर्फ 124 सीटों पर सिमट गया और कांग्रेस मात्र 2 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को जिता पाई. बसपा का प्रदर्शन तो सबसे ज्यादा निराशाजनक रहा और पार्टी ने सिर्फ एक सीट जीती.

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