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मायावती के बाद सिंघवी ने भी उठाए योगी सरकार के लव जिहाद कानून पर सवाल

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा कि जबरन और छल से धर्मान्तरण को रोकने के लिए कई कानून पहले से बने हैं. ऐसे में इस नए कानून पर राज्य सककार पुनर्विचार करे.

बीएसपी अध्यक्ष मायावती (फाइल फोटो-PTI) बीएसपी अध्यक्ष मायावती (फाइल फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 1:40 PM IST

उत्तर प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा पारित अध्यादेश पर सियासत शुरू हो गई है. बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा कि जबरन और छल से धर्मान्तरण को रोकने के लिए कई कानून पहले से बने हैं. ऐसे में इस नए कानून पर राज्य सककार पुनर्विचार करे.

बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने कहा, 'लव जिहाद को लेकर यूपी सरकार द्वारा आपाधापी में लाया गया धर्म परिवर्तन अध्यादेश अनेकों आशंकाओं से भरा जबकि देश में कहीं भी जबरन व छल से धर्मान्तरण को न तो खास मान्यता व न ही स्वीकार्यता. इस सम्बंध में कई कानून पहले से ही प्रभावी हैं. सरकार इस पर पुनर्विचार करे, बीएसपी की यह मांग.'

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वहीं, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस अध्यादेश में सभी धर्मान्तरण, यहां तक की विवाह की जांच और प्रमाणित किए जाने का प्रावधान है, जो कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन और असंवैधानिक है.

बता दें कि पिछले मंगलवार यानी कि 24 नवंबर को उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने लव जिहाद पर अध्यादेश को मंजूरी दी थी. इसके बाद इसे राज्यपाल के पास पारित करवाने के लिए भेजा गया था. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज इस अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. अब 6 महीने के अंदर इस अध्यादेश को राज्य सरकार से विधानसभा से पास कराना पड़ेगा. 

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यूपी सरकार के अध्यादेश के अनुसार, जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तन के लिए 15,000 रुपये के जुर्माने के साथ 1-5 साल की जेल की सजा का प्रावधान है. अगर SC-ST समुदाय की नाबालिगों और महिलाओं के साथ ऐसा होता है तो 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ 3-10 साल की जेल होगी.

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अध्यादेश में धर्म परिवर्तन के इच्छुक लोगों को निर्धारित प्रारुप पर जिलाधिकारी को 2 महीने पहले सूचना देनी होगी, इसका उल्लंघन किए जाने पर 6 महीने से 3 साल तक की सजा और जुर्माने की राशि 10 हजार रुपये से कम की नहीं होने का प्रावधान है.

 

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