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यूपी की पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने वाराणसी में मीडिया से बात करते हुए कहा कि पीडीपी अवसर देखकर अलगाववादियों और पाकिस्तान की हिमायत करती है. इसलिए शुरू से ही तालमेल नहीं बैठा था. उन्होंने ये भी कहा कि मुफ़्ती साहब की बेटी को बहुत मौका दिया गया, लेकिन 3 साल में जम्मू-कश्मीर की सरकार ने ईमानदारी से काम नहीं किया. इस वजह से परिस्थितियां भी कंट्रोल न हो सकीं.
रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि बहुत प्रयास किए गए कि पाकिस्तान के साथ सौहार्द्रपूर्ण संबंध हों. बहुत प्रयास किया गया कि अलगाववादी और आतंकवादियों के जो कारनामे हैं उसको रोका जा सके. लेकिन कहीं न कहीं केंद्र सरकार और मोदी जी का चिंतन पाकिस्तान ने स्वीकार नहीं किया. पाकिस्तान ने निरंतर आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया है. पाकिस्तान ने जम्मू और कश्मीर में जिस प्रकार के कार्य किए हैं, उसको रोकने के लिए सख्ती की आवश्यकता थी.
शहीद औरंगजेब और पत्रकार बुखारी की हत्या पर समर्थन वापसी से सवाल पर मंत्री ने कहा कि बात सिर्फ एक घटना की नहीं है. बीते 3 साल में उनकी सरकार कोई कठोर कदम नहीं उठा पाई. 3 साल में उनका कोई कारनामा सुनने को नहीं मिला. उन्हें बहुत मौका दिया गया, लेकिन उनका ढीला-ढाला रवैया था. वह मुफ़्ती साहब की बेटी थीं और उनकी जिम्मेदारी थी कि वहां की स्थिति को कंट्रोल में करें. लेकिन जब वहां की स्थिति पूरी तरीके से उनके हाथों से निकल गई तब उसके बाद वहां गवर्नर रूल लगाना पड़ा.
उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान के रमजान में सीजफायर उल्लंघन किए जाने के बाद स्थिति कंट्रोल में नहीं हो पा रही थी. लॉ एंड ऑर्डर प्रदेश सरकार का काम है. सरकार की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती थीं. वह सभी को कंट्रोल नहीं कर पाईं और वहां की जनता उनकी बात को सुन नहीं रही थी. तो सबसे जरूरी है कि वहां शांति व्यवस्था बहाल की जाए. इसके लिए गवर्नर रूल जरूरी हो गया था.
उन्होंने कहा, जम्मू कश्मीर की समस्या आज की नहीं है. ये 70 साल पुरानी है. शुरू से ही वहां समस्या बनी हुई है. यह आरोप प्रत्यारोप की बाते हैं. आतंकवाद और अलगाववाद पर जिस तरीके से मोदी सरकार कार्रवाई कर रही है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.
महबूबा मुफ्ती के पाकिस्तान को लेकर नर्म रुख पर रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि, देखिए हम सीधी बात कर चुके हैं. जब हमारे प्रधानमंत्री आगे बढ़कर पाकिस्तान के साथ बात करने को तैयार थे तब पाकिस्तान का रवैया गलत था. एक तरफ बात करने की तारीख तय होती थी और दूसरी ओर सीजफायर का उल्लंघन होता था. इस लिए हमें सर्जिकल स्ट्राइक करनी पड़ी. पाकिस्तान से बात तभी हो सकती है जब शांति कायम हो. दोनों लोग एक व्यवस्था को स्वीकार करें. भारत में कभी समझौते का उल्लंघन नहीं किया है, पाकिस्तान ने हमेशा से किया है.