Advertisement

उत्तर प्रदेश: बीजेपी के एक फैसले ने इन नेताओं के लिए बंद कर दिए 5 साल के रास्ते

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में योगी सरकार प्रचंड बहुमत के साथ वापसी की है, लेकिन बीजेपी के कई दिग्गज नेता अपनी सीट नहीं बचा सके हैं. ऐसे में माना जा रहा था कि हारे हुए कद्दावर नेता विधान परिषद चुनाव में उतर सकते हैं, लेकिन बीजेपी ने फैसला किया है कि हारे हुए किसी भी नेता को एमएलसी नहीं बनाएगी.

सुरेश राणा और संगीत सोम सुरेश राणा और संगीत सोम
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 15 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 12:04 PM IST
  • यूपी चुनाव में 11 मंत्री सहित कई दिग्गज हारे
  • बीजेपी किसी हारे नेता को MLC नहीं बनाएगी
  • बीजेपी के फैसले से कई दिग्गजों के सपने चूर

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को ऐतिहासिक जीत मिली है. 37 साल में पहली बार ऐसा हो रहा है, जब किसी सत्ताधारी दल को यूपी की जनता ने दोबारा राज्य की कमान सौंपी है. बीजेपी की प्रचंड जीत के बावजूद योगी सरकार के 11 मंत्रियों सहित कई दिग्गज नेता अपनी सीट नहीं बचा सके. ऐसे में माना जा रहा था कि विधान परिषद के जरिए विधानमंडल पहुंचने का इन नेताओं का सपना साकार हो सकता है, लेकिन बीजेपी अगर अपने फैसले पर कायम रही तो हारे दिग्गजों को सदन पहुंचने के लिए पांच साल का इंतजार करना होगा? 

Advertisement

यूपी के केशव प्रसाद मौर्य सहित सुरेश राणा, मोती सिंह, सतीश चंद्र द्विवेदी और संगीत सोम जैसे बीजेपी के दिग्गज नेताओं को चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा है. केशव प्रसाद मौर्य भले ही चुनाव हार गए हों, लेकिन मौजूदा समय में विधान परिषद के सदस्य हैं. वहीं, बाकी नेता न तो विधान परिषद में और न ही अब विधानसभा में. ऐसे में बीजेपी ने फैसला किया है कि हारे हुए नेताओं को एमएलसी चुनाव में नहीं उतारेगी, जिसके चलते दिग्गजों को विधानमंडल पहुंचने की राह में मुश्किलें खड़ी हो गई हैं.  
 
विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद अब बीजेपी एमएलसी चुनाव के लिए कमर कस चुकी है. स्थानीय निकाय की 36 विधान परिषद सीटों के लिए मंगलवार से अधिसूचना जारी हो गई. एमएलसी चुनाव को लेकर सोमवार को लखनऊ में बीजेपी कोर कमेटी की बैठक हुई, जिसमें सीएम योगी आदित्यनाथ, संगठन मंत्री सुनील बंसल, केशव प्रसाद मौर्य, स्वतंत्र देव सिंह और दिनेश शर्मा शामिल हुए. सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव में हारे नेताओं और मंत्रियों को एमएलसी नहीं बनाएगी बल्कि पार्टी अपने अन्य कार्यकर्ताओं को मौका देगी. 

Advertisement

बीजेपी अगर अपने इस फैसले पर कायम रहते है तो पार्टी के तमाम बड़े नेताओं के विधान परिषद के चुनाव लड़ने के मंसूबों पर पानी फिर सकता है. माना जा रहा था कि संगीत सोम सरधना सीट से विधानसभा चुनाव हारने के बाद एमएलसी चुनाव में मेरठ सीट से किस्मत आजमा सकते थे. ऐसे ही सुरेश राणा के लिए भी संभावना जतायी जा रही है कि वो शामली सीट से विधान परिषद के चुनाव में ताल ठोक सकते थे. 

राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह प्रतापगढ़ जिले के कद्दावर नेता है. राजनाथ सिंह से लेकर योगी सरकार में मंत्री रहे, लेकिन इस बार पट्टी विधानसभा सीट पर उन्हें सपा के रामसिंह पटेल के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा है. मोती सिंह के सियासी कद को देखते हुए माना जा रहा था कि पार्टी उन्हें एमएलसी बना सकती है. ऐसे ही पूर्वांचल के दिग्गज ब्राह्मण नेता और योगी सरकार में शिक्षा मंत्री रहे सतीश चंद्र द्विवेदी को भी सियासी मात मिली है. योगी कैबिनेट में मंत्री रहे रणवेन्द्र सिंह उर्फ धुन्नी सिंह के हुसैनगंज सीट के हार मिली है, जिसके चलते उनके फतेहपुर सीट से चुनाव लड़ने की रणनीति थी. 

बीजेपी के ये पांचों नेता अपने-अपने जिले के कद्दावर नेता माने है, जिसके चलते उनके हार के बाद एमएलसी चुनाव लड़ने की संभावना दिख रही थी. लेकिन, बीजेपी ने फैसला लिया है कि हारे हुए किसी भी नेता को न तो विधान परिषद भेजेगी और न ही एमएलसी चुनाव लड़ाएगी. ऐसे में बीजेपी के इन दिग्गज नेताओं के चुनाव लड़ने की संभावनाओं पर पानी फिर सकता हैा, जिसके चलते राज्य के सदन में भी नहीं पहुंच पाएंगे. बीजेपी का यह फैसला ऐसे ही पांच साल तक रहा तो उन्हें 2027 के विधानसभा चुनाव का इंतजार करना होगा. 

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement