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यूपी विधान परिषद चुनाव में सपा का मुस्लिम कार्ड, दो उम्मीदवारों को जगह

उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों ने मंगलवार को नामांकन किया. पार्टी ने तमाम सियासी समीकरण को साधने का प्रयास किया है और मुस्लिम समुदाय पर भी नजर रखी है.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव सपा प्रमुख अखिलेश यादव
अभिषेक मिश्रा
  • लखनऊ,
  • 08 जून 2022,
  • अपडेटेड 6:50 AM IST

उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों ने मंगलवार को नामांकन किया. पार्टी से चार प्रत्याशियों ने नामंकन किया, जिसमें स्वामी प्रसाद मौर्या, सोबरन सिंह यादव के पुत्र मुकुल यादव, जासमीर अंसारी और शाहनवाज खान शामिल हैं. अखिलेश यादव और आजम खां के बेटे अब्दुल्लाह आजम की मौजूदगी में सपा प्रत्याशियों ने आज नामांकन दाखिल किया. सपा ने इस चुनाव में दो मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा है.

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कौन है मुकुल यादव

सोबरन सिंह यादव मैनपुरी की करहल सीट से विधायक रह चुके हैं. उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए अपनी सीट भी छोड़ दी थी. इसके एवज में अखिलेश ने उनके बेटे मुकुल यादव को विधान परिषद भेजने के लिए आज नामांकन कराया है. मुकुल एलएलबी में स्मार्ट स्नातक हैं और कोल्ड स्टोर, ईंट भट्टे और पेट्रोल पंप के कारोबारी हैं. हालांकि कभी सपा के किसी सक्रिय पद पर नहीं रहे लेकिन कार्यकर्ता के तौर पर करहल में सक्रिय रहे हैं.


जासमीर अंसारी 

सपा के तीसरे नामांकन करने वाले जासमीर अंसारी सीतापुर के लहरपुर से बहुजन समाज पार्टी के विधायक रह चुके हैं और उनकी पत्नी कैसर जहां भी यहां से सांसद रह चुकी हैं. दोनों ने चुनाव से पहले सपा का दामन थामा था जिसके बाद अब अल्पसंख्यक समाज के एक और चेहरे के तौर पर सपा के समीकरण को मजबूत करते हैं. जास्मीर अंसारी समाज के एक बड़े नेता मनाते हैं और इस समय पार्टी के अंदर अहमद हसन के निधन के बाद अंसारी समाज का कोई नेता नहीं है. समाजवादी पार्टी ने इसी रणनीति के तहत जास्मीन अंसारी को चुनाव मैदान में उतारा है जिसका फायदा उसे आने वाले चुनाव में दिख रहा है.

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शाहनवाज खान

रामपुर समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष हैं और मोहम्मद आजम खां के काफी करीबी माने जाते हैं. शाहनवाज आजम खान को अपना उस्ताद बताते हैं और लगातार रामपुर में उनके साथ जोड़कर सक्रिय रहे हैं. सपा से उनका नामांकन रामपुर में होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है जिसका फायदा समाजवादी पार्टी आजम खान के जरिए लेना चाहती हैं. आजम खान की नाराजगी को दूर करते हुए अखिलेश यादव ने लोकसभा उपचुनाव के प्रत्याशी और एमएलसी दोनों पर आजम की करीबी को जगह दी है.

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