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मुरादाबाद: नट समाज में टूटेगी परंपरा, दफनाकर नहीं, जलाकर होगा अंतिम संस्कार

मुरादाबाद के सलावा गांव में एक पंचायत में फैसला हुआ है कि अब नट समाज के लोग शवों को दफनाने की जगह जलाकर अंतिम संस्कार करेंगे. इससे पहले नट समाज में शवों को दफनाने की पंरपरा रही है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
शरद गौतम
  • मुरादाबाद,
  • 21 मई 2020,
  • अपडेटेड 2:52 PM IST

  • दफनाकर होता था नट समाज में अंतिम संस्कार
  • अब बदलेगी रस्म, शवों का होगा दाह संस्कार
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के एक गांव सलावा में नट समाज ने यह फैसला किया है कि अब शवों को दफनाने की जगह जलाकर अंतिम संस्कार किया जाएगा. नट समाज की इस बैठक में ग्राम प्रधानपति महेंद्र सिंह रंधावा और नट समाज के मुखिया जयपाल भी मौजूद रहे.

समाज की इस महत्वपूर्ण बैठक में महिला और पुरुष दोनों शामिल रहे. बैठक के दौरान लोगों ने कहा कि नट समाज के लोग भी समाज की मुख्यधारा से जुड़ें. बैठक में मौजूद नट समाज के लोगों ने कहा कि अगर बाद में लोग शवों को जलाने से मना कर दें तब क्या होगा.

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प्रधानपति ने कहा, 'जब तक मैं हूं भरोसा रखिए. मेरी बात हर समाज के लोगों से हुई है. सब आपके साथ खड़े हैं.' लोगों ने इस फैसले का ताली बजाकर स्वागत किया. लोगों की यह भी जिज्ञासा रही कि अगर लोग बाद में अपनी बात से मुकर जाएं तो क्या होगा. इसके जवाब में लोगों ने कहा कि समाज की मुख्यधारा में लौटने के बाद ऐसा नहीं होगा.

बैठक के दौरान मौजूद लोग

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नट समाज में शवों को दफनाने की है परंपरा

नट समाज में मौत के बाद लोगों को दफनाया जाता था. मुरादाबाद में हुई इस पंचायत में निर्णय लिया गया है कि अब उन्हें कब्रिस्तान में शवों को दफ्न नहीं बल्कि श्मशान में चिता का अंतिम संस्कार किया जाएगा. महेंद्र सिंह रंधावा ने कहा, 'जब आप हिंदू हैं दो दफ्न क्यों होते हैं. समाज की मुख्यधारा से जुड़ें. ,समाज की मुख्यधारा से जुड़ो. इस दौरान नट समाज के लोगों मास्क लगाने और बार-बार हाथ साफ करने को कहा गया.

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नट समाज चाहता है परिवर्तन

मुरादाबाद के सलावा गांव में हुई इस पंचायत में नटों की समाजिक स्वीकार्यता को लेकर चर्चा की गई. लोगों से मुख्यधारा में जुड़ने की बात की गई. नट समाज के ज्यादातर लोग अब भी घुमंतू जीवन जीते हैं. अब उन्होंने शव को दफनाने की पंरपरा छोड़कर शवों को जलाने की परंपरा स्वीकार की है. नट समाज के लोगों को सरकार ने अनुसूचित जातियों की श्रेणी में रखा है. लोगों ने नट समाज के मुख्यधारा से जुड़ने का स्वागत किया है.

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