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'20 मील दूर रूसी सेना...घर के ऊपर उड़ रहे हेलिकॉप्टर', Ukraine में फंसे स्टूडेंट्स ने बयां किया दर्द

यूक्रेन (Ukraine) में युद्ध के हालात के बीच उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश (UP-MP) के कई शहरों के छात्र छात्राएं फंसे हुए हैं. छात्रों ने अपने परिजन को वहां का हाल बताया है. छात्रों ने बताया कि टिकट के दाम करीब दस गुना तक महंगे हो चुके हैं. आने जाने पर रोक लगा दी गई है. स्थानीय स्तर पर डर का माहौल बना हुआ है. छात्रों के माता पिता ने सरकार से मदद की अपील की है.

युद्ध की आशंकाओं के बीच एनएलएडब्ल्यू एंटी टैंक हथियार लेकर जाता यूक्रेनी सैनिक. (Photo: PTI) युद्ध की आशंकाओं के बीच एनएलएडब्ल्यू एंटी टैंक हथियार लेकर जाता यूक्रेनी सैनिक. (Photo: PTI)
दुष्यंत त्यागी/विजय कुमार विश्वकर्मा
  • बागपत/रीवा,
  • 16 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 9:01 PM IST
  • युद्ध के हालात के बीच डर का माहौल
  • वापस आना चाहते हैं छात्र-छात्राएं

यूक्रेन (Ukraine) में युद्ध के हालात के बीच वहां फंसे भारतीय तत्काल वापस आना चाहते हैं, लेकिन टिकट का किराया करीब दस गुना तक महंगा हो गया है. यूक्रेन में उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के कई शहरों के छात्र फंसे हुए हैं. उत्तर प्रदेश के बागपत जिले की एमबीबीएस (MBBS) की छात्रा भी Ukraine से वापस भारत लौटने के प्रयास में है. रीवा का भी छात्र फंसा हुआ है. टिकट के दाम कई गुना महंगे होने की वजह से परेशानी हो रही है. छात्रा के परिजन ने सरकार से मदद करने की अपील की है.

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बागपत के रहने वाले ओमवीर ढाका की बेटी अनुष्का ढाका यूक्रेन (Ukraine) के ओडेसा विश्वविद्यालय से एमबीबीएस कर रही है. वहां के हालात देख चिंतित ओमवीर ढाका ने वीडियो काल के जरिए बेटी से बात की. अनुष्का ने बताया कि वह यूनिवर्सिटी के निकट ही एक मकान में अपनी सहेली गुरुग्राम की दिव्याशी व करनाल की दीप्ति के साथ रह रही है. यूक्रेन सरकार ने विश्वविद्यालय की ओर से 15 दिन पहले एक फार्म भरवाया था, जिसमें उन्हें कभी भी देश छोड़ने के लिए कहा गया है.

'शहर से 20 मील दूर है रूस की सेना'

छात्रा ने पिता को बताया ​कि रूस की सेना शहर से करीब 20 मील दूर है. इससे लोग सहमे हुए हैं. उनके मकान के ऊपर हेलिकॉप्टर उड़ रहे हैं. बाजार में खाद्य पदार्थों के दाम दोगुने हो चुके हैं. संकट को देखते हुए उन्होंने भी काफी खाद्य पदार्थ जमा कर लिया है. हमले की आशंका के चलते वह भी यहां से निकलना चाहती हैं, लेकिन फ्लाइट (No Flights) नहीं मिल रही है. टिकट (Ticket Rate) के दाम भी दस गुना बढ़ चुके हैं. जिस टिकट की कीमत पहले बीस हजार थी, वह अब ढाई लाख रुपये का हो गया है.

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'ओडेसा से नहीं मिली फ्लाइट तो जाना होगा कीव'

छात्रा ने अपने पिता से कहा है कि फ्लाइट को लेकर सभी परेशान हैं. यदि ओडेसा से फ्लाइट नहीं मिली, तो यूक्रेन की राजधानी कीव जाने का प्रयास करेंगी, जो वहां से करीब 500 किमी दूर है. देश लौटने के लिए लगातार वह भारतीय दूतावास के अधिकारियों के संपर्क में हैं. फिलहाल उन्होंने खुद को फ्लैट में बंद कर लिया है. ओमवीर ढाका ने बताया कि बेटी को वापस लाने के लिए वह भी अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं. छात्रा के पिता ओमबीर ढाका ने बताया कि बेटी MMBS 4Th ईयर में है. बच्चे घबराए हुए हैं. जिस एरिया में बेटी रहती है, वहां USA आर्मी के हेलिकॉप्टर, यूक्रेन आर्मी के हेलिकॉप्टर निगरानी कर रहे हैं, क्योंकि वो सब से ज्यादा डेंजर एरिया है.

रीवा का मेडिकल स्टूडेंट यूक्रेन में फंसा, परिजन का हाल बेहाल

मेडिकल स्टूडेंट प्रज्जवल.

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे गतिरोध के बीच मध्यप्रदेश के छात्रों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. रीवा जिले का भी एक छात्र यूक्रेन में फंसा है. परिजन परेशान हो रहे हैं. प्रज्जवल तिवारी Ternopil State Medical University में MBBS कर रहे हैं. डेढ़ साल से वह यूक्रेन में है. तरनोपिल में फंसे छात्र प्रज्जवल तिवारी ने मदद मांगी है.

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भारतीय दूतावास ने जारी की भारतीयों के लिए एडवाइजरी

प्रज्जवल ने यूक्रेन के हालात परिजन से बयां किए हैं. प्रज्जवल के पिता बुद्धि सागर तिवारी गांव में ही हार्डवेयर की दुकान चलाते हैं. प्रज्जवल MBBS सेकंड ईयर का छात्र है. पिता ने अपना मकान बेचकर प्रज्जवल को यूक्रेन भेजा था. प्रज्जवल दो भाई और एक बहन में सबसे बड़ा है. वह तरनोपिल स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में MBBS सेकंड ईयर का छात्र है, जो करीब 1 साल 3 माह से यूक्रेन में हॉस्टल में रह रहा है.

पिता ने मकान बेचकर भेजा था यूक्रेन

प्रज्जवल के पिता ने अपना मकान बेचकर प्रज्जवल को यूक्रेन भेजा था. वर्तमान समय में चल रहे हालात बयान करते हुए छात्र के पिता ने कहा कि यूक्रेन में हमले के डर से टेलिकॉम और इंटरनेट सर्विस ठप हैं और मीडिया बैन है. हम लोग अपने लोगों से बात तक नहीं कर सकते. सिर्फ वॉट्सएप कॉलिंग से काम चला रहे हैं. प्रज्वल के परिजन चाहते हैं कि सरकार मदद करे. छात्रों को अपने देश जाने के लिए कहा गया है, लेकिन फ़्लाइट के टिकट बहुत महंगे हो गए हैं.

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