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UP Nagar Nikay Chunav: पिता सफाईकर्मी, मां घरों में करती थीं काम... मथुरा के मेयर मुकेश की कहानी

मथुरा को नगर निगम का दर्जा 2017 के चुनाव के दौरान ही मिला था. बीजेपी ने यहां से डॉ. मुकेश बंधु आर्य को चुनावी मैदान में उतारा था, जिन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्विंदी कांग्रेस के मोहन सिंह को 22 हजार से अधिक वोटों से हराया था. आइए जानते हैं कि कौन हैं मथुरा के पहले मेयर मुकेश बंधु आर्य-

मथुरा के पहले मेयर मुकेश बंधु आर्य मथुरा के पहले मेयर मुकेश बंधु आर्य
मदन गोपाल शर्मा
  • मथुरा,
  • 11 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:13 PM IST

उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं. प्रदेश की 17 नगर निगम सीटों पर भी चुनाव होने वाला है. यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), समाजवादी पार्टी (सपा), कांग्रेस समेत सभी पार्टियों ने कमर कस ली है. इस बार मथुरा को नगर निगम का दर्जा मिलने के बाद दूसरी बार चुनाव होगा और दांव पर बीजेपी की प्रतिष्ठा होगी.

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मथुरा को नगर निगम का दर्जा 2017 के चुनाव के दौरान ही मिला था. बीजेपी ने यहां से डॉ. मुकेश बंधु आर्य को चुनावी मैदान में उतारा था, जिन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्विंदी कांग्रेस के मोहन सिंह को 22 हजार से अधिक वोटों से हराया था. मुकेश बंधु आर्य पहले वार्ड मेंबर थे, लेकिन सीट आरक्षित होने पर बीजेपी ने उन पर भरोसा जताया था.

मुकेश बंधु आर्य की राजनीति में एंट्री काफी रोचक है. मुकेश बंधु आर्य का जन्म 1 दिसंबर 1964 को बाल्मिकी बस्ती में रहने वाले नत्थू पुजारी के यहां हुआ. नत्थू पुजारी रेलवे में सफाई कर्मचारी थे. वहीं मां भगवान देई घरों में सफाई का कार्य करती थीं. माता-पिता ने सफाई कर्मचारी होते हुए भी अपने पांचों बेटों व दो बेटियों को पढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.

इसी कारण पांचों बेटों में से तीन सरकारी सेवा में आ गए, जबकि दो राजनीति में सक्रिय हो गए. मुकेश बंधु आर्य छात्र जीवन से ही राजनीति में आ गए. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विभिन्न पदों पर रहने के बाद सबसे पहले मथुरा नगर पालिका के वार्ड मेंबर का चुनाव जीता. उसके बाद मेयर पद पर निर्वाचित हुए.

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मुकेश बंधु आर्य ने अपनी स्नातक तक की पढ़ाई मथुरा में ही की. इसके बाद वह आरएमपी डॉक्टर के रूप में काम करते थे और बाल्मीकि बस्ती के बाहर एक छोटा सा क्लीनिक भी चलाते हैं. मुकेश बंधु आर्य 1989 से सक्रिय राजनीति में हैं. उन्होंने सबसे पहले अपनी पहचान एक स्वयंसेवक के रूप में बनाई थी.

 

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