
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में कोरोना के कारण जान गंवाने वाले सरकारी कर्मचारियों पर योगी सरकार ने बड़ा फैसला किया है. यूपी में चुनावी ड्यूटी के तीस दिन के भीतर मरने वालों को सरकार मुआवजा देगी. यूपी सरकार अब कोरोना काल में मरने वाले कर्मचारियों के परिजनों को 30 लाख रुपये देगी.
यूपी सरकार के इस फ़ैसले यूपी में क़रीब एक हज़ार मृत कर्मचारियों के परिजनों को मदद मिल सकेगी. पहले तय नियम के लिहाज़ से प्रदेश में केवल 74 लोग चुनाव ड्यूटी के दौरान मरने के बाद मुआवजा पाने के दायरे में आ सके थे. इस बारे में योगी सरकार ने 20 मई को नियम बदलने के निर्देश दिये थे.
दरअसल इसके पीछे वजह ये भी है कि कोरोना से संक्रमित होने के बावजूद भी कर्मचारी की तबियत बिगड़ने और मृत्यु होने के बीच ज़्यादातर मामलों में पंद्रह दिन से ज़्यादा का वक्त लगा. चुनाव ड्यूटी के वक्त भी अगर कर्मचारी का हालत बिगड़ी तब भी उसके घर जाने के कुछ दिनों बाद ही इलाज के दौरान मौतें हुई है.
सरकार के पहले के नियमों को लेकर संगठनों ने नाराज़गी ज़ाहिर की थी. इसके बाद ही सरकार ने ड्यूटी के दौरान मौत की व्याख्या को बदला और अब सरकार क़रीब एक हज़ार कर्मचारियों के परिवार वालों को तीस लाख रुपये की मुआवजा राशि देने जा रही है. इसके लिए सभी जिलों से लिस्ट मंगा ली गई है.
क्या है पूरा मामला
यूपी में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ही पंचायत चुनाव कराए गए. शिक्षक संघ का दावा है कि चुनाव ड्यूटी के दौरान उसके 1600 से अधिक कर्मचारियों की मौत हो गई थी. शिक्षक संघ ने कर्मचारियों के आश्रितों को नौकरी के साथ एक करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा था. शिक्षक कर्मचारी संघ के अलावा अलग-अलग कर्मचारी संघों ने अपने कर्मचारियों की मौत का आंकड़ा जारी किया था.
इसको लेकर चुनाव आयोग ने जब रिपोर्ट तलब की तो नियम के मुताबिक करीब 70 कर्मचारियों की मौत की ही पुष्टि हो पाई. बाद में शिक्षक संघ और कर्मचारी संघ के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए योगी सरकार ने नियम बदलने का आदेश दिया था. अब नए नियम के तहत करीब 1200 कर्मचारियों को मुआवजा मिल सकता है.