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यूपी: संतकबीरनगर में बंदर की शवयात्रा में उमड़े सैकड़ों लोग, अयोध्या में हिंदू रीति से हुआ अंतिम संस्कार

उत्तर प्रदेश के संतकबीर नगर में एक बंदर की शवयात्रा निकाली गई. शव को अयोध्या ले जाया गया, वहीं जाकर हिंदू रीति-रिवाज से बंदर का अंतिम संस्कार हुआ. लोगों ने पूरे विधि विधान से शवयात्रा निकाली थी.

धूमधाम से निकाली गई बंदर की शवयात्रा. धूमधाम से निकाली गई बंदर की शवयात्रा.
आलमगीर
  • संतकबीरनगर,
  • 28 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 10:29 PM IST
  • ग्रामीणों ने पेश की अनोखी मिसाल
  • बंदर की शवयात्रा में उमड़ी भीड़
  • बंदर से था ग्रामीणों का विशेष लगाव

उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर जिले में एक बंदर की शव यात्रा निकाली गई, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए. बंदर का अयोध्या में पूरे हिंदू रिवाज के साथ अंतिम संस्कार भी कराया गया. ग्रामीणों को बंदरों से बेहद लगाव था, जिसकी मौत पर वे भावुक हो गए. बैंड-बाजे के साथ अंतिम यात्रा निकाली गई.

खलीलाबाद ब्लॉक के आने वाले गांव रायपुर छपिया उर्फ ठोका में कुछ दिनों पहले एक बंदर आया था. बंदर अच्छे स्वभाव का था. दूसरे बंदरों की तरह ने वह लोगों को तंग करता था, न ही मारने दौड़ता था. यही वजह थी कि लोग बंदर को रामभक्त मानने लगे. शुक्रवार को बंदर की मौत हो गई थी, जिसके बाद ग्रामीणों ने बंदर को रामभक्त मानते हुए उसकी शवयात्रा निकाली.

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 शवयात्रा में बैंड बाजा और ढोल नगाड़े बजाए गए. अयोध्या धाम में पूरे विधि विधान के साथ बंदर का अंतिम संस्कार ग्रामीणों  ने किया. ग्रामीणों की इस पहल की पूरे जिले में लोग तारीफ कर रहे हैं. स्थानीय लोग भी ग्रामीणों के इस फैसले की सराहना कर रहे हैं. 

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बेहद शांत स्वभाव का था बंदर

रायपुर छपिया गांव के रहने वाले अंचल गुप्ता का कहना है कि कुछ दिन पहले बंदर गांव में पहुंचा था. बंदर का स्वभाव काफी अच्छा था. उसने किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया था. अचानक शुक्रवार की देर शाम बंदर की मौत हो गई, जिसके बाद ग्रामीणों ने फैसला लिया कि बंदर का अंतिम संस्कार अयोध्या में किया जाएगा.

बंदर की शवयात्रा में उमड़े लोग.

चंदा इकट्ठा करके निकाली गई शवयात्रा

बंदर के अंतिम संस्कार के लिए ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा किया. वहीं बस की भी व्यवस्था की गई. पूरे धूमधाम और बैंड बाजे के साथ बंदर की शव यात्रा निकालते हुए ग्रामीण अयोध्या धाम पहुंचे, जहां बंदर का दाह संस्कार किया गया. ऐसी पौराणिक मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान राम का साथ बंदरों ने दिया था, जिनकी मदद से सीता मां तक पहुंचा जा सका, जिन्हें रावण लंका लेकर चला गया था. मौजूदा वक्त में ग्रामीणों ने बंदर की ऐसी भव्य शवयात्रा निकालकर श्रद्धालुओं को निहाल कर दिया है. लोगों की तारीफ हो रही है.
 

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