
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन में हिंसा के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद अब मददगारों पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू हो गई है.
पीएफआई को फंडिंग करने वाले, शरण देने वाले और दूसरी तरह की कोई भी मदद करने वालों की तलाश की जा रही है. उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक, पकड़े गये पीएफआई कार्यकर्ताओं के मेबाइल फोन्स से अहम सबूत मिले हैं. इसमें मददगारों की डिटेल भी है.
मददगारों के बैंक खातों की जांच होगी और इनका पीएफआई के खातों से मिलान किया जाएगा. पुलिस को शुरूआती जांच मे फंडिंग की डिटेल्स मिली है. ऐसे लोगों की भी पहचान हुई है, जिन्होंने पीएफआई को फंड दिया था.
इस मामले मे यूपी एटीएस और प्रवर्तन निदेशालय पहले से ही जांच कर रहा है. पुख्ता सबूत मिलने के बाद मददगारों की भी गिरफ्तारी होगी.
बीते एक हफ्ते में अब तक पीएफआई के 108 सदस्य गिरफ्तार किए गए हैं. उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी के साथ अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी और एडीजी-डीजी (कानून-व्यवस्था) पी.वी. रामाशास्त्री ने आज बताया कि चार दिनों के लिए विशेष अभियान चलाया गया था. पहले भी पीएफआई के 25 पदाधिकारी और सदस्य गिरफ्तार हो चुके हैं. उ.प्र के 13 जनपदों में पीएफआई संगठन सक्रिय है.
उन्होंने बताया, 108 गिरफ्तारियां में लखनऊ से 14, सीतापुर से तीन, मेरठ से 21, गाजियाबाद से 9, मुजफरनगर से 6, शामली से सात, बिजनौर से 4, वाराणसी से 20, कानपुर से 5, गोंडा से एक, बहराइच से 16, हापुड़ से एक और जौनपुर से एक सदस्य को गिरफ्तार किया गया है.
इससे पहले पुलिस ने पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद समेत पीएफआई के 25 सदस्यों को गिरफ्तार किया था. अब इनके शीर्ष कार्यकर्ता पर शिकंजा कसने के लिए अन्य एजेंसी से भी लगातार बात चल रही है.
2001 में सिमी पर प्रतिबंध के बाद 2006 में पीएफआई केरल में बना. इसके संगठन का फैलाव पूरे उ.प्र में है. शामली, मुजफरनगर, मेरठ, बिजनौर, लखनऊ, गोंडा, वाराणसी, बहराइच, सीतापुर, गाजियाबाद में पीएफआई सक्रिय है.