
इस फैसले से एक बड़ा लाभ यह भी होगा कि बच्चे स्थानीय कहावतों, लोकगीतों और ललित साहित्य से ज्यादा जुड़ाव महसूस करेंगे. साथ ही उन्हें स्थानीय संस्कृति को जानने का मौका मिलेगा.
इस पायलट प्रोजेक्ट को बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री सतीश द्विवेदी ने शुरू करने का फैसला किया है. यह सिस्टम स्कूलों में दो-तीन दिन में शुरू कर दिया जाएगा और कक्षा 1 और 2 के छात्रों में प्रयोग के तौर पर शुरू किया जाएगा. शुरुआती प्रयोग में इसे उत्तर प्रदेश के मथुरा, गोरखपुर, ललितपुर और बाराबंकी जिलों में शुरू किया जाएगा.
इसमें चार भाषाओं का समावेश किया जाएगा जो ब्रज, भोजपुरी, बुंदेलखंडी और अवधी के नाम से जाने जाते हैं. इस पायलट प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए चारों जिलों में 10-10 स्कूल छाटे गए हैं, जहां पर इन किताबों को लागू किया जाएगा. बच्चों की रुचि और सीखने की क्षमता को परखने के बाद यह प्रयोग और स्कूलों में भी शुरू किया जाएगा.
सरकार के मुताबिक इस तरह के प्रयोग करने से प्रदेश की क्षेत्रीय भाषाओं को न सिर्फ बढ़ावा मिलेगा बल्कि बच्चों को शुरुआत से ही उनके बारे में जानकारी मिलेगी. साथ ही इन क्षेत्रीय भाषाओं को किताबों में शामिल करने से किताबों में उन क्षेत्रों की महत्वपूर्ण जानकारियों, विशेषताओं और अनूठे किस्से कहानियों को भी बच्चे जान सकेंगे.