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आजतक के स्टिंग 'ऑपरेशन कब्रिस्तान' में खुलासा- वक्फ की जमीन बेचने को तैयार 'रखवाले'

मेरठ, सीतापुर और लखनऊ से वक्फ संपत्तियों के मुतवल्ली (केयरटेकर) आजतक के खुफिया कैमरे पर एक्पोज हुए हैं.

'ऑपरेशन कब्रिस्तान' 'ऑपरेशन कब्रिस्तान'
जावेद अख़्तर/खुशदीप सहगल
  • मेरठ/सीतापुर/ग्रेटर नोएडा,
  • 19 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 7:37 AM IST

विशाल और बेतरतीबी से फैली वक्फ संपदा के रखवाले ही मुस्लिम धर्मार्थ संपत्तियों को बेचते पकड़े गए हैं. इन संपत्तियों में दरगाह से लेकर कब्रिस्तान सभी शामिल हैं. इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेटिव टीम ने संभवत: देश के सबसे बड़े जमीन घोटाले को बेनकाब किया है.

इस्लामी कानून के तहत वक्फ धार्मिक और मानवीय गतिविधियों के लिए ऐसा धर्मार्थ दान है जिसे अलग नहीं किया जा सकता.

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अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय के मुताबिक देश में वक्फ संपत्तियां, जिन्हें औकाफ भी कहते हैं, 6 लाख एकड़ से भी ज़्यादा क्षेत्र में फैली हैं. इनका अनुमानित बाजार भाव 1.20 लाख करोड़ रुपए है. इंडिया टुडे ने ऐसे नापाक गठजोड़ से नकाब हटाया है जो फर्जी तरीके से इन विशाल संसाधनों को बेचने में लगा है.  

इंडिया टुडे नेटवर्क के अंडरकवर रिपोटर्स ने जांच से पता चलाया कि किस तरह राज्य वक्फ बोर्डों की ठीक नाक के नीचे इस व्यापक धोखाधड़ी को अंजाम दिया जा रहा है. राज्य वक्फ बोर्डों को ऐसी संपत्तियों का निगहेबान (रखवाला) माना जाता है.

इंडिया टुडे ने अपनी तहकीकात के तहत सबसे पहले मेरठ में वक्फ मस्जिद और मजार के मुतवल्ली कमर अहमद का रुख किया. इस मस्जिद और मजार को ‘संपत्ति 3068’ भी कहा जाता है. उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने कमर अहमद को धर्मार्थ संपदा का रखवाला चुना था तो बाकायदा कागजात पर बहुत सख्त नियमों का हवाला दिया था. इंडिया टुडे की पहुंच ऐसे दस्तावेज तक हैं जिनके मुताबिक कमर अहमद को बिना आधारिक अनुमति लिए संपत्ति को बेचने, लीज पर देने या पुनर्निर्माण का कोई अधिकार नहीं है. 

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लेकिन कमर अहमद जो खुद भी वकील है, ने इस बड़ी धार्मिक संपदा को अपनी निजी जागीर समझते हुए इसे अवैध नकदी के लिए अदला-बदली करना शुरू कर दिया. इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोटर्स से कमर अहमद ने कहा कि 800 वर्ग गज, ठीक ठीक कहें तो 680 वर्ग गज जमीन को आपके नाम में स्थानांतरित किया जा सकता है. 

रिपोर्टर ने पूछा, क्या ये सब वैध तरीके से होगा?

कमर अहमद ने जोर देकर कहा, हां, अगर आप चाहें तो ये कल ही हो सकता है. कमर अहमद ने दावा किया कि उसे 3068 औकाफ के लिए बिक्री और लीज रजिस्ट्रेशन, दोनों को अंजाम देने का अधिकार है. अहमद ने अपनी बात के समर्थन के लिए एक अनुमति पत्र भी दिखाया जो फर्जी निकला.

3068 औकाफ संपत्ति को बेचने संबंधी इस अनुमति पत्र की एक प्रति को उत्तर प्रदेश सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के सहायक सचिव आले अतीक को लखनऊ में दिखाया गया. आले अतीक ने साफ किया कि बीते 35 साल में किसी भी औकाफ को बेचने के लिए कोई अनुमति पत्र जारी नहीं किया गया.

वहीं मेरठ में कमर अहमद ने औकाफ की 680 वर्ग गज जमीन को 1.35 करोड़ रुपए में बेचने का प्रस्ताव किया.  

कमर अहमद ने कहा, ‘1.35 करोड़ रुपए में डील होगी. मेरे घर पर यहां भुगतान कीजिए, मैं आपको रसीद दूंगा.’ कमर अहमद ने पूरी रकम नकद में मांगी. कमर अहमद ने कहा, ‘मैं इसे किसी रिकॉर्ड में नहीं दिखाना चाहता. मैं नंबर दो (काले धन) में इसे चाहता हूं.’ 

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लेकिन कोई केयरटेकर कैसे दान दी गई संपदा को खुद से बेच सकता है?

कमर अहमद की मानी जाए तो वो निश्चित रूप से ऐसा कर सकता है, बस इसके लिए उसे लखनऊ में बोर्ड तक भी हिस्सा पहुंचाना होगा. कमर अहमद ने बात को साफ करते हुए कहा, ‘उनको हिस्सा देने के बाद मेरे पास कुछ खास नहीं बचेगा. मुझे उन्हें 25 फीसदी देना पड़ेगा.’

रिपोर्टर ने जानना चाहा, क्या ये हिस्सा वक्फ बोर्ड को जाएगा?

कमर अहमद का जवाब था- ‘हां, मैं सब कुछ उनके निरीक्षक के जरिए करूंगा. सब कुछ सही तरीके से किया जाएगा. मैं पहले भी ऐसा कर चुका हूं.’

ये घोटाला किसी एक शख्स या एक जगह तक ही सीमित नहीं है.

सीतापुर में इंडिया टुडे ने वक्फ प्रॉपर्टी नंबर 4181 के केयरटेकर चौधरी अब्दुल हमीद का रुख किया. हमीद ने धार्मिक संपदा की करीब 4000 वर्ग गज जमीन का सौदा करने के लिए रजामंदी दिखाई.  

हमीद ने दावा किया, “वक्फ बोर्ड से जो भी जरूरी होगा उसे मैं जुटा लूंगा. हम रजिस्ट्री करा लेंगे या 90 साल की लीज करा लेंगे. इसे 3.15 लाख रुपए प्रति बीघा (1,939 वर्ग गज) के हिसाब से बेचा जाएगा.”

हमीद ने कहा कि मैं अपना पेट भरने के साथ साथ वक्फ बोर्ड का भी पेट भरूंगा अन्यथा वो आपत्तियां उठाएंगे..   

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वक्फ माफिया को मृत लोगों की आराम की जगह यानि कब्रिस्तानों की जमीन छीनने से भी कोई परहेज नहीं है. 

इंडिया टुडे ने मुस्लिम कब्रिस्तानों की जमीन पर भी गिद्ध नजरें बिठाए रखने वालों को बेनकाब किया. इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स मेरठ के मलियाना में एक मजार पर पहुंचे. इस मजार से जुड़ा क्षेत्र 750 वर्ग गज में फैला है. इसे वक्फ प्रॉपर्टी नंबर 3493 के नाम से भी जाना जाता है. इसके आधिकारिक निगहेबान हाजी अब्दुल समद से बात की गई. समद ने राष्ट्रीय राजमार्ग से सटी मजार समेत जमीन को बेचने पर रजामंदी दिखाई.  

समद को 2013 में इस संपत्ति का केयरटेकर नियुक्त किया गया था. समद ने संपत्ति को 99 साल की लीज के लिए देने की पेशकश की.

समद ने कहा, ‘मैं इसे 99 साल की लीज पर आपको दूंगा. बस फिर सब कुछ आपका होगा. ये 754 वर्ग गज है जिसमें दरगाह 150 वर्ग गज में बनी हुई है.’  इसके बाद समद ने इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने जमीन पर निर्माण कराने के लिए अपनी तरफ से कुछ टिप्स भी दीं.

समद ने कहा, ‘मजार को पहली मंजिल (किसी भावी इमारत) की छत के नीचे लिए जा सकता है. ये बहुत हद तक मुमकिन है. मैं सब कुछ पक्के ढंग से कराऊंगा.’    

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समद ने दावा किया, ‘जो कुछ भी करूंगा उसे उनसे (वक्फ बोर्ड) से मंजूर कराऊंगा. उसी के हिसाब से कीमत तय होगी. वक्फ के अधिकारी पुलिस से भी ज्यादा चार्ज करते हैं.’  समद ने अपनी निगरानी के तहत आने वाली पूरी वक्फ संपत्ति के लिए प्रति गज 55,000 रुपए या चार करोड़ रुपए से ज्यादा की मांग की.

समद ने कहा, ‘मैं आपको बता रहा हूं कि रजिस्ट्रेशन के लिए 55 (55,000 रुपए प्रति गज) से एक रुपया भी कम नहीं होगा. यहां कोई छूट नहीं.’ 

इंडिया टुडे इंवेस्टीगेटिव टीम की तहकीकात से सामने आया कि ना सिर्फ जानीमानी हस्तियों के मजार बल्कि साधारण मुस्लिमों के कब्रिस्तान भी बिक्री के लिए उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

ग्रेटर नोएडा के कासना कब्रिस्तान के केयरटेकर सदाकत हुसैन का बर्ताव ऐसा था जैसे कि मेरठ के जमीन माफिया के लिए रबर स्टांप के तौर पर काम कर रहा हो.

मेरठ से ताल्लुक रखने वाले सदाकत हुसैन ने कहा कि मैं खाली कागज पर साइन कर सकता हूं. हुसैन का इशारा वक्फ सौदों के लिए अपने हैंडलर से मिले आदेशों की ओर था. 

जब इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने संदिग्ध मुख्य कर्ताधर्ता इकबाल अहमद अंसारी से उसके घर पर बात की तो अंसारी ने ग्रेटर नोएडा मे औकाफ पर अपने ‘असली नियंत्रण’ को ले कर शेखी बधारने में कोई कसर नहीं छोड़ी.  

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अंसारी ने कहा, ‘सारी ताकत मेरे पास है. वो (सदाकत हुसैन) बस मेरी रबर स्टांप की तरह है. सारा नियंत्रण मेरे पास है.’  

फिर संदिग्ध माफिया ने कासना कब्रिस्तान की जमीन के लिए छूट देने की भी पेशकश की.

अंसारी ने कहा कि मैं 5,000 वर्ग गज जमीन की कीमत आपके लिए छोड़ दूंगा. मैं 25,000 वर्ग गज जमीन दूंगा लेकिन कीमत 20,000 वर्ग गज की ही लूंगा.  

अंसारी ने ये भी बताया कि सौदे में रिश्वत कैसे काम करेगी. अंसारी ने कहा, “वक्फ बोर्ड को रिश्वत काले धन में दी जाएगी. हम उन्हें अपनी ओर से एक लाख या दो लाख रुपए दान के तौर पर भी अपनी ओर से देंगे. सिर्फ दिखाने के लिए.” 

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