
भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) ने शहरी क्षेत्रों में बढ़ते वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए, वायु प्रदूषण नियंत्रण टॉवर (APCT) के प्रोटोटाइप को स्वदेशी रूप से विकसित और तैयार किया है. केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडे ने बुधवार को इस वायु प्रदूषण नियंत्रण टावर का उद्घाटन किया.
हाल ही में BHEL ने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अपने तरह का यह पहला एपीसीटी नोएडा प्राधिकरण के सहयोग से नोएडा में स्थापित किया है. यह टावर लगभग एक वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता में सुधार करेगा. डीएनडी और नोएडा एक्सप्रेसवे पर यातायात अत्यधिक होने के कारण इस क्षेत्र में उत्पन्न अधिकतम प्रदूषण को देखते हुए इस टावर की स्थापना डीएनडी फ्लाईवे और स्लिप रोड के बीचों-बीच स्थित साइट पर की गई है.
उल्लेखनीय है कि नोएडा समेत सम्पूर्ण NCR में प्रत्येक वर्ष शीतऋतु में वायु की गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक गिर जाती है, जिसके कारण जनमानस को अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ता है. सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (SPM), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) नाइट्रोजन के ऑक्साइड्स (NO) एवं कार्बन मोनोऑक्साइड ( CO) इत्यादि मिलकर वायु को प्रदूषित करते हैं. इस समस्या के निराकरण हेतु वायु प्रदूषण नियंत्रण टावर की स्थापना आवश्यक है.
वायु प्रदूषण नियंत्रण टावर बड़े पैमाने पर हवा को साफ करने के लिए डिजाइन की गई संरचना है. प्रदूषित हवा के वायु प्रदूषण नियंत्रण टावर में प्रवेश करने के बाद इसे वातावरण में पुनः छोड़ने से पहले कई परतों द्वारा साफ किया जाता है. इस वायु प्रदूषण नियंत्रण टावर को बड़े पैमाने पर वायु शोधक के रूप में उपयोग किया जा सकेगा.
'इस विकसित उत्पाद की लागत कम है'
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ ने कहा कि यह एपीसीटी पूर्ण रूप से स्वदेशी है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "मेक इन इंडिया" अभियान को भी सफल बनाता है. मुझे बताया गया है कि इस विकसित उत्पाद की लागत कम है. मुझे विश्वास है कि BHEL के इंजीनियर इस उत्पाद को बेहतर बनाने और इसकी लागत को और कम करने के लिए अधिक काम करेंगे ताकि जहां भी वायु प्रदूषण की समस्या है, वहां ऐसे कई टॉवर लगाए जा सकें.
कितना आएगा खर्च ?
बता दें, उक्त वायु प्रदूषण नियंत्रण टावर के संचालन में प्रतिवर्ष 37.00 लाख रुपये का व्यय होना आंकलित है. जिसमें उपकरणों के अनुरक्षण में 15 लाख रुपये तथा प्रतिवर्ष विद्युत आपूर्ति पर 22 लाख रुपये का खर्च आएगा.