
सिविल सेवा की परीक्षा पास करना किसी ख्वाब जैसा होता है. आज भी भारत में इस एग्जाम को जो इज्जत प्राप्त है उसका दर्जा सबसे ऊपर माना जाता है. यही वजह है कि जब UPSC का रिजल्ट आता है तो इसकी चर्चा होती है और कामयाबी की नई-नई गाथाएं निकलकर सामने आती हैं. 2021 की परीक्षा के फाइनल रिजल्ट में भी कुछ ऐसे ही कहानियां सामने आई हैं.
उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की श्रुति शर्मा ने पूरे देश में टॉप किया है. लेकिन उनके अलावा बिजनौर जिले की दो और लड़कियां भी हैं जिन्होंने इस बार एग्जाम क्लीयर किया है. ये हैं स्मृति भारद्वाज और शुमायला चौधरी. बिजनौर की ही रहने वाली टीम इंडिया की स्टार गेंदबाज मेघना सिंह ने भी इस रिजल्ट पर अपनी विशेज शेयर की हैं.
UPSC 2021 एग्जाम के फाइनल रिजल्ट 30 मई को घोषित किए गए हैं. इस बार 685 कैंडिडेट्स का चयन हुआ है. ऑल इंडिया में पहली रैंक श्रुति शर्मा ने पाई है. जबकि दूसरी रैंक अंकित अग्रवाल और तीसरी रैंक गामिला सिंगला ने पाई है.
डॉक्टर शुमायला चौधरी ने लहराया परचम
शुमायला चौधरी ने 368वीं रैंक पाई है. यूपीएससी की तैयारी से पहले शुमायला एमबीबीएस पूरा कर चुकी हैं. यानी डॉक्टर बनने के बाद उन्होंने सिविल सेवा में किस्मत आजमाई और कामयाबी पाई. शुमायला यूपी के जिला बिजनौर की रहने वाली हैं. यहां के कस्बा सहसपुर में उनका परिवार रहता है.
शुमायला के पिता किफायतुल्ला चौधरी अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उन्होंने अपने पूरे परिवार को पढ़ाई की अहमियत बताई और बच्चों को काबिल बनाया. शुमायला की शुरुआती पढ़ाई अपने इलाके में ही हुई. धामपुर के सेंट मैरी स्कूल से उन्होंने 10वीं की परीक्षा करीब 90 फीसदी अंक के साथ पास की. इसके बाद वो दिल्ली आ गईं और यहां के एंड्र्यूज गंज स्थित केंद्रीय विद्यालय से 12वीं पास की. शुमायला को मैथ्स और बायो दोनों ही पसंद थे. इसके बाद शुमायला ने दिल्ली के ही मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से MBBS किया.
इंटर्नशिप करते-करते आया यूपीएससी करने का ख्याल
Aajtak.in से बात करते हुए शुमायला ने बताया कि एमबीबीएस के बाद जब वो इंटर्नशिप कर रही थीं तो उन्होंने जिंदगी को एक अलग नजरिए से देखा. पहले उन्होंने अपनी डॉक्टर बहन को देख एमबीबीएस करने का ख्वाब देखा था लेकिन फिर आसपास के कुछ ऐसे हालात दिखे कि सिविल सेवा में जाने का मन बनाया. शुमायला ने जामिया यूनिवर्सिटी के रेसिडेंशियल कोचिंग एकेडमी (RCA) से तैयारी शुरू की. तीन बार उनकी कोशिश फेल हो गई लेकिन चौथे अटेम्पट में वो कामयाब हो गईं. शुमायला ने बताया कि वो पहली बार इंटरव्यू तक पहुंची थीं.
फ्यूचर प्लान पर शुमायला ने बताया कि उनके एजेंडे में हमेशा जनता की सेवा और विशेषकर महिलाएं रहेंगी. शुमायला ने कहा कि रैंक के हिसाब से मुझे आईपीएस मिलने की उम्मीद है, लेकिन जो भी जिम्मेदारी मिलेगी उसके हिसाब से सेवा करूंगी. शुमायला के परिवार में मां के अलावा दो बड़े भाई एक और बहन हैं. सबसे बड़े भाई रेलवे में कॉमर्शियल इंस्पेक्टर हैं, उनसे छोटे भाई डेंटिस्ट हैं और बहन MBBS MD हैं जो दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में तैनात हैं.
शुमायला को नहीं पसंद मूवीज
शुमायला न किसी बॉलीवुड स्टार को आइकन मानती हैं, न ही वो किसी क्रिकेटर की फैन हैं. शुमायला ने बताया कि वो स्कूल टाइम से ही APJ अब्दुल कलाम की फैन हैं और उन्हें ही आदर्श माना है. फिल्म और म्यूजिक भी पसंद शुमायला को नहीं है. उन्हें सिर्फ नुक्कड़ नाटक में दिलचस्पी है.
इस साल यूपीएससी टॉप करने वाली श्रुति और शुमायला की दोस्ती भी है. शुमायला ने बताया कि श्रुति हमारे साथ RCA में ही थी, वो मेरी दोस्त हैं. रिजल्ट के बाद हम दोनों की बात हुई है और दोनों ने एक दूसरे को बधाई दी.
बिजनौर की ही रहने वाली हैं टॉपर श्रुति शर्मा
शुमायला को जहां एग्जाम पास करने में चार अटेम्पट लगे वहीं श्रुति शर्मा ने अपने दूसरे अटेम्पट में ही झंडे गाड़ दिए हैं. श्रुति का परिवार मूल रूप से यूपी के जिला बिजनौर का रहना वाला है. यहां श्रुति का परिवार बास्टा नाम की जगह में रहता है. 1997 में श्रुति का जन्म यहीं हुआ था. श्रुति का बचपन यहीं बीता लेकिन जल्द ही उनके पिता सुनील शर्मा परिवार के साथ दिल्ली शिफ्ट हो गए. दिल्ली में सरदार पटेल स्कूल से श्रुति ने पढ़ाई की.
इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएकशन कम्प्लीट किया. इतिहास की स्टूडेंट रहीं श्रुति ने मास्टर्स के लिए जेएनयू में भी एडमिशन लिया लेकिन यूपीएससी की तैयारी का मन बनाने के बाद उन्होंने यहां पढ़ाई बीच में ही रोक दी. इसके बाद श्रुति ने जामिया यूनिवर्सिटी के रेसिडेंशियल कोचिंग एकेडमी (RCA)से तैयारी शुरू की और अब पूरे देश में नाम कमाया.
श्रुति की नानी ने आजतक से इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने अपनी बेटी यानी श्रुति को मां को भी कापी पढ़ाया और उन्हें वो सिविल सेवा में भेजना चाहती थीं. लेकिन गांव में उस वक्त पढ़ाई के लिए हालात अनुकूल नहीं थे. उन्होंने कहा कि जो सपना मैंने अपनी बेटी के लिए देखा था वो अब नातिन ने पूरा कर दिया. बता दें कि श्रुति का परिवार दिल्ली के ईस्ट कैलाश इलाके में रहता है.
स्मृति भारद्वाज ने भी किया जिले का नाम रोशन
स्मृति भारद्वाज बिजनौर शहर के साहित्य विहार कॉलोनी की रहने वाली हैं. उनके पिता बैंक में मैनेजर हैं और माता ग्रहणी हैं. स्मृति ने तीसरे प्रयास में एग्जाम पास किया और 176 वी रैंक हासिल की है.
स्मृति ने सेल्फ स्टडी और ऑनलाइन पढ़ाई के दम पर ही ये मुकाम हासिल किया है. उन्होंने बताया कि पहले और दूसरे प्रयास में सफल न हो पाने के बाद भी हार नहीं मानी और इस दौरान उनकी माता और पिता ने उनका काफी सहयोग किया.
स्मृति ने 5वीं क्लास तक की पढ़ाई जिले के कस्बा झालू से की. इसके बाद बिजनौर शहर के सेंट मेरी स्कूल से 10वीं और 12वीं की पढ़ाई की. 12वीं टॉप करने के बाद स्मृति ने आईआईटी बीएचयू इलेक्ट्रॉनिक्स में बी.टेक किया. करीब एक साल दिल्ली में जॉब की और इसी दौरान यूपीएससी का एग्जाम भी देती रहीं.
बिजनौर की इन तीनों बेटियों की कामयाबी पर इलाके में खुशी का माहौल है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बधाई दी हैं. टीम इंडिया की स्टार गेंदबाज मेघना सिंह ने भी बधाई संदेश दिया है. मेघना भी बिजनौर की ही रहने वाली हैं.
(कुमार कुणाल और संजीव शर्मा के इनपुट के साथ)