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आवारा पशु, बेरोजगारी... 2024 में चाहिए जीत तो CM योगी को इन 8 चुनौतियों से पाना होगा पार

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बंपर जीत के साथ सत्ता में वापसी की है. बीजेपी गठबंधन 273 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रहा. लेकिन इस एतिहासिक जीत के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए कई बड़ी चुनौतियां उनका इंतजार कर रही हैं.

CM Yogi Adityanath CM Yogi Adityanath
मृणाल सिन्हा
  • नई दिल्ली,
  • 15 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 8:06 AM IST
  • आवारा पशुओं से कैसे निजात दिलाएंगे योगी
  • जातिवाद के आरोपों से योगी को पार पाना होगा
  • रोजगार देने और पुरानी पेंशन बहाल की चुनौती

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत के बाद एक बार फिर से योगी आदित्यनाथ (yogi adityanath) मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हैं. यूपी फतह के बाद अब बीजेपी के सामने 2024 लोकसभा चुनाव का रण होगा, जिसे जीतने के लिए उत्तर प्रदेश अहम राज्य है.

हालांकि, योगी सरकार 2.0 के सामने कई चुनौतियां होंगी जिनसे पार पाना उनके लिए जरूरी है. आवारा पशुओं का मसला, बेरोजगारी जैसे कई मुद्दे हैं जिनसे पार होकर ही बीजेपी 2024 का किला फतह कर सकती है.

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1. बेरोजगारी से निपटने की चुनौती

बेरोजगारी को लेकर बार- बार विपक्ष के निशाने पर आई राज्य सरकार के लिए इससे छुटकारा पाने की चुनौती बड़ी होगी. दरअसल, पिछले कुछ सालों में प्रदेश समेत देशभर में रोजगार में कमी आने की कई रिपोर्ट्स सामने आ चुकी हैं. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के अनुसार यूपी में बेरोजगारों की संख्या 17.07 करोड़ पहुंच गई है. कोरोना काल में कई लोगों ने बैठे-बिठाए अपनी नौकरी से हाथ धो लिया.नौकरी कर रहे लोगों की तादाद 16 लाख से ज्यादा घट गई है.वहीं, आगामी 5 वर्षों में यूपी में रोजगार पैदा करना अब योगी के सामने बड़ा चैलेंज होगा. सरकारी नौकरी के साथ-साथ कोरोना काल में बेहाल हुए लोगों के लिए नए मौके और रोजगार के अवसर पैदा करना योगी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगी.

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2. पुरानी पेंशन स्कीम का मुद्दा

उत्तर प्रदेश के चुनाव में पेंशन स्कीम और उससे नाराज कर्मचारियों का मुद्दा काफी हावी रहा. सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की बात कही. इसका चुनाव में असर भी दिखा था. पोस्टल बैलेट पेपर में बीजेपी को हार और सपा को जीत मिली है, जिससे साफ तौर पर समझा जा सकता है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए यह मुद्दा कितना अहम रहा. 

वहीं, राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार और छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का ऐलान कर अन्य प्रदेशों पर दबाव डाल दिया. ऐसे में यूपी में सरकारी कर्मचारियों का प्रेशर योगी सरकार पर बढ़ गया. योगी सरकार पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने की दिशा में क्या कदम उठाती है. हालांकि, बीजेपी ने पुरानी पेंशन को लेकर किसी तरह का कोई वादा चुनाव में नहीं किया था.  

3. किसानों को कैसे 'खुश' करेगी सरकार?

लंबे समय तक चले किसान आंदोलन को लेकर विपक्षी दलों ने भाजपा सरकार को किसान विरोधी सरकार बताने की पूरी कोशिश की. लेकिन पांच राज्यों के चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए. मगर एक साल तक इस मामले पर जितना बवाल हुआ उससे साफ है कि साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले किसानों के लिए और कई तरह के आर्थिक लाभ देने होंगे.

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उत्तर प्रदेश में किसानों के लिए मोदी सरकार योजनाएं भी चला रही हैं. मगर इसके बावजूद योगी सरकार के सामने किसानों को खुश रखने की चुनौती होगी. बीजेपी ने यूपी में किसानों की मुफ्त बिजली से लेकर गन्ना किसानों का भुगतान और सिचाई से लिए पानी देना  का वादा कर रखा है. ऐसे में किसानों के मुद्दों का समाधान करना बेहद जरूरी होगा. 

4. आवारा पशुओं का निकालना होगा हल

यूपी चुनाव से पहले विरोधी पार्टियों ने आवारा पशुओं के मुद्दे पर सरकार को खूब घेरा. पश्चिम यूपी से लेकर पूर्वांचल तक, आवारा पशुओं का यह मुद्दा काफी बड़ा बना रहा. विधानसभा चुनाव के दौरान लगातार विपक्ष योगी सरकार पर हमलावर रहा. यह मुद्दा आवारा पशुओं द्वारा किसानों की फसल चर जाने से जुड़ा है तो ये अपने आप में अहम हो जाता है. खेतों को इन आवारा पशुओं से बचाने के लिए किसानों को तारबंदी करने से लेकर रात-रात भर जागने पड़ते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चुनावी रैलियों के दौरान आवारा पशुओं की समस्या को हल किए जाने का वादा किया था. अब जब योगी सरकार ने बहुमत के साथ वापसी की है, तो उनपर आवारा पशुओं के समस्या से निपटने की चुनौती होगी. 

5. अयोध्या के बाद अब मथुरा वृंदावन की बारी?

बीजेपी के एजेंडे में लंबे समय से शामिल रहा अयोध्या का राम मंदिर भले ही बनना शुरू हो गया हो लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनाव से पहले मथुरा वृंदावन को लेकर भी बड़ा ऐलान कर दिया था. बीते साल एक जनसभा में उन्होंने कहा था कि अब काशी में भगवान विश्वनाथ का धाम जो भव्य रूप से बन रहा है फिर मथुरा- वृंदावन कैसे छूट जाएगा. वहां भी अब काम आगे बढ़ चुका है.  मालूम हो कि मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद पर भी विवाद छिड़ा हुआ है. अब ऐसे में देखना ये है कि क्या सीएम योगी आगामी सरकार में मथुरा- वृंदावन को लेकर भी बड़ा कदम उठा सकते हैं?
 
6. कानून व्यवस्था को बनाए रखने की चुनौती

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योगी सरकार अपने पहले कार्यकाल में अपराध के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है. कई माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई हुई है. वहीं, कई बदमाशों के एनकाउंटर भी हुए. उन्नाव के बिकरू कांड के आरोपी विकास दुबे की एनकाउंटर में मौत का मुद्दा भी लंबे समय तक छाया रहा. इसके अलावा, मुख्तार अंसारी से लेकर अतीक अहमद तक कई बाहुबलियों पर भी एक्शन लिया गया. पिछले पांच सालों में कई माफियाओं की अवैध संपत्तियों पर बुल्डोजर चलाया गया जिसकी वजह से चुनाव में भी इस मुद्दे का खूब जिक्र हुआ. सीएम समेत तमाम बीजेपी नेताओं ने दावा किया कि माफियाओं के खिलाफ ऐसी बुल्डोजर कार्रवाई आगे भी चलती रहेगी. ऐसे में अब योगी आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल में अपराध के खिलाफ छवि बनाए रखने की भी चुनौती होने वाली है. 

7. बिजली के इस मुद्दे से निपटना होगा

उत्तर प्रदेश में महंगी बिजली की दर चुनाव में एक बड़ा मुद्दा रहा है. वहीं आम आदमी पार्टी की फ्री बिजली के चर्चे देशभर में हैं तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चुनाव में 300 युनिट फ्री बिजली देने का वादा किया था. यही कारण रहा कि सरकार के किसानों की सिंचाई वाली बिजली के दाम आधे करने पड़े थे और चुनाव से पहले मेनिफेस्टों में अगले पांच सालों तक सिंचाई की बिजली फ्री देने का वादा भी किया गया. यूपी पावर कार्पोरेशन को जिस तेजी से घाटा हो रहा है उसकी भरपाई तो बिजली की दरें बढ़ाने से ही हो सकेगी. ऐसे में जीत के बाद आम आदमी के लिए बिना बिजली के दाम बढ़ाए इस घाटे को कैसे कम किया जाए? योगी सरकार के इसके लिए सटीक रास्ता निकालना ही होगा.

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8. जातिवाद के आरोपों से निपटना होगा
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार पर ब्राह्मण विरोधी और ठाकुर परस्त नेरेटिव सेट करने की विपक्षी दलों की तमाम कोशिश की गई. कई सारे विरोधी नेताओं ने ये भी आरोप लगाया कि धनंजय सिंह जेल से बाहर इसीलिए है, क्योंकि ठाकुर हैं और उसपर योगी की रहम है, वरना कोई ब्राह्मण और मुस्लिम अपराधी होता तो वो जेल के भीतर होता. ऐसे में भले ही इस बार के चुनाव में योगी सरकार की वापसी हो गई हो, लेकिन अगले पांच सालों में ऐसा जातिवाद का आरोप उनपर लगता रहा तो आगे की राह उनके लिए आसान नहीं होगी. ऐसे में योगी सरकार के लिए सबसे बड़ा चैलेंज जातिवाद के आरोपों से पार पाने की होगी.

 

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