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CAA विरोधी चेहरों ने बनाई जस्टिस पार्टी, 'तराजू' चुनाव चिन्ह मांगा

उत्तर प्रदेश में सीएए-एनआरसी आंदोलन का नेतृत्व करने वालों ने अब राजनीतिक पिच पर उतरने का फैसला किया है. सीएए के विरोध करने वाले कुछ लोग सपा और कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं. वहीं, ऐसे भी कुछ लोग हैं, जिन्होंने मिलकर एक राजनीतिक पार्टी बनाने का फैसला किया है, जिसकी कमान उन्होंने पूर्व सांसद इलियास आजमी को सौंपी है. 

सीएए-एनआरसी आंदोलन (फाइल फोटो PTI) सीएए-एनआरसी आंदोलन (फाइल फोटो PTI)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 07 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 3:34 PM IST
  • सीएए-एनआरसी के खिलाफ यूपी में हुआ था प्रदर्शन
  • सीएए प्रदर्शनकारी बना रहे अपनी राजनीतिक पार्टी
  • राष्ट्रीय जस्टिस पार्टी की कमान इलियास आजमी के हाथ

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ एक साल पहले खड़े हुए आंदोलन कोराना के चलते भले ही खत्म हो गए हों लेकिन उसकी सियासी तपिश अभी भी जिंदा है. उत्तर प्रदेश में सीएए-एनआरसी आंदोलन का नेतृत्व करने वालों ने अब राजनीतिक पिच पर उतरने का फैसला किया है. सीएए के विरोध करने वाले कुछ लोग सपा और कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं. वहीं, ऐसे भी कुछ लोग हैं, जिन्होंने मिलकर एक राजनीतिक पार्टी बनाने का फैसला किया है, जिसकी कमान उन्होंने पूर्व सांसद इलियास आजमी को सौंपी है. 

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सीएए और एनआरसी के खिलाफ यूपी की सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने वालों ने मिलकर एक सियासी पार्टी की नींव रखी है. राष्ट्रीय जस्टिस पार्टी के नाम से आवेदन किया गया है, जिसके लिए चुनाव निशान तराजू रखने की मांग की है. इतना ही नहीं दस जनवरी को लखनऊ में पार्टी कार्यालय का उद्घाटन भी होना जा रहा है. बताया जा रहा है कि इस पार्टी के तहत सीएए और एनआरसी के खिलाफ आंदोलन करने वाले लोग चुनावी किस्मत आजमाएंगे. 

राष्ट्रीय जस्टिस पार्टी के अध्यक्ष बनाए गए इलियास आजमी ने aajtak.in से बातचीत करते हुए स्वीकार किया कि सीएए-एनआरसी के खिलाफ बगावत का झंडा उठाने वाले लोंगो ने ही पार्टी का गठन किया है. उन्होंने कहा कि दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ों को उनके हक दिलाने के लिए लड़ाई लड़ेंगे. इतना ही नहीं इलियास आजमी ने कहा कि पहले संगठन को यूपी में मजबूती से खड़ा करेंगे और आगामी 2022 का विधानसभा चुनाव में उतरेंगे. 

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उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में जो पार्टियां हैं, वो दलित और अल्पसंख्यकों को मुद्दे को नहीं उठा रही हैं जबकि सूबे में दोनों समुदाय का उत्पीड़न हो रहा है. ऐसे में हमारी पार्टी उनकी आवाज बनेगी. राष्ट्रीय जस्टिस पार्टी में आजमगढ़ जिले के पूर्व विधायक अब्दुस सलाल और मो. इरशाद शामिल हैं. इलियास आजमी यूपी के लखीमपुर से कई बार सांसद रह चुके हैं. जनता पार्टी से लेकर जनता दल, बसपा और आम आदमी पार्टी में रह चुके हैं. 

बता दें कि सीएए-एनआरसी के खिलाफ दिल्ली से उठा आंदोलन यूपी पहुंचा था. यूपी में यह आंदोलन काफी हिसंक हो गया था, सरकारी बसें और सार्वजनिक संपत्तियां आग के हवाले कर दी गई थीं. इस दौरान कई आंदोलनकारियों की पुलिस की गोलियों से जान भी चली गई थी. इतना ही नहीं सार्वजानिक संपत्तियों के नुकसान की भरपाई योगी सरकार ने आंदोलनकारियों से करने का नोटिस जारी किय था और साथ ही उनके पोस्टर भी चस्पा किए गए थे. 

लखनऊ के घंटा घर में दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर महिलाओं का एक बड़ा आंदोलन सीएए-एनआरसी के खिलाफ स्थापित हो गया था, उसके बाद सूबे के दूसरे शहरों में भी ऐसे ही आंदोलन शुरू हो गए थे. इन आंदोलन को अलग-अलग शहरों में अलग लोग लीड कर रहे थे, जिनमें से तमाम लोगों की बाद में गिरफ्तारियां भी हुई थीं. सूबे में सीएए-एनआरसी के खिलाफ आंदोलन के जरिए पहचान बनाने वाले अब चुनावी किस्मत आजमाने की कवायद में हैं. 

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वहीं, सीएए-एनआरसी के खिलाफ लखनऊ में 19 जनवरी को आंदोलन में रिहाई मंच का नाम चर्चा में आया था.  रिहाई मंच के अध्यक्ष मो. शोएब की गिरफ्तारी हुई थी और मंच के खिलाफ मुकदमा दर्ज भी हुआ था. रिहाई मंच से भी इलियास आजमी संपर्क रहे हैं. हालांकि, रिहाई मंच ने अलग चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है. मंच के महासचिव राजीव यादव ने aajtak.in से बताया कि आजमगढ़ जिले की सीट से चुनावी मैदान में उतरेंगे. उन्होंने कहा कि हम तमाम आंदोलनकारियों को एकजुट कर रहे हैं और उन्हें विधानसभा चुनाव ही नहीं बल्कि पंचायत चुनाव में भी उतारेंगे. 


 

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