
उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों ने महंगाई भत्ते समेत अन्य भत्तों पर रोक लगाने के योगी सरकार के फैसले का विरोध किया है. इस मामले पर उत्तर प्रदेश के जूनियर हाई स्कूल पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों का महंगाई भत्ता और अन्य भत्ते जनवरी 2020 से जून 2021 तक कोरोना महामारी के कारण रोकने के आदेश का उल्लेख किया गया है.
देश-दुनिया के किस हिस्से में कितना है कोरोना का कहर? यहां क्लिक कर देखें
जबकि कोरोना से जंग के बीच आर्थिक संकट को देखते हुए प्रदेश के शिक्षकों ने अपना एक दिन का वेतन स्वेच्छा से मुख्यमंत्री राहत कोष में दिया था. शिक्षकों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपील की है कि भत्ता रोकने से शिक्षकों का मनोबल गिरेगा. साथ ही यह भी कहा कि इसका प्रदेश के शिक्षक, कर्मचारी, अधिकारी, डॉक्टर, कानून व्यवस्था में लगे कोरोना वारियर्स के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. इसलिए उनके हितों को देखते हुए आदेश वापस लिया जाए.
बता दें कि कोरोना संकट के बीच आर्थिक संकट को देखते हुए केंद्र के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने महंगाई भत्ते पर रोक लगाने का फैसला किया है. जिसके तहत कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को डीए नहीं मिलेगा. कर्मचारियों का 1 जनवरी 2020 से जून 2021 तक का महंगाई भत्ता बंद रहेगा.
कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहें...
महंगाई भत्ता रोके जाने के खिलाफ SC में याचिका
केंद्र सरकार के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता रोकने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सेना के एक रिटायर्ड अफसर ने इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है. दायर याचिका में महंगाई भत्ता कटौती के फैसले को वापस लेने के लिए कोर्ट की ओर से केंद्र सरकार को निर्देश दिए जाने की मांग की गई है.
कोरोना पर फुल कवरेज के लिए यहां क्लिक करें
कांग्रेस ने भी किया था विरोध
केंद्र सरकार के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता रोकने के फैसले पर राहुल गांधी के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना की थी. मनमोहन सिंह ने कहा था कि मौजूदा वक्त में सरकारी कर्मचारियों को आर्थिक रूप से मुश्किल में डालना गैरजरूरी है. इससे पहले पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मोदी सरकार के इस फैसले को अमानवीय और असंवेदनशील कहा था.