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कैराना: एकजुट विपक्ष पर भारी पड़ सकती है BJP, तबस्सुम की राह में ये हैं रोड़े

कैराना लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी को मात देने के लिए गोरखपुर-फूलपुर की तर्ज पर विपक्ष आरएलडी उम्मीदवार तबस्सुम हसन को जिताने के लिए एकजुट हो गया है. तबस्सुम का मुकाबला बीजेपी के दिवंगत सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह से है.

फाइल फोटो फाइल फोटो
कुबूल अहमद/राम कृष्ण
  • नई दिल्ली/लखनऊ,
  • 21 मई 2018,
  • अपडेटेड 2:05 AM IST

कैराना लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी को मात देने के लिए गोरखपुर-फूलपुर की तर्ज पर विपक्ष आरएलडी उम्मीदवार तबस्सुम हसन को जिताने के लिए एकजुट हो गया है.

तबस्सुम का मुकाबला बीजेपी के दिवंगत सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह से है. हालांकि आरपार की इस चुनावी जंग में तबस्सुम की राह आसान नहीं दिख रही, क्योंकि उनके रास्ते में अपनों ने ही कांटे बिछा रखे हैं.

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परिवार से ही चुनौती

आरएलडी उम्मीदवार तबस्सुम हसन के खिलाफ सपा, बसपा और कांग्रेस ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है, लेकिन उनकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा उनके ही देवर कंवर हसन हैं. कंवर हसन लोक दल से उम्मीदवार हैं.

इसके अलावा तबस्सुम के दूसरे देवर कैराना से नगर पालिका अध्यक्ष अनवर हसन भी उनके खिलाफ प्रचार कर रहे हैं. तबस्सुम हसन के भाई वसीम चौधरी को लेकर मुसलमानों के एक तबके में काफी नाराजगी है.

कहा जा रहा है कि कंवर हसन के उतरने के पीछे कांग्रेस नेता इमरान मसूद का हाथ है. इमरान मसूद के भाई सलमान बाकायदा कंवर हसन के लिए वोट भी मांग रहे हैं.

गोरखपुर-फूलपुर जैसा एकजुट नहीं है विपक्ष

कैराना सीट पर विपक्ष की ओर से आरएलडी ने तबस्सुम हसन को उम्मीदवार बनाया है, लेकिन जिस प्रकार गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष एकजुट होकर मैदान में उतरा था, वैसा नजारा यहां नहीं दिख रहा है.

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गोरखपुर और फूलपुर में सपा उम्मीदवार के लिए बाकायदा बसपा कार्यकर्ता वोट मांगते नजर आए थे. सपा के कुछ नेता भले ही कैराना में दिख रहे हैं, लेकिन बसपा नेता कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं. सपा के मूलवोट यादव मतदाता इस लोकसभा सीट पर बहुत कम हैं.

वहीं, बसपा-कांग्रेस आलाकमान की ओर से भी प्रचार को लेकर अभी तक कोई ऐलान नहीं हुआ है. दोनों पार्टियों से अब तक कोई नेता चुनाव प्रचार में नहीं उतरा है. इसके चलते कार्यकर्ता भी खामोश हैं.

नकुड़ विधानसभा क्षेत्र से बसपा कार्यकर्ता नरेश जाटव कहते हैं कि पार्टी की ओर से जो आदेश आएगा, वो किया जाएगा. फिलहाल कुछ कहा नहीं गया है. लिहाजा कांग्रेस कार्यकर्ता घर बैठे हैं.

इमरान मसूद इसी संसदीय सीट से आते हैं. वो एक दिन भी चुनाव प्रचार में नहीं उतरे. मसूद कहते हैं कि पार्टी लाइन से हटकर कोई काम नहीं करूंगा, जो आलाकमान का आदेश होगा, उसका पालन करूंगा. मालूम हो कि कैराना में उपचुनाव के लिए प्रचार खत्म होने में महज पांच दिन ही बचे हैं.

जाटों का नहीं पिघल रहा दिल

मुजफ्फरनगर दंगे की आंच अभी लोगों के अंदर धधक रही है. जाट और मुस्लिमों के बीच बढ़ी दूरियां पूरी तरह से पटी नहीं हैं. हालांकि तबस्सुम हसन आरएलडी से उम्मीदवार हैं, लेकिन इसके बावजूद जाट समुदाय का दिल जीत पाने में सफल होती नहीं दिख रही हैं.

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जबकि योगी सरकार जाटों को साधने के लिए मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपियों से केस वापस लेने की तैयारी में है. कैराना चुनाव में बीजेपी के लिए ये ट्रंप कार्ड साबित हो सकता है.

हिंदू बनाम मुस्लिम

कैराना चुनाव की राजनीतिक बिसात को हिंदू बनाम मुस्लिम बनाने की भी लगातार कोशिश हो रही है. कैराना के 17 लाख मतदाताओं में से पांच लाख मुस्लिम हैं. इसी क्षेत्र से योगी सरकार के दो मंत्री सुरेश राणा और धर्म सिंह सैनी हैं. सुरेश राणा जहां हिंदुत्व का चेहरा हैं, तो वहीं धर्म सिंह सैनी हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों में पैठ रखते हैं.

बीजेपी उम्मीदवार मृगांका सिंह के साथ उनका गुर्जर समुदाय है. इसके अलावा जाट, राजपूत और सैनी वोट भी मृगांका की ताकत हैं. जाटव मतदाता बीएसपी आलाकमान के फरमान के इंतजार में है, जबकि मुस्लिम मतों में मृगांका सिंह सेंधमारी करती दिख रही हैं.

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