
उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति (स्कॉलरशिप) दिए जाने के मामले में एक बड़ा घोटाला सामने आया है. अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं के लिए केंद्र सरकार की पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत 7000 फर्जी बैंक खाता खोलकर 10 करोड़ रुपये घालमेल कर निकाल लिया गया है.
भारत सरकार की ओर से नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल के माध्यम से अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति दी जाती है. लेकिन उत्तर प्रदेश के 3 शहरों मुरादाबाद, अमरोहा और संभल जिले में करीब 7,000 फर्जी बैंक खाता खोलकर 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की छात्रवृत्ति हड़प ली गई. जांच के मुताबिक छात्रवृत्ति की रकम हड़पने के लिए बैंक में जिन शिक्षण संस्थाओं और बच्चों के नामों का इस्तेमाल किया गया वो सब के सब फर्जी थे.
अफसरों की भूमिका संदिग्ध
इस घोटाले में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अफसरों की भी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है. इस मामले में अमरोहा जिले के एक पूर्व जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को गिरफ्तार भी किया जा चुका है.
सरकार ने छात्रवृत्ति घोटाला रोकने के लिए रकम सीधे छात्र-छात्राओं के खातों में ट्रांसफर करने का नियम बनाया था, लेकिन फर्जीवाड़ा करने वालों ने उसमें भी रास्ता निकाल लिया.
मामले का खुलासा तब हुआ जब अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की तरफ से छात्रवृत्ति की रकम की सूची जारी करते वक्त कुछ संस्थाओं पर संदेह हुआ. मामले की जांच की गई तो में पता चला कि मुरादाबाद के 3, अमरोहा के 5 और संभल की 12 शिक्षण संस्थाएं पूरी तरह से फर्जी हैं. छात्रवृत्ति की रकम पाने के लिए ये संस्थान सिर्फ कागजों में चलाई जा रही हैं.
जांच के आधार पर अमरोहा के जिला अल्पसंख्यक अधिकारी की तरफ से 3 एफआईआर दर्ज कराई गई हैं, लेकिन मुरादाबाद जिले की तरफ से अभी तक इस संबंध में कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई. मामले की जांच अब क्राइम ब्रांच कर रही है और अमरोहा के पूर्व जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी चंद्रभान श्रीवास्तव को गिरफ्तार कर लिया गया है.
जानकारी के मुताबिक दो दर्जन से ज्यादा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारी भी इस घोटाले में शामिल हैं जिनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. साथ ही आगे भी तमाम शिक्षण संस्थाओं की जांच की जाएगी जिन्हें सरकार की तरफ से वजीफे की रकम मिलती है. उनकी लिस्ट को पूरी तरह से जांचने के बाद ही आगे का वजीफा भुगतान किया जाएगा.