
उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव में जीत का परचम फहराने के लिए राजनीतिक दल रणनीति बनाने में जुट गए हैं. बीजेपी के द्वारा जिला पंचायत सदस्य और ब्लॉक प्रमुख के पदों पर अपने उम्मीदवार उतारे जाने की घोषणा के एक दिन बाद कांग्रेस ने भी ऐलान किया कि वह पूरी मजबूती के साथ पंचायत चुनाव मैदान में उतरेगी और सभी जिलों की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी. सूबे के कांग्रेस मुख्यालय में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की अध्यक्षता में कांग्रेस के विधायक, पूर्व सांसद और पूर्व विधायकों ने अहम बैठक कर अपनी रणनीति की रूपरेखा तय की है.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने बताया कि पार्टी की बैठक में सर्वसम्मति से यह तय किया गया कि कांग्रेस प्रदेश के स्थानीय मुद्दों को लेकर पंचायत चुनावों में पूरी मजबूती के साथ लड़ेगी. कांग्रेस पार्टी बेरोजगारी, बढ़ती मंहगाई, पेट्रोल, डीजल के मूल्यों में ऐतिहासिक वृद्धि, किसानों की समस्याओं एवं योगी सरकार की विफलताओं सहित विभिन्न जनहित के मामलों को लेकर चुनाव मैदान में उतरेगी.
अजय कुमार लल्लू ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी प्रदेश के सभी जिलों में और सभी सीटों पर होने वाले पंचायतों में चुनाव पूरी ताकत के साथ लड़ेगी. सूबे में पिछले दिनों से चलाए गए कांग्रेस संगठन सृजन अभियान के तहत पार्टी का संगठन न्याय पंचायत स्तर तक गठित हो चुका है और अब हम पंचायत चुनाव में पूरे दमखम के साथ उतर रहे हैं. पंचायत चुनाव में कांग्रेस पार्टी की एक बड़ी ताकत के रूप में उभरकर सामने आएगी.
यूपी पंचायत चुनाव की रणनीति तैयार करने के लिए हुई बैठक में कांग्रेस के सचिव जुबेर खान, कांग्रेस विधान मंडल दल की नेता आराधना मिश्रा, एमएलसी दीपक सिंह, छत्तीसगढ़ के प्रभारी एवं पूर्व सांसद पीएल पुनिया और पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी सहित पार्टी के पूर्व विधायक व पूर्व सांसद शामिल हुए थे. इस बैठक में कांग्रेस ने तय किया है कि पंचायत चुनाव में पार्टी के बड़े नेताओं को एक-एक इलाके की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जो वहां पर रहकर चुनावी जीत का आधार तय करेंगे.
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस पंचायत चुनाव के लिए दलित, अतिपिछड़ी और ब्राह्मण सीटों पर खास तौर पर फोकस करेगी. इतना ही नहीं पार्टी ने तय किया है कि ज्यादा से ज्यादा दलित प्रत्याशी उतारे जाएंगे. इसके अलावा ब्राह्मण बहुल सीटों पर ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर उन्हें जिताने की कवायद की जाएगी. इसके अलावा अतिपिछड़े समुदाय से ज्यादा से ज्यादा प्रत्याशी उतारने की रूपरेखा भी खींची गई है.
दरअसल, यूपी का पंचायत चुनाव इसीलिए भी काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में पंचायत चुनाव के जरिए विधानसभा चुनाव की दशा और दिशा तय होगी. इसीलिए बीजेपी के लेकर कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतरने के लिए कमर कस ली है.