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UP: जिला पंचायत-ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में दल से ज्यादा धनबल से सियासी खेल!

यूपी में बीजेपी और सपा ने 50-50 जिला पंचायत अध्यक्ष जिताने का टारगेट तय किया है, जिसके लिए दोनों दल जिला पंचायत सदस्यों को साधने की कवायद में जुटे हैं. हालांकि, जिला पंचायत और ब्लॉक प्रमुख के लिए शह-मात के खेल में दल से कहीं ज्यादा धनबल का खेल होता है. सूत्रों के मुताबिक इस बार जिला पंचायत सदस्यों के लिए ऑफर 5 से 50 लाख तक पहुंच गया है जबकि ब्लॉक प्रमुख के लिए बीडीसी सदस्यों को लुभाने के लिए 50 हजार से 5 लाख तक के ऑफर हैं.

जिला पंचायत के चुनाव जिला पंचायत के चुनाव
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 08 जून 2021,
  • अपडेटेड 3:01 PM IST
  • जिला पंचायत चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गईं
  • कई जगहों पर धनबल का प्रभाव दिख रहा

उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव की सरगर्मियां तेज  हो गई हैं. बीजेपी और सपा ने सूबे में 50-50 जिला पंचायत अध्यक्ष जिताने का टारगेट तय किया है, जिसके लिए दोनों दल जिला पंचायत सदस्यों को साधने की कवायद में जुटे हैं. हालांकि, जिला पंचायत और ब्लॉक प्रमुख के लिए शह-मात के खेल में दल से कहीं ज्यादा धनबल का खेल होता है, जिसके जरिए काबिज होने की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. 

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यूपी पंचायत चुनाव के परिणाम पिछले महीने मई की शुरुआत में घोषित हो चुके हैं, लेकिन अब तक जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है. हालांकि, जिला पंचायत का चुनाव 20 जून तक कराए जाने की संभावना है जबकि ब्लॉक प्रमुख के चुनाव जुलाई माह में कराए जा सकते हैं. 

सपा और बीजेपी ने जिला पंचायत के लिए अपने पत्ते खोल दिए हैं, जिसके तहत कई जिलों में सपा ने अपने उम्मीदवार का ऐलान भी कर दिया है. ऐसे में यूपी के सभी 75 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष के दावेदार जीते हुए सदस्यों को साधने में जुट गए हैं. यूपी के 60 जिलों में निर्दलीय जिला पंचायत सदस्यों के हाथ में जीत की चाबी है.  बीजेपी ने जिले में काबिज होने के लिए निर्दलीय सदस्यों के साथ-साथ दूसरे दलों से जीते हुए जिला पंचायत सदस्यों को भी अपने पाले में मिलाने की मुहिम छेड़ हुई है.

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जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में दलबदल करने वालों किसी तरह के कोई कानूनी खतरा नहीं होता है. इसीलिए दल से ज्यादा धनबल को अहमियत दी जाती है. इस बार एक जिला पंचायत के लिए पांच लाख से 50 लाख रुपये तक के ऑफर हैं. इतना ही नहीं, जिस जिले में मुकाबला कड़ा है, वहां पर जिला पंचायत सदस्यों के लिए ऑफर आसमान छू रहे हैं. नगदी के अलावा लग्जरी गाड़ी का भी ऑफर दिया जा रहा है.

जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जिला पंचायत अध्यक्ष के दावेदार सदस्यों को 5 से 10 लाख रुपये तक की पेशगी देनी शुरू हो गई है. उन्होंने कहा कि इस बार के चुनाव में कम से कम 15 से 20 करोड़ रुपये का खर्च होगा. उन्होंने बताया कि इस बार का रेट काफी ज्यादा है, क्योंकि किसी भी कैंडिडेट के पक्ष में बहुमत का आंकड़ा नहीं है. इसीलिए सभी दावेदारों ने भी इस बार लेवल ऊंचा कर दिया है. 

पश्चिम यूपी में हर बार की तरह इस बार भी जिला पंचायत का चुनाव काफी महंगा होने जा रहा है. जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में सभी पार्टियां अपना प्रत्याशी की आर्थिक स्थिति को देखकर दांव लगा रही हैं ताकि चुनाव में जब धनबल की जरूरत पड़े तो परेशानी न आए. हालांकि, सामान्य और ओबीसी सीटें के मुकाबले सुरक्षित सीटों पर पैसे का खर्च कम बताया जा रहा है. 

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वहीं, ब्लॉक प्रमुख बनने के लिए भी बीडीसी सदस्यों में जोड़-तोड़ शुरू हो गई है. इस बार ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में एक बीडीसी सदस्य के लिए 50 हजार से पांच लाख रुपये तक का ऑफर है. जिला पंचायत से ज्यादा ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में कांटे मुकाबला होता है. ऐसे में जीते बीडीसी सदस्यों और जिला पंचायत सदस्यों की किस्मत के सितारे बुलंद हैं और वो मौके की नजाकत को देखते हुए बेहतर ऑफर पर विचार कर रहे हैं. 

एक जिला पंचायत सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि चुनाव जीतने के लिए मोटी रकम हमें भी खर्च करनी पड़ी है. उसकी भरपाई भी करनी है. ऐसा ही कुछ बीडीसी सदस्यों का भी कहना है. ऐसे में यूपी के कई जिलों में जीते हुए सदस्य बेहतर प्रस्ताव के साथ दल बदलना शुरू कर दिए हैं. पश्चिम यूपी के एक बड़े जिले में बसपा के समर्थन से जीते सदस्य सपा खेमे में खड़े नजर आ रहे हैं. दूसरे जिलों में भी दलीय निष्ठा बदलने का सिलसिला शुरू हो गया है. 

जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव ग्रामीण और गांव की सियासत का रुख तय करने वाला माना जाता है. इसलिए सभी प्रमुख दल इसको गंभीरता से लेते है. सदस्यों को साधने के लिए सत्तापक्ष की ओर से पूरी ताकत लगायी जाती है जबकि मुख्य मुकाबले में आने की होड़ विपक्षी दलों में भी होती है. 

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सिर्फ जिताऊ ही फार्मूला
जिला अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए धनबल और बाहुबल जरूरी है. प्रदेश की 75 जिला पंचायतों में से 50 से अधिक पर अपने जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने का लक्ष्य लेकर मैदान में उतरी बीजेपी को रोकने के लिए विपक्ष खासतौर से समाजवादी पार्टी ताकत लगाए हुए है. सपा ने भी 50 जिलों पर काबिज होने के लिए ताकत झोंक दी है और अपने कैंडिडेट उतार दिए हैं.

जिला पंचायत चुनाव जीतने का समीकरण बनाने के लिए बाहरी उम्मीदवारों पर दांव लगाने से भी गुरेज नहीं किया जा रहा है. मेरठ में सपा ने बसपा से समर्थन से जीती प्रत्याशी को अपने खेमे में मिलाकर कैंडिडेट घोषि कर दिया है. ऐसे में छोटे दलों की मुश्किलें बढ़ती हैं. उनके समर्थन से चुनाव जीते सदस्यों को दलबदल से रोक पाना आसान नहीं है.हालांकि, अपना दल (एस) की सांसद अनुप्रिया पटेल ने कहा है कि उनकी पार्टी कुछ सीटों पर जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख के चुनाव भी लड़ेगी. 

 

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