Advertisement

UP: कागज की चप्पलें पहनकर बाबा काशी विश्वनाथ के दरबार जाएंगे भक्त, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग की पहल

काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर (Kashi Vishwanath Temple) का दायरा अब बढ़ चुका है. भक्तों को सर्दी या गर्मी में नंगे पैर दर्शन करने जाना होता है. ऐसे में उन्हें ठंड या ​तपिश में परेशानी होती थी. अब इसी समस्या को दूर करने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने कागज से बनी चप्पलें तैयार कराई हैं.

पूजाघर और रसोई में भी इन चप्पलों को पहना जा सकता है.  (Photo: Aajtak) पूजाघर और रसोई में भी इन चप्पलों को पहना जा सकता है. (Photo: Aajtak)
रोशन जायसवाल
  • वाराणसी,
  • 15 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 5:06 PM IST
  • खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने मंदिर परिसर के पास बिक्री शुरू की
  • पूजाघर और रसोई में भी इन चप्पलों को पहना जा सकता है

पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) के हाथों विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद से ही मंदिर में लोगों की सहूलियतों के लिए कुछ न कुछ रोज नया देखने को मिल रहा है. हाल ही में खुद पीएम मोदी ने विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) के सुरक्षाकर्मी सहित अन्य कर्मियों के लिए जूट के जूतों को बतौर तोहफा भेजा था तो इस बार खादी और ग्रामोद्योग आयोग की ओर से आम श्रद्धालुओं का ख्याल करते हैंडमेड कागज से निर्मित चप्पलों को तैयार करके अपनी खादी की दुकानों से बिक्री शुरू कर दी गई है.

Advertisement

आयोग की पहल से श्रद्धालुओं में खुशी

दिल्ली से खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने सैकड़ों जोड़ी जूट और कागज से निर्मित चप्पलों को मंदिर के नजदीक दुकान पर बिक्री के लिए भेज दिया है. अब न तो द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख काशी विश्वनाथ के दरबार में जाने वाले श्रद्धालुओं को संगमरमर और टाइल्स की जमीन पर नंगे पैर खड़े रहने से ठंड लगेगी और न ही गर्मी के दिनों में पैर तपेंगे. 

गर्मी और सर्दी के मौसम में होगी राहत

हैंडमेड कागज की चप्पल लेने खादी इंडिया की दुकान पर आईं सुषमा बताती हैं कि इन शुद्ध चप्पलों की लाइफ चार माह तक है. लिहाजा मंदिर, घर का पूजाघर और रसोई में भी इसका इस्तेमाल करना काफी अच्छा होने वाला है. वहीं एक अन्य भक्त रवि पांडेय ने बताया कि अब तक विश्वनाथ मंदिर में नंगे पैर ही दर्शन के लिए प्रवेश मिलता था, जिससे गर्मी के दिनों में तपिश तो ठंडी में परेशानी होती थी. अब चूंकि मंदिर का दायरा भी बढ़ चुका है और चारों ओर मार्बल और टाइल्स लग चुकी हैं. ऐसे में कागज की चप्पलों का इस्तेमाल करना बहुत नेक पहल है.

Advertisement

काशी हस्तकला प्रतिष्ठान को सौंपी गई बिक्री की जिम्मेदारी

खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने हैंडमेड कागज की चप्पलों की बिक्री मंदिर के नजदीक ही काशी हस्तकला प्रतिष्ठान को सौंपी है, जिसके सचिव धनंजय सिंह ने बताया कि विश्वनाथ मंदिर का विस्तार हो चुका है. संगमरमर और टाइल्स भी काफी लगा हुआ है, जिससे सर्दी के मौसम में ठंड तो गर्मी में पैर भी जलने की परेशानी होगी. इससे बचने के लिए कागज की बनी शुद्ध चप्पलें 50 रुपये में बिक्री के लिए आई हैं. इन चप्पलों का इस्तेमाल मंदिर, रसोईघर, घर के पूजाघर में भी किया जा सकता है. खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने इन खास हैंडमेड कागज की चप्पलों को तैयार कराया है. लोग इन चप्पलों को लेने में खासी दिलचस्पी दिखा रहे हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement