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कॉलोनियों में चल रही नाव, डूबे मकान...वाराणसी समेत यूपी के कई जिलों में बाढ़ का कोहराम

पहाड़ी इलाकों पर लैंडस्लाइड की खबरें आ रही हैं, तो मैदानी इलाकों में बाढ़ के हालात हैं. हिमाचल, उत्तराखंड, यूपी, बंगाल समेत देश के कई राज्य इस वक्त प्रकृति की मार झेल रहे हैं. उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भी गंगा खतरे के निशान को पार कर चुकी है.

वाराणसी समेत कई जिलों में बाढ़ से लोग परेशान वाराणसी समेत कई जिलों में बाढ़ से लोग परेशान
रोशन जायसवाल
  • वाराणसी,
  • 09 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 1:42 PM IST
  • यूपी के कई जिलों में बाढ़ के कारण परेशानी
  • वाराणसी में गंगा खतरे के निशान से ऊपर
  • कानपुर, ओरैया समेत अन्य जिलों में भी असर

उत्तर भारत (North India) के कई राज्यों में लगातार हो रही बारिश के कारण हालात काफी खराब हो गए हैं. पहाड़ी इलाकों पर लैंडस्लाइड की खबरें आ रही हैं, तो मैदानी इलाकों में बाढ़ के हालात हैं. हिमाचल, उत्तराखंड, यूपी, बंगाल समेत देश के कई राज्य इस वक्त प्रकृति की मार झेल रहे हैं. उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भी गंगा खतरे के निशान को पार कर चुकी है. वाराणसी (Varanasi) में गंगा खतरे के निशान से 10 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. जिसके चलते गंगा तटों के बाद नदी का पानी रिहायशी इलाकों में जा पहुंचा है. 

वाराणसी में गंगा (Ganga) किनारे और गंगा की सहायक नदी वरुणा के किनारे बसे हजारों घरों में बाढ़ का पानी घुसने से जलप्रलय जैसे हालात पैदा हो चुके है. जिससे बचने के लिए लोगों का पलायन भी शुरू हो चुका है. लोगों बाढ़ प्रभावित स्थानों से कहीं और या फिर बाढ़ राहत शिविरों का रुख कर रहें हैं, लेकिन वहां भी व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है.

यूपी के कई जिलों में नदियों के बढ़ते जलस्तर के चलते जलप्रलय जैसे हालात पैदा हो चुके हैं. गंगा के अलावा कई नदियां उफान पर हैं, जिससे नदियों के किनारे बने रिहायशी इलाकों में भी पानी घुस चुका है. वाराणसी में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को भी पार कर चुका है और अभी भी बढ़ाव जारी है. वाराणसी में गंगा का जलस्तर 71.36 मीटर दर्ज किया गया है जो खतरे के निशान 71.26 मीटर से 10 सेंटीमीटर ऊपर है. 

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गंगा के अलावा वरुणा का भी जलस्तर बढ़ा, लोग परेशान

उफनाई गंगा के चलते उसकी सहायक नदी वरुणा का भी जलस्तर काफी बढ़ गया है. जिसके चलते गंगा और वरुणा दोनों के तटों पर बसे रिहायशी इलाकों में हजारों मकान जलमग्न हो चुके हैं. जिसके चलते बाढ़ग्रस्त इलाकों से लोगों का पलायन कहीं और या फिर बाढ़ राहत शिविरों की ओर हो चला है. वाराणसी में गंगा किनारे बसे घाट के इलाके की तमाम कालोनियां हो या फिर वरुणा के किनारे दर्जनभर गरीब और बुनकर बस्ती हो, सभी बाढ़ प्रभावित हो चुके हैं. 

वाराणसी के अलग-अलग इलाकों में बुरा हाल

वाराणसी के वरुणा किनारे के बुनकर और मजदूर बहुल इलाकों में सरैया, अमरपुर बटलोहिया, शैलपुत्री, सिंधवाघाट, नक्खीघाट, पुरानापुल, कोनिया, पुलकोहना और दिनदयालपुर के लाखों लोगों की हालत ज्यादा खराब है. क्योंकि यह तबका निहायत ही गरीब है और पूरी तरह से किसी भी तरह की आपदा में शासन-प्रशासन पर आश्रित हो जाता है.

इन्हीं में से एक शैलपुत्री मड़िया के बाढ़ पीड़ित संदीप यादव ने बताया कि सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है, बाढ़ से बचने के लिए सड़क पर तिरपाल डालकर रहना पड़ रहा है. सरकारी मदद के बारे में कोई बताने तक नहीं आया. तो वहीं छगन गुप्ता ने भी बताया कि किसी भी तरह के बाढ़ राहत शिविर की जानकारी नहीं दी गई है. बाढ़ से बचने के लिए या तो रोड पर रहना पड़ रहा है या तो रिश्तेदारों के यहां आसरा लेना पड़ रहा है. 

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‘राहत शिविर तक सीमित रह गई मदद’

वहीं थोड़ी दूरी पर एक अन्य बाढ़ ग्रस्त इलाके के रहने वाले बुनकर मो. जुनैद ने बताया कि कोरोना महामारी विस्तार ले रही है और बाढ़ के चलते और मुसीबत बढ़ गई है. उनका परिवार मदरसे में रह रहा है, बाढ़ राहत शिविर में खाना और रहने की जगह मिल रहा है. इसके अलावा और कोई व्यवस्था नहीं है. 

इलाके के पार्षद हाजी वकास अंसारी ने बताया कि उनके क्षेत्र के साथ ही वरुणा किनारे करीबन 3 हजार मकान पानी में डूब गए हैं. जिसमें रहने वाले लोग बाढ़ प्रभावित हुए हैं. प्रशासन की ओर से व्यवस्था की है, लेकिन वे नाकाफी हैं. कई बाढ़ प्रभावित लोग चोरी के डर से अपना घर छोड़कर नहीं जाना चाहते, जो कुछ मदद दी भी जा रही है वे सिर्फ बाढ़ राहत शिविर के लोगों तक ही सीमित है. 


बाढ़ को लेकर नगर निगम की ओर से की जा रही कोशिशों के बारे में प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी राम सकल यादव ने बताया कि उनकी टीम नगर आयुक्त के साथ पुरे दिन निरीक्षण कर रही है. साफ-सफाई, सेनेटाइजेशन और फॉगिंग हो रही है. वरुणा इलाके में 4 बाढ़ राहत शिविर बना हुआ है, जिला प्रशासन की ओर से लगातार राहत शिविर और अन्य व्यवस्थाओं के बारे में बाढ़ प्रभावित इलाकों में प्रचार भी किया जा रहा है. बाढ़ ग्रस्त इलाकों में लोगों को निकालने के लिए नाव भी लगी हुई है. उन्होंने बताया कि वाराणसी जिला प्रशासन और नगर निगम पूरी तरह से किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार है.

यूपी के दूसरे इलाकों में भी बुरा हाल

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सिर्फ वाराणसी या आसपास के शहरों में ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में भी बाढ़ के कारण हालात तनावपूर्ण हैं. यूपी के बांदा के चिल्ला में यमुना नदी खतरे के निशान से लगभग दो मीटर ऊपर बह रही है, जिसमें आसपास के कई गांवों से सम्पर्क पूरी तरह से कट गया है. बांदा-कानपुर स्टेट हाइवे और बांदा-किशनपुर रोड को पुलिस ने बैरिकेड लगाकर बंद कर दिया है. बाढ़ प्रभावित इलाकों में फ्लड पीएसी तैनात कर दी गई है.

इनके अलावा कानपुर, ओरैया समेत अन्य इलाकों में भी हालात ठीक नहीं हैं. औरैया जिले में तो बाढ़ प्रभावित इलाकों में बांटी जा रही मदद को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. यहां राज्य सरकार में मंत्री पर आरोप लगे हैं कि वह पक्षपात के आधार पर मदद बांट रहे हैं. 

 

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