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वाराणसी: मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों से बनेंगी अगरबत्तियां, पूरी दुनिया में बेचेगी आईटीसी

वाराणसी के काशी विश्वनाथ और अन्य मंदिरों में भारी मात्रा में चढ़ाए जाने वाले फूलों को अब गंगा नदी में नहीं डाला जाएगा. महिलाओं के सेल्फ-हेल्प समूहों ने इन फूलों से अगरबत्ती बनाने का बेड़ा उठाया है. इस अगरबत्ती को आईटीसी पूरे विश्व में बेचेगा.

मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों से बनेंगी अगरबत्तियां मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों से बनेंगी अगरबत्तियां
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 8:28 PM IST

वाराणसी के काशी विश्वनाथ और अन्य मंदिरों में भारी मात्रा में चढ़ाए जाने वाले फूलों को अब गंगा नदी में नहीं डाला जाएगा. महिलाओं के सेल्फ-हेल्प समूहों ने इन फूलों से अगरबत्ती बनाने का बेड़ा उठाया है. इस अगरबत्ती को आईटीसी पूरे विश्व में बेचेगा. फूलों  से बनने वाली अगरबत्ती के पैकेट पर काशी विश्वनाथ मंदिर की तस्वीर छपी रहेगी.

बताया जा रहा है इस परियोजना की शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस महीने से कर सकते हैं. न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, काशी विश्वनाथ मंदिर में हर दिन 12 टन से अधिक फूल चढ़ाए जाते हैं. 'सावन' के महीने के दौरान यह मात्रा बढ़कर हर दिन 40 टन हो जाती है.

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मंदिर के सीईओ विशाल सिंह का कहना है कि इस परियोजना से न केवल फूलों का उचित प्रयोग होगा, बल्कि महिलाओं को रोजगार मिलने के अवसर भी प्राप्त होंगे. उन्होंने कहा, 'इससे फूलों को नष्ट करने की समस्या का भी हल हो जाएगा. धार्मिक पवित्रता के कारण हम फूलों को यहां-वहां फेंक नहीं सकते हैं, ऐसे में यह उनका उपयोग करने का यह सबसे अच्छा तरीका है. अगरबत्ती की बिक्री पर मंदिर को रॉयल्टी का हिस्सा भी मिलेगा.'

दिलचस्प बात यह है कि लखनऊ नगर निगम (एलएमसी) पहले से ही शहर के एक सामाजिक उद्यम के साथ मिलकर अगरबत्ती बनाने के लिए फूलों को एकत्र करने में जुट गया है. नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी का कहना है कि यह परियोजना एकत्रित फूलों के कचरे से अगरबत्ती और जैव खाद बनाने की है. इस पर वैज्ञानिक विशेषज्ञता पाने के लिए निगम वैज्ञानिक और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिसिनल एंड एरोमेटिक्स प्लांट्स के साथ भी काम कर रहे हैं.

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एलएमसी सूत्रों के अनुसार, एक क्विंटल ताजे फूलों से करीब 30 से 35 किलोग्राम अगरबत्तियां बनेंगी. एक सामाजिक उद्यम के संस्थापक हर्शित सोनकर इस परियोजना का नेतृत्व कर रहे हैं. उनका लक्ष्य एकत्रित किए गए 20 प्रतिशत फूलों से अगरबत्ती बनाने का है. इस परियोजना से 100 लोगों से भी अधिक को रोजगार मिलेगा.

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