
वाराणसी के भेलूपुर थाने से कुछ ही दूरी पर स्थित जल संस्थान के आसपास के लगभग 100 मीटर के इलाके में उस वक्त अफरा-तफरी की स्थिति बन गई, जब लोगों को दम घुटने के साथ ही खांसी की दिक्कत और आंखों में जलन शुरू हो गई. यहां रिहायशी इलाकों से लेकर सड़क से होकर गुजरने वाले लोगों को भी परेशानी शुरू हो गई. वक्त रहते यह समझने में देर नहीं हुई कि यह रिसाव क्लोरीन गैस का है जो जल संस्थान के स्टोर रूम के बाहर पड़े क्लोरीन गैस के सिलेंडरों से हो रहा है.
दरअसल क्लोरीन गैस के जरिये ही जल संस्थान पेयजल की सफाई किया करता है. घटना के तुरंत बाद थाने से पहुंची फोर्स ने बैरिकेड लगा कर रास्ता रोक दिया और जल संस्थान के आसपास के पूरे इलाके को सील कर दिया गया. जल संस्थान परिसर के बगल में ही स्थित फायर सर्विस स्टेशन के जवानों ने भी मोर्चा संभालते हुए क्लोरीन गैस रिसाव वाले सिलेंडरों पर पानी की बौछार शुरू कर दी. अच्छी बात यह भी रही कि हल्की बारिश ने किसी बड़ी दुर्घटना होने से बचा लिया. इसके चलते क्लोरीन गैस का प्रभाव कम ही रहा.
मौके पर शहर के आला अधिकारियों के साथ ही पुलिस फोर्स पहुंच गई थी. खुद स्थिति से निपटने के लिए फायर ब्रिगेड के एसपी अपनी टीम को लीड कर रहे थे. अंततः घंटों की मशक्कत के बाद क्लोरीन गैस लीक वाले सिलेंडरों पर काबू पाया जा सका. इसके बाद ही आसपास के लोगों ने राहत की सांस ली. फिलहाल इस घटना में किसी के जानमाल की हानि नहीं हुई, लेकिन इलाके में दहशत फैल गई और स्थानीय लोग जल संस्थान यानी जलकल विभाग पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं.
इस पूरे मामले में ASP फायर ने बताया कि जल विभाग में क्लोरिनेशन के लिए क्लोरीन गैस का इस्तेमाल होता है जो स्टोर रूम से लीकेज होने लगा था. बड़ी मुश्किल से लीकेज वाले गैस सिलेंडर को पहचान कर उसे पहले पानी की बौछार के साथ काबू पाया गया और फिर उसे गहरे कुएं में डाल दिया गया. क्लोरीन गैस बहुत खतरनाक नहीं होती, लेकिन इससे सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन जैसी परेशानी जरूर होती है. इस पूरी घटना में कोई घायल नहीं हुआ है.