
देश में जारी कोरोना की महामारी खतरनाक रूप धारण कर चुकी है. हर रोज न सिर्फ सामने आ रहे नए मामले बल्कि मृतकों की तादाद भी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. काशी की विभूतियों को भी एक के बाद एक कोरोना निगलता जा रहा है. अभी एक दिन पहले ही बनारस घराने के शास्त्रीय गायक पद्म भूषण से सम्मानित पंडित राजन मिश्रा का निधन हुआ तो दो दिन पहले पत्रकारिता के शिक्षक रहे प्रोफेसर अर्जुन तिवारी का.
कोरोना की बीमारी से काशी की करीब दो दर्जन विभूतियां अब तक दम तोड़ चुकी हैं. अखिल भारतीय विद्वत परिषद् ने कोरोना के कारण जान गंवाने वाली विभूतियों की सूची जारी की है. विद्वत परिषद के महासचिव और ज्योतिष पंडित कामेश्वर उपाध्याय ने मृतक विभूतियों की सूची जारी करते हुए गहरा शोक प्रकट किया है. उन्होंने सर्व विद्या ईश्वर भगवान भोलेनाथ से दिवंगत विभूतियों की आत्मा को शांति देने की अपील की और कहा कि यह सूची लंबी होती जा रही है.
इन विभूतियों की गई जान
ज्योतिष पंडित कामेश्वर उपाध्याय ने इस संबंध में बताया कि राहु प्रबल स्थिति में है इसलिए विद्वानों को मार रहा है और रक्षा प्रणाली भी कमजोर है. 15 जून से आगे की स्थिति शांत होगी क्योंकि राहु सूर्य युति आने वाली है. उन्होंने कहा कि इस बार का राक्षस संवत्सर है और अति प्रबल राहु सात्विकजनों को मार रहा है. बचाने वाली प्रणाली छिन्न-भिन्न हो चुकी है. अभी एक अटैक और हो सकता है जब राहु की सूर्य युति 14 मई से 14 जून के बीच में होगी इसलिए बहुत ही सावधानी बरतने की जरूरत है.
उपाय को लेकर उन्होंने कहा कि दुर्गा सप्तशती में ढेर सारे उपाय दिए हुए हैं जिनमें रुद्र यज्ञ भी शामिल है. पंडित उपाध्याय ने साथ ही यह भी कहा कि लेकिन चाह लेने भर से यह यज्ञ हो पाएगा, जरूरी नहीं है. मैंने भी करना चाहा लेकिन खुद कोरोना संक्रमित हो गया. उन्होंने कहा कि संवत् २०७८ के चैत्र मास, शुक्ल पक्ष और राक्षस नामक संवत्सर ने काशी की अनेक विद्या विभूतियों को निगल लिया. कामेश्वर उपाध्याय ने दिवंगत विभूतियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि सभी के अक्षय योगदान को काशी की विद्वत परंपरा हमेशा याद करती रहेगी.