
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र उत्तर प्रदेश के वाराणसी में कैंट रेलवे स्टेशन के पास निर्माणाधीन पुल का पिलर गिरने से 16 लोगों की मौत हो गई है. पिलर के नीचे एक बस सहित कई वाहन दब गए हैं, जिनमें अभी भी ढेरों लोगों के फंसे होने की आशंका है. इसके अलावा पिलर के नीचे कुछ मजदूरों के भी दबे होने की आशंका है.
वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन के ठीक सामने सड़क पर बन रहा यह फ्लाईओवर यातायात जाम से निजात दिलाने के उद्देश्य से बन रहा था, लेकिन हकीकत यह है कि फ्लाईओवर निर्माण कार्य की वजह से यह सड़क मार्ग संकरा हो गया था और जाम की समस्या और बढ़ गई थी.
हादसे के बाद सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि फ्लाईओवर के निर्माण के दौरान यातायात की समस्या से बचने के लिए क्या कोई उपाय अपनाया गया था? निर्माण कार्य के दौरान भी क्या वहां से यातायात संचालित हो रहा था? और हादसे से बचने के लिए एहतियातन क्या उपाय अपनाए गए थे?
बताया जा रहा है कि जिस समय पिलर लगाने का कार्य चल रहा था, उस समय भी सड़क यातायात चालू था. अब सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि इतने भीड़ भरे इलाके में भारी भीड़ और यातायात के बीच इतना भारी निर्माण कार्य क्यों चल रहा था? इतना ही नहीं पिलर गिरने के बाद करीब एक घंटे तक पिलर हटाने के लिए क्रेनें तक नहीं पहुंच सकीं.
आजतक ने जब DG (NDRF) संजय कुमार से पूछा कि चार गाड़ियों के दबे होने की आशंका है, जिसमें एक मिनी बस भी शामिल है. हालांकि राहत कार्य को लेकर वह कुछ भी स्पष्ट बताने में असमर्थ नजर आए. संजय कुमार ने बताया कि इस फ्लाईओवर का निर्माण सेतु निगम कर रहा था. रोहनिया विधानसभा क्षेत्र के विधायक कैलाश सोनकर ने अधिकारियों की लापरवाही की बात कही है.
वाराणसी के ADG (कानून व्यवस्था) आनंद कुमार ने वहीं इस हादसे को मानव जनित घटना बताया और कहा कि युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव कार्य किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हादसे की पूरी जांच की जाएगी और जिस भी अधिकारी को दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.