
बाबा विश्वनाथ की नगरी में मानसून के बावजूद भले बारिश ना हुई हो, लेकिन गंगा मइया अपनी पूरी लय पर हैं. गंगा में पानी का स्तर बाढ़ सरीखा है और हालात ये हैं कि वाराणसी के 84 पक्के घाट जलमग्न हो चुके हैं. कई मंदिर-देवालय भी डूब गए हैं और घाट किनारे गुजर-बसर करने वाले लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त है.
टूटा घाटों का आपसी संपर्क
बनारस में बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है, वजह पहाड़ों में लगातार हो रही बारिश के चलते गंगा में भरपूर पानी का होना है. गंगा उफान पर है और हर घंटे नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है. अभी गंगा का जलस्तर इतना है कि बनारस के 84 घाट जलमग्न है और उनका आपसी संपर्क भी टूट गया है. इस वजह से एक घाट से दूसरे घाट पर जाना अब मुमकिन नहीं है. घाटों की कुछ सीढ़ियां ही ऐसी बची हैं जहां गंगा का पानी नहीं पहुंचा है.
खतरे के निशान से नीचे गंगा
भले गंगा का जलस्तर बढ़ रहा हो, घाट डूब गए हों, लेकिन गंगा अभी भी खतरे के निशान से नीचे बह रही है. चेतावनी बिंदु से ये 6 मीटर नीचे और खतरे के निशान से 7 मीटर नीचे बनी हुई है. गंगा में बढ़ते जलस्तर को देखते हुए यहां जल पुलिस भी काफी एक्टिव बनी हुई है.
छोटी नावों का चलना बंद
वाराणसी में जल पुलिस गंगा में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं और लोगों को लगातार गहरे पानी में नहीं जाने की चेतावनी दे रही है. वहीं गंगा में सभी तरह की छोटी नावों का चलना बंद हो गया है. अभी सिर्फ मोटरबोट का ही संचालन हो रहा है.
गंगा आरती भी प्रभावित
गंगा आरती कराने वाली संस्था गंगा सेवा निधि के हेमंत मिश्रा की माने तो गंगा आरती वाले सभी प्लेटफार्म जलमग्न हो चुके हैं. गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी के चलते हर दूसरे दिन आरती स्थल को बदलना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि आज से आरती सीढ़ियों पर करनी पड़ेगी, जगह कम होने की वजह से उनको काफी दिक्कत का भी सामना करना पड़ रहा है. धीरे धीरे सारी चीजों को ऊपर की ओर से शिफ्ट किया जा रहा है. गंगा में धारा बहुत तेज है इसलिए नौका संचालन भी बंद कर देना चाहिए.
पंडे-पुजारियों को हो रही दिक्कत
वही गंगा घाट किनारे चौकी लगाकर पूजा सामग्री बेचने वाले टिंकू ठाकुर का कहना है कि जैसे-जैसे गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है वैसे-वैसे वो अपनी चौकी सरकाकर ऊपर की ओर जा रहे हैं. कुछ ही दिनों में गंगा का जलस्तर इतना बढ़ जाएगा कि उनको दुकान बंद करना पड़ेगा और नौका संचालन भी बंद हो जाएगा. पूरे 3 महीने उनके आगे रोजी-रोटी का संकट खड़ा रहेगा. यही हाल गंगा किनारे धार्मिक विधि-विधान करने वाले पंडे-पुजारियों का भी है.