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'आज हम लोगों ने इतिहास रच दिया', कोर्ट के फैसले के बाद बोलीं याचिकाकर्ता रेखा पाठक

ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी में पूजन की याचिका को स्वीकार कर लिया गया है. इसे हिंदू पक्ष की बड़ी जीत मानी जा रही है. वाराणसी जिला कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकारों की याचिका खारिज की. जिला जज अजय कृष्णा विश्वेश ने श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजन-दर्शन की अनुमति की मांग वाली याचिका को सुनवाई के लायक माना है.

महिला याचिकाकर्ताओं ने मनाया जश्न महिला याचिकाकर्ताओं ने मनाया जश्न
कुमार अभिषेक
  • वाराणसी,
  • 12 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:57 PM IST

ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी केस में वाराणसी कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए हिंदू पक्ष की दलील को मान लिया है. जिला जज अजय कृष्णा विश्वेश ने श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजन-दर्शन की अनुमति की मांग वाली याचिका को सुनवाई के लायक माना है. इस मामले में अब अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी. कोर्ट के इस फैसले को लेकर हिंदू पक्ष काफी खुश है.

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वाराणसी कोर्ट के फैसले के बाद वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि यह बहुत बड़ी जीत है, भव्य मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया है, आज की ही तरह हम आगे की लड़ाई भी जीतेंगे. वहीं याचिकाकर्ता रेखा पाठक ने कहा कि आज हम लोगों ने इतिहास रच दिया है. इस फैसले के साथ ही वाराणसी में हर-हर महादेव की गूंज हर ओर सुनी जा सकती है.

वहीं याचिकाकर्ता सोहन लाल आर्य ने कहा, 'ये हिंदू समुदाय की जीत है, अगली सुनवाई 22 सितंबर को है, आज का दिन ज्ञानवापी मंदिर के लिए शिलान्यास का दिन है, हम लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हैं.' जबकि वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि कोर्ट ने हमारी बहस को मान लिया है, मुस्लिम पक्ष के आवेदन को रद्द कर दिया है.

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याचिकाकर्ता मंजू व्यास ने कहा कि आज पूरा भारत खुश है. मेरे हिंदू भाई-बहनों को जश्न मनाने के लिए दीये जलाने चाहिए.

क्या थी हिंदू पक्ष की मांग

हिंदू पक्ष की ओर से ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी समेत अन्य धार्मिक स्थलों पर नियमित पूजा अर्चना करने की अनुमति दिए जाने की मांग की गई थी. वहीं, मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में पोषणीय नहीं होने की दलील देते हुए इस केस को खारिज करने की मांग की थी. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलील को खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा है कि सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 07 नियम 11 के तहत इस मामले में सुनवाई हो सकती है.

पांच महिलाओं ने दाखिल की थी याचिका

ज्ञानवापी का मुकदमा कई तारीखों से गुजरकर इस मुकाम तक पहुंचा है. दरअसल, पूजा स्थल कानून के बाद ये केस 1993 में ठंडे बस्ते में चला गया था लेकिन राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बाद ये कानूनी रूप से ये केस फिर जिंदा हो गया. 2021 में पांच महिलाओं ने श्रंगार गौरी में नियमित दर्शन पूजन की मांग के लिए अर्जी दाखिल की.

वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा

16 मई को अचानक वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सरगर्मी तेज हो गई जब कोर्ट के आदेश पर सर्वे के दौरान अचानक हिन्दू पक्ष एक आकृति को देखकर कहने लगा- बाबा मिल गए, बाबा मिल गए. ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में एक आकृति मिली, जिसे हिन्दू पक्ष ने शिवलिंग बताया. हालांकि मुस्लिम पक्ष ने तुरंत इसे फव्वारा बताना शुरू कर दिया था.

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हिन्दू पक्ष के मुताबिक, ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में कुछ कई ऐसी कलाकृतियां मिली जिसे हिंदू पक्ष ने अपने हक में पेश किया. मस्जिद के भीतर बनी दीवारों पर त्रिशूल की आकृति का दावा किया गया. मस्जिद की दीवार पर हाथी की आकृति भी दिखने का दावा किया गया. दीवारों पर कुछ जगह स्वास्तिक और घंटी जैसी आकृति भी दिखने का दावा किया गया.

1991 में दाखिल की गई थी पहली अर्जी

ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर पहला मुकदमा 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल किया गया था. याचिका में ज्ञानवापी में पूजा करने की अनुमति मांगी गई थी. 1991 में ही पूजा स्थल कानून आया था. इसी को आधार बनाकर मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस अर्जी को चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने 1993 में विवादित जगह को लेकर स्टे लगा दिया था.
 
स्टे के आदेश की वैधता को लेकर 2019 को वाराणसी कोर्ट में फिर सुनवाई हुई. 18 अगस्त 2021 को पांच महिलाओं ने ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी की पूजा-दर्शन की मांग करते हुए अदालत में याचिका दायर की. कई सुनवाई के बाद वाराणसी की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण की मंजूरी दे दी.

 

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