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'अजान बनाम हनुमान चालीसा' से नाखुश हैं काशी के महंत, बोले- बना राजनीतिक एजेंडा

Varansai News: वाराणसी स्थित संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विशंभरनाथ मिश्रा का कहना है कि हनुमान चालीसा का पॉलिटिकल एजेंडे के लिए इस्तेमाल हो रहा है. अजान बनाम हनुमान चालीसा को चलाने का कोई मतलब नहीं है. इस विवाद से हनुमान चालीसा को दूर ही रखा जाना चाहिए.

वाराणसी में संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विशंभरनाथ मिश्रा. वाराणसी में संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विशंभरनाथ मिश्रा.
रोशन जायसवाल
  • वाराणसी,
  • 15 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 10:51 AM IST
  • अजान के वक्त बजेगी हनुमान चालीसा
  • वाराणसी में बढ़ने लगा अब विवाद

'अजान बनाम हनुमान चालीसा' की आंच महाराष्ट्र के बाद भले ही धर्म की नगरी काशी में आ पहुंची हो, लेकिन इससे काशी स्थित विश्वप्रसिद्ध संकटमोचन मंदिर के महंत काफी नाखुश हैं. लाउडस्पीकर से पांच बार अजान की तरह हनुमान चालीसा के पाठ को वह धार्मिक और सामाजिक नजरिए से वे उचित नहीं मान रहे हैं. Aajtak से खास बातचीत के दौरान संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विशंभरनाथ मिश्रा ने क्या कहा? आइए जानते हैं........

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प्रो. विशंभरनाथ मिश्रा ने बताया, गोस्वामी तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा मुगलकाल में लिखा था. उस वक्त हनुमान चालीसा सबसे सशक्त माध्यम था. कहा ये भी जाता है कि अगर आप पूजन-पाठ या धार्मिक अनुष्ठान नहीं कर पाते हैं, तो एक बार हनुमान चालीसा का पाठ कर लीजिए. लेकिन पांच टाइम हनुमान चालीसा हमारी समझ के परे है. 

महंत के अनुसार, हनुमान चालीसा में लिखा भी है, 'जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहिं बंदि महा सुख होई.' यानी 7, 11 या 100 बार हनुमान चालीसा लोग पढ़ते हैं. ये खुद के विवेक के ऊपर है. रोज पाठ करना चाहिए और हनुमान जी के सम्मुख करें तो ज्यादा अच्छा है, लेकिन यह पॉलिटिकल एजेंडे के लिए ऐसा प्रयोग हो रहा है. काशी एक बड़ा प्लेटफार्म है और सारे धर्म के लोग अच्छे भाव और अच्छे मेल-भाव के साथ चलते हैं. अगर कुछ लोग हनुमान चालीसा बनाम अजान चला रहे हैं, तो इसका कोई मतलब नहीं है. 

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उन्होंने आगे बताया कि अगर हमको हमारे धर्म शास्त्र में कोई दिक्कत आती भी है तो शंकराचार्य महाराज भी हैं जिनसे जाकर बात करनी चाहिए. ये सब जो कुछ हो रहा है, किन कारण से हो रहा? प्रो. मिश्रा ने बताया कि कोर्ट एक बड़ा माध्यम है और जब चीजे लोग नहीं सुनते है तो कोर्ट से अनुरोध कर सकते हैं. देश संविधान से चलता है. सबको अपने धर्म के मुताबिक चलने की आजादी है. ऐसा कुछ न करिए कि जिससे दूसरे को दिक्कत हो. हर कोई अपने धर्म का अनुसरण करे. 

मंदिर के महंत ने आगे कहा, बनारस सारे देश का प्रोटोटाइप मॉडल है, जहां सारे धर्म के लोग अपने धर्म का अनुसरण करके रहते हैं. अगर कुछ लोग किसी मिशन के मकसद से हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं तो  फिर इसका जवाब वही दे सकते हैं. बनारस का कद बहुत बड़ा है, इसलिए इसको स्पिरिचुअल स्पेस कहा जाता है. केवल धर्म की नगरी नहीं, उससे भी बड़ा कद है. यह शिव की नगरी है. इन सभी विवाद से इस शहर का कोई मतलब नहीं है. आंधी-तूफान की तरह ये विवाद आया है और वैसे ही चला भी जाएगा. हनुमान चालीसा का पाठ अगर हनुमान जी के विग्रह के आगे करेंगे तो उसका लाभ भी होगा.  लेकिन किसी चीज के काट(अजान) के लिए हनुमान चालीसा का प्रयोग कर रहें हैं तो हनुमान चालीसा इसके लिए नहीं है.  हनुमान चालीसा को कृपा करके विवाद में मत रखिए. 

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उन्होंने बताया कि साफ-साफ लिखा है, 'जो सत बार पाठ कर कोई..., तो क्यों पांच बार हनुमान चालीसा पढ़ेंगे? अब दूसरे धर्म के लोगों को बताने के लिए क्यों हनुमान चालीसा का पाठ करना है? अगर आपको पढ़ना है तो 100, 5000, 11000 बार पढ़िए, लेकिन अगर आप ये सबकुछ कर रहें हैं तो भगवान भी देख रहें है कि आपका उद्देश्य क्या है?  

 

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