
पश्चिम उत्तर प्रदेश का एक बड़ा इलाका फिरोजाबाद रहस्यमई बुखार की चपेट में है. फिरोजाबाद जिला प्रशासन की ओर से औपचारिक डाटा में 50 से ज्यादा लोगों की मौत दर्ज की गई है. केंद्र सरकार से लेकर योगी सरकार हरकत में है और तमाम एजेंसियों को मिशन मोड पर फिरोजाबाद समेत आसपास के जिलों में हालात पर काबू पाने के लिए भेजा गया है.
बड़े अनुपात में जांच के बाद सरकार इस नतीजे पर पहुंची है कि दरअसल यह रहस्यमई बुखार कुछ और नहीं बल्कि डेंगू है. अस्पतालों में बेड भरे हुए हैं. बुखार के प्रकोप का आलम यह है कि ऐसा कोई गांव नहीं जहां हर घर में बच्चे बुखार की चपेट में ना हों.
फिरोजाबाद शहर के करीब नगला साला गांव का 'आजतक' ने जायजा लिया और पाया कि शायद ही ऐसा कोई घर हो जिसमें बच्चे तीव्र बुखार से पीड़ित ना हों. यहां रहने वाले संत कुमार के परिवार में 5 बच्चे हैं और सभी तेज बुखार से पीड़ित हैं. घर के 3 बच्चों में डेंगू की पुष्टि की गई है, जिन का इलाज घर में ही चल रहा है.
12 साल के युवराज की तबीयत खराब है और तेज बुखार के चलते मां बेटी के पैर दबा रही है. हाथ में इंजेक्शन की नली लगी हुई है क्योंकि इलाज घर पर ही हो रहा है. मजबूरियों के चलते मां-बाप उसे अस्पताल नहीं ले गए. घर के दूसरे कमरे में दो और बच्चे हैं जिनका घर में ही इलाज चल रहा है. 2 बच्चों की हालत खराब होने के बाद उन्हें आगरा रेफर कर दिया गया. संत कुमार कहते हैं, "दो बच्चों को मेडिकल कॉलेज ले गए थे लेकिन जब उनकी हालत खराब हो गई तो डॉक्टर ने उन्हें आगरा रेफर कर दिया. अब घर में तीन बच्चे हैं और तीनों बुखार से पीड़ित हैं."
फिरोजाबाद के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज में इस बीमारी के चलते बच्चों के लिए विशेष वार्ड की व्यवस्था भी की गई है. बुखार से पीड़ित बच्चों का ब्लड सैंपल लिया जाता है जिसे टेस्ट के लिए आगे भेजा जाता है ताकि इस महामारी की तीव्रता का आकलन किया जा सके. अस्पताल के चारों ओर महिलाओं और बच्चों का जमावड़ा है. रहस्यमई बीमारी का पता लग गया है कि आखिर यह डेंगू ही है.
वहीं, निजामुद्दीन अपनी दो बेटियों को बुखार के चलते मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए लाए हैं. निजामुद्दीन कहते हैं, "बच्चे को बुखार था खांसी थी और उसकी पसलियां चल रही हैं. गांव में बहुत सारे बच्चे बीमार पड़ रहे हैं. यह डॉक्टर को दिखाने आए हैं और डॉक्टर ने दवा लिख दी हैं. कुछ दवाइयां यही मिलेंगे कुछ दवाइयां बाहर से लाने के लिए कही हैं."
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उधर, ड्यूटी नर्स कहती हैं कि सिर्फ उनके शिफ्ट में रोज वह 150 बच्चों के सैंपल ले रही हैं और बड़ी संख्या में बीमार छोटे-छोटे बच्चे अस्पताल पहुंच रहे हैं. ड्यूटी नर्स कहती हैं कि कभी-कभी उनके लिए भी मुश्किल हो जाती है जब छोटे-छोटे रोते बिलखते बच्चों के शरीर से खून निकालना पड़ता है ताकि जांच हो सके.
कोई रो रहा तो कोई गिड़गिड़ा रहा
अस्पताल के भीतर कोई रोता कोई गिड़गिड़ा था तो कोई गुस्से में दिखाई पड़ता है. लोग अपने बच्चों को इलाज की उम्मीद से अस्पताल लाए हैं. किसी ने सब रखा है तो कइयों के सब्र की सीमा टूट चुकी है इसलिए अनेकों तरह के मानसिक अवस्थाओं में लोग अस्पतालों में अपनी बीमार बच्चों को गोद में लिए यहां वहां भटकते दिखाई पड़ेंगे. मेडिकल कॉलेज बच्चों के लिए इलाज के लिए बनाए गए इस विशेष विभाग के प्रिंसिपल डॉ संगीता भी मानती हैं कि समस्या गंभीर है लेकिन अस्पताल अपनी ओर से कोई कमी नहीं होने दे रहा. वह बताती हैं कि हाल ही में 25 सैंपल केजीएमसी भेजे गए जिसमें से 24 में डेंगू पाए गए. डॉ संगीता के मुताबिक अस्पताल की ओर से अब तक कुल 294 सैंपल भेजे गए थे जिसमें 156 में डेंगू की पुष्टि हुई है और सैंपल कलेक्शन लगातार जारी है.
मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ संगीता कहती हैं कि किसी भी हाल में मरीजों को बिना इलाज नहीं लौटाया जा रहा है और इलाज की हर संभव कोशिश की जा रही है. डेंगू का प्रकोप ऐसा है कि इसने जिले में कई बच्चों की जान ले ली है. अकेले इसी मेडिकल कॉलेज मैं चार बच्चों की मौत डेंगू के चलते हुई है. डॉक्टर संगीता कहती हैं कि अस्पताल में आने वाले सबसे ज्यादा केस डेंगू के ही हैं. आने वाले लोगों में बुखार के सिम्टम्स हैं और प्लेटलेट घटे हुए हैं जो कि डेंगू के ही लक्षण हैं. आसपास के इलाकों में लैपटोपायरोसिस के मरीज भी पाए गए हैं जो बैक्टीरिया से ही फैलते हैं. और अब तक हमारे अस्पताल में 4 बच्चों की मौत दर्ज की गई है.
फिरोजाबाद के इसी अस्पताल से एक बेड पर 3 मरीजों की तस्वीरें भी सामने आई थी लेकिन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल इन तथ्यों को गलत नहीं कह रही हैं. आजतक से बातचीत करते हुए डॉक्टर संगीता ने कहा कि हमारे पास 400 बेड की सुविधा है जिसे हम 600 बेड तक बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन मरीजों की संख्या लगभग 430 है ऐसे में कई बार यह संभव है कि एक बेड पर 2 मरीज दिखाई पड़ जाएं क्योंकि प्राथमिकता भी जिंदगियों को बचाने की है.
इमरजेंसी वॉर्ड में लगातार लाए जा रहे बच्चे
सिर्फ सरकारी अस्पताल ही नहीं, बल्कि फिरोजाबाद के बड़े प्राइवेट अस्पतालों में मौजूद भीड़ भी इस बुखार के प्रकोप की तस्वीर बयां करती है. अस्पताल में तिल रखने की जगह भी नहीं है. इमरजेंसी वार्ड में लगातार बच्चों को लाया जा रहा है. आम इंसान तो छोड़िए शासन के लिए काम करने वाले पुलिसकर्मियों के बच्चे भी इस बीमारी के प्रकोप से दूर नहीं है. निजी अस्पताल से निकल रहे सब इंस्पेक्टर अपनी बेटी को अब आगरा ले जा रहे हैं क्योंकि अस्पताल ने कहा है डेंगू तो है लेकिन जिस तरह का इलाज चाहिए वह अब आगरा में हो पाएगा. दरोगा जी अपनी बीमार बिटिया को लेकर अस्पताल से निकलकर आगरा जा रहे हैं.
'पिछले 15-20 दिनों में बिगड़ गए हालात'
मेडिसिन विभाग में डेंगू के मरीजों का इलाज कर रहे निजी अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टर गुप्ता बताते हैं कि पिछले 15-20 दिनों से हालात बिगड़े हैं जब बुखार से पीड़ित मरीज बच्चों की संख्या बढ़ी है. डॉक्टर गुप्ता कहते हैं कि फिलहाल अस्पताल में मरीजों के लिए बैठ तो है लेकिन अगर संख्या बढ़ती रही तो बेड की किल्लत हो जाएगी और उन्हें मरीजों को दूसरे अस्पतालों के लिए रेफर करना पड़ेगा. डॉ गुप्ता के मुताबिक उनके अस्पताल की ओर से भी बीमार बच्चों की हर संभव इलाज की कोशिश की जा रही है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुलाई थी बैठक
बुखार के प्रकोप के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अधिकारियों की बैठक बुलाई थी जिसके बाद तत्काल प्रभाव से फिरोजाबाद समेत आसपास के सभी इलाकों में बड़े स्तर पर डेंगू पर लगाम लगाने के उपाय किए जा रहे हैं. प्लेटलेट की कमी ना हो इसके लिए ब्लड डोनेशन कैंप चलाए जा रहे हैं. साथ ही आगरा और कानपुर से भी ब्लड की सप्लाई फिरोजाबाद के लिए शुरू की गई है. इतना ही नहीं गांव गांव स्वास्थ्य कर्मियों की टीम भेजी जा रही है जो बीमार बच्चों का इलाज कर सके और जरूरत पड़ने पर सैंपल को टेस्टिंग के लिए आगे भेजा जा सके. गांव में यह टीम स्कूलों के भीतर कैंप लगा रही है और बुखार की तीव्रता के अनुरूप बच्चों को या तो दवाइयां दी जाती हैं या फिर उनके ब्लड सैंपल लेकर टेस्ट के लिए भेजे जा रहे हैं.
'सरकार के आदेश पर गांव का दौरा कर रही टीम'
नगला गांव में आई स्वास्थ्य कर्मियों की टीम के प्रमुख सदस्य डॉ एस जी बताते हैं कि सरकार के आदेश के बाद टीम हर गांव का दौरा कर रही है और माइल्ड रूप से बीमार बच्चों को दवा दी जा रही है जबकि गंभीर बुखार के स्टेज पर बच्चों का सैंपल लिया जाता है और अगर उन्हें डेंगू की पुष्टि होती है तो उन्हें संपर्क कर इलाज के लिए अस्पताल भेजा जाता है. हालात को देखते हुए स्वास्थ्य कर्मियों की टीम के साथ-साथ सफाई कर्मियों को भी गांव में बड़े अभियान पर लगाया गया है जो घर-घर सभी नाले और सभी गंदी जगहों पर दवाइयों का छिड़काव कर रहे हैं ताकि मच्छरों के लारवा को इकट्ठा होने से रोका जा सके. गांव गांव में सफाई भी होने लगी है.
आशा वर्कर्स भी हुईं सक्रिय
कोविड-19 में अपनी प्रमुख भूमिका निभा चुकी आशा वर्कर भी अब फिरोजाबाद समेत आसपास के जिलों में सक्रिय हो गई हैं जो घर-घर जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं कि ना तो घर में पानी जमा होने दिया जाए नहीं गंदगी. आशा वर्कर सविता बताती है कि वह सरकार के दिशानिर्देशों के मुताबिक घर-घर जाकर लोगों से कहती हैं कि वह पानी जमा होने से रोकें मच्छरदानी का उपयोग करें साथ ही बच्चों को पूरे कपड़े पहन आएं तकि डेंगू बच्चों को अपना शिकार न बना सके.