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अखिलेश यादव के लिए पश्चिम UP में कहीं पनौती न साबित हो जाएं अबु आजमी

किसान आंदोलन ने मुजफ्फरनगर दंगे से मुस्लिम और जाट के बीच बढ़ी दूरी को काफी हद तक पाटने का काम किया. वहीं, सपा नेता अबु आसिम आजमी के एक बयान से पश्चिम यूपी की सियासत को गरमा गई है. जाट-मुस्लिम समीकरण सियासी जमीन पर उतरने से पहले ही आजमी के बयान को लेकर जाट नाराज हो गए हैं, जिसे बीजेपी ने खाद्य-पानी देना शुरू कर दिया है.

अबु आसिम आजमी और अखिलेश यादव अबु आसिम आजमी और अखिलेश यादव
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 07 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 2:01 PM IST
  • अबु आजमी के बयान से जाट समुदाय नाराज
  • आजमी का बयान जाट-मुस्लिम को दूर न कर दे
  • किसान आंदोलन से जाट-मुस्लिम एकता बढ़ी है

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव तिनका-तिनका जोड़कर 2022 के चुनाव में सत्ता के सिंहासन पर विराजमान होना चाहते हैं. किसान आंदोलन ने मुजफ्फरनगर दंगे से मुस्लिम और जाट के बीच बढ़ी दूरी को काफी हद तक पाटने का काम किया. वहीं, सपा नेता अबु आसिम आजमी के एक बयान से पश्चिम यूपी की सियासत को गरमा गई है. जाट-मुस्लिम समीकरण सियासी जमीन पर उतरने से पहले ही आजमी के बयान को लेकर जाट नाराज हो गए हैं, जिसे बीजेपी ने खाद्य-पानी देना शुरू कर दिया है. ऐसे में आजमी का बयान अखिलेश के लिए पनौती न बन जाए? 
 
अखिलेश यादव ने पश्चिम यूपी में जाट और मुस्लिम वोटों को साधे रखने के लिए आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी के साथ हाथ मिलाया है. पंचायत चुनाव में यह गठबंधन हिट भी रहा है. वहीं, असदुद्दीन ओवैसी की यूपी में बढ़ती सक्रियता और कांग्रेस की मुस्लिम वोटों पर नजर को देखते हुए सपा प्रमुख ने अबु आसमी आजमी को मुसलमानों को साधे रखने का जिम्मा सौंपा है. 

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अबु आसिम आजमी ने किया कहा

अबु आसिम आजमी कांग्रेस से लेकर ओवैसी तक पर हमलावर हैं. इसी कड़ी में उन्होंने मुजफ्फरनगर दंगे के जख्म को भी हरा कर दिया है. आजमी ने एक इंटरव्यू में कहा, 'मुजफ्फरनगर के दंगों के वक्त वेस्ट यूपी के लोग हमारे (समाजवादी पार्टी) साथ नहीं आए और बीजेपी के साथ गए. लेकिन, बाद में जाट समाज के लोगों ने स्टेज पर एक मौलाना का पैर छूकर माफी मांगी और कहा कि हमसे गलती हो गई.' 

बता दें कि दिल्ली बॉर्डर पर जनवरी के महीने में राकेश टिकैट के आंखों से आंसू निकले थे, जिसके बाद पश्चिम यूपी की सियासत गर्मा गई थी. मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में हुई पंचायत हुई थी, जिसमें जयंत चौधरी ने गुलाम मोहम्मद जौला के पैर छुए थे. इसे प्रकरण को लेकर अबु आसिम आजमी ने जाट समुदाय के द्वारा मुस्लिम से माफी मांगने से जोड़ दिया. 

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आजमी का यह बयान सपा के लिए गले की फांस बन गया है, क्योंकि इसे लेकर जाट बिरादरी में भारी आक्रोश है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से लेकर केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान तक खुद को जाट समुदाय का हितैशी बताते हुए सपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इतना ही नहीं बालियान खाप के चौधरी और भारतीय किसान युनियन अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने अबू आजमी को आड़े हाथ लेते हुए चुप रहने की हिदायत दी है. 

बीजेपी ने सपा के खिलाफ खोला मोर्चा

केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान ने सपा नेता के बयान पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि आजमी ने यह कहकर की जाट समाज के लोगों ने मौलाना के पैर पकड़कर माफी मांगी है, यह पूरे जाट समाज का अपमान. पश्चिम के स्वाभिमानी लोग इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते. दंगों में हजारों निर्दोष लोगों को जेल भेजने वाले सपा मुखिया अखिलेश यादव को माफी मांगनी चाहिए. आजमी मुंबई में ही रहें, पश्चिम में आने की कोशिश न करें. 

बालियान ने कहा कि दंगों के दौरान जब निहत्थे लोगों पर घर जाते समय हमले हुए. हजारों निर्दोष लोगों को सपा सरकार ने जेल भेजा, उस समय जयंत चौधरी और उनकी पार्टी के नेता हिंदू समाज के लोगों की खैर खबर लेने नहीं आए थे. इसी साथ उन्होंने कहा कि जयंत चौधरी कुछ लोगों के नेता हो सकते हैं, पूरे समाज के नेता नहीं है, उनके माफी मांगने का समाज से कोई लेनादेना नहीं है. साइलेंट वार के नाम पर हिंदू समाज के लोगों की हत्या की गई. इन सब बातों को हम लोग भूलने वाले नहीं हैं. 

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टिकैत ने आजमी को दी नसीहत

वहीं, नरेश टिकैत ने कहा कि आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी का गुलाम मोहम्मद जौला का पैर छूना संस्कार और सम्मान को दर्शाता है.अबू आजमी को यहां की सभ्यता का पता नहीं है. इसलिए उन्हें चुप रहना चाहिए. जाट के शब्दकोश में माफी नाम की कोई चीज नहीं है. जाट माफी मांगेगा, यह बात उन्हें दिमाग से निकाल देनी चाहिए. साम्प्रदायिक दंगों के दौरान हिंदू या मुसलमान के साथ जो हुआ वह सब अब खत्म हो गया है और अब उसे राजनीतिक रूप से नहीं देखा जाना चाहिए. 

उन्होंने कहा कि गुलाम मोहम्मद जौला, चौ. चरण सिंह, चौ. महेंद्र सिंह टिकैत और चौ. अजित सिंह के साथ के नेता हैं. पैर छूने का मतलब यह नहीं है कि कोई जाट समाज की तरफ से किसी तरह की माफी मांग रहा है. बड़े के पैर छूना सम्मान का प्रतीक है. इसमें माफी मांगना का कोई सवाल ही नहीं है. हम भी उसी मंच पर थे. अबू आजमी को इस प्रकार की टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है. 

पश्चिमी यूपी में जाट-मुस्लिम राजनीति
त्तर प्रदेश में जाट समुदाय की आबादी करीब 4 फीसदी है जबकि पश्चिम यूपी में 17 फीसदी के आसपास है. वहीं, मुस्लिम आबादी यूपी में भले ही 20 फीसदी है, लेकिन पश्चिम यूपी में करीब 35 से 50 फीसदी तक है. इस तरह से जाट और मुस्लिम समुदाय सहारनपुर, मेरठ, बिजनौर, अमरोहा,  मुजफ्फरनगर, बागवत और अलीगढ़-मुरादाबाद मंडल सहित करीब 100 विधानसभ सीटें पर निर्णायक भूमिका अदा करता है. इसके अलावा दोनों मिलकर अन्य सीटों पर दूसरे को जिताने की ताकत रखते हैं. चौधरी चरण सिंह जाट और मुस्लिम समीकरण के सहारे लंबे समय तक सियासत करते रहे और यूपी के सीएम से लेकर देश के पीएम तक बने. 
 

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