
पूर्व राज्यपाल व पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन पर कौशाम्बी में भी लोगों की आंखें नम हैं. वह अपने जननायक नेता को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रही है. जननायक कल्याण सिंह के 1990 में राम ज्योति आंदोलन के दौरान बतौर सैनिक रहे पूर्व विधायक शिवदानी (मौजूदा समय में चेयरमैन सराय अकिल नगर पंचायत) स्मृतियों के झरोखे से बताते हैं कि कल्याण सिंह सभी के हृदय में बसते थे.
1990 में जेल भरो आंदोलन के तहत सबसे पहली गिरफ्तारी उत्तर प्रदेश में कौशाम्बी के सराय अकिल कस्बे से उन्होंने दी. उनके साथ 43 युवा नैनी सेन्ट्रल जेल में बंद किये गए. वह कल्याण सिंह के साथ उनकी बैरक में रहे. करीब 14 दिन साथ में रहने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया. और वह 28 दिन जेल में रहे.
नैनी जेल में लगाते थे साखा
पूर्व विधायक शिवदानी ने बताया कि नैनी जेल में कल्याण सिंह साखा लगाया करते थे. जिसमें जेल में सभी बंदी उनकी बात को मंत्र मुग्ध होकर सुनते थे. अभूतपूर्व उत्साह, कार्यकर्ता के मन की बात समझ लेना और दृढ़ इच्छाशक्ति उनके कार्यों में साफ दिखती थी. उन्होंने नकल विहीन परीक्षा और निर्विवाद अध्यापक नियुक्ति करा खुद के कुशल प्रशासक होने का परिचय देश और प्रदेश को कराया.
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में कल्याण सिंह जैसा व्यक्तित्व वह मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी में देखते हैं. जान भावना को समझ उनके अनुरूप काम करने की योग्यता कल्याण सिंह में थी. वैसी ही समझ मौजूदा समय में सीएम योगी में दिखती है. उन्होंने बताया कि कल्याण सिंह जैसा व्यक्तित्व कभी मरा नहीं करते आज वह हर हिन्दू के अंदर जीवित है.
राम मंदिर आंदोलन, चुनावी दौरे और मुख्यमंत्री रहने के दौरान कल्याण सिंह 3 बार कौशाम्बी दौरे पर आए. 1997 में उन्होंने सराय अकिल कस्बे में बने सरदार पटेल इंटर कॉलेज में पटेल की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचे.
संगठन में बतौर प्रदेश अध्यक्ष रहने के दौरान भरवारी के यशपाल केसरी तत्कालीन मंडल अध्यक्ष हुआ करते थे. यशपाल केसरी बताते है कि संगठन संचालन में वह कार्यकर्ता के अंदर बिजली जैसी ऊर्जा भर दिया करते थे. राम मंदिर निर्माण के लिए उनका दृढ़ संकल्प हर कार्यकर्ता को जोश पैदा करता था.
कब-कब कौशाम्बी आये कल्याण सिंह
1994 में बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए मंझनपुर के रामलीला मैदान पहुंचे. विशाल जनसमुदाय को सम्बोधित किया था. कल्याण सिंह पश्चिम शरीरा स्थित पूर्व भाजपा अध्यक्ष उदयन सिंह के घर भी गए थे. 1997 में सराय अकिल के सरदार पटेल इंटर कालेज पहुंचे. यहां उन्होंने सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा का अनावरण किया था.
1999 में विधानसभा चुनाव के दौरान डॉ अमृत लाल भारतीय के चुनाव प्रचार में जान सभा को संबोधित करने पश्चिम शरीरा क़स्बा पहुंचे थे. 2000 में भाजपा से अलग होकर क्रांति पार्टी बना कर विधानसभा में अपने मंझनपुर उम्मीदवार बेला देवी के लिए वोट मांगने मंझनपुर पहुंचे थे. 2002 के बाद से वह कौशाम्बी की धरती से दूर थे.
(इनपुट- अखिलेश कुमार)