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Yogi Cabinet: जितिन प्रसाद पर BJP की मेहरबानी की वजह क्या है? मिला पावरफुल विभाग

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले जितिन प्रसाद का सियासी कद काफी तेजी से बढ़ा है. बीजेपी ने उन्हें सिर्फ कैबिनेट मंत्री ही नहीं बनाया बल्कि लोक निर्माण विभाग जैसे भारी भरकम मंत्रालय देकर उनके राजनीतिक कद को भी बढ़ाने के संदेश दे दिए हैं. जितिन प्रसाद पर मेहरबानी के बीच बीजेपी के कई सियासी मकसद छिपे हुए हैं?

जितिन प्रसाद और सीएम योगी आदित्यनाथ जितिन प्रसाद और सीएम योगी आदित्यनाथ
कुमार अभिषेक
  • नई दिल्ली ,
  • 29 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 1:46 PM IST
  • जितिन प्रसाद का बीजेपी में तेजी से बढ़ता कद
  • युवा-ब्राह्मण चेहरा होने क्या मिला सियासी लाभ
  • दूसरे दलों के असंतुष्ट नेताओं को बीजेपी का संदेश

योगी सरकार 2.0 में शपथ लेने वाले सभी मंत्रियों को उनके विभाग सोमवार शाम बांट दिए गए. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने वाले जितिन प्रसाद का सियासी कद लगातार बढ़ता जा रहा है. विभागों के बंटवारे में जितिन प्रसाद को खास अहमियत मिली है और पीडब्ल्यूडी जैसा भारी भरकम विभाग सौंपा गया है. योगी सरकार के पहले कार्यकाल में यह विभाग डिप्टीसीएम केशव प्रसाद मौर्य के पास रहा था. ऐसे में सवाल उठता है कि जितिन प्रसाद पर बीजेपी आखिर इतना मेहरबान क्यों हैं?

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जितिन को पीडब्ल्यूडी सबसे चौंकाने वाला

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में विभाग बंटवारे में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) का आवंटन सबसे चौंकाने वाला माना जा रहा है. केशव प्रसाद मौर्य से यह विभाग लेकर कांग्रेस से बीजेपी में आए ब्राह्मण नेता जितिन प्रसाद को दिया गया. जितिन प्रसाद को पीडब्ल्यूडी मंत्री बनाए जाने से सियासी हलकों में कई लोग हैरान हैं कि इतना भारी भरकम मंत्रालय दूसरे दल से आए नेता को आखिर कैसे मिल गया है. इसकी एक वजह यह भी है कि पीडब्ल्यूडी विभाग अधिकतर राज्य सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले नेताओं के पास ही रहा है. केशव से पहले सपा सरकार में शिवपाल यादव और बसपा सरकार में  नसीमुद्दीन सिद्दीकी पीडब्ल्यूडी मंत्री हुआ करते थे और अब जितिन प्रसाद को जिम्मा मिला है. 

जितिन प्रसाद का अनुभव आया काम

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पीडब्ल्यूडी विभाग हमेशा चर्चित रहा है. पिछली योगी सरकार में यह विभाग केशव प्रसाद मौर्य के पास था, तब टेंडर प्रक्रिया को पारदर्शी करने के लिए तमाम प्रक्रियाएं अपनाई गईं. इसके बाद भी आरोप- प्रत्यारोप लगते रहे, इसीलिए इस बेहद महत्वपूर्ण पीडब्ल्यूडी विभाग की जिम्मेदारी जितिन को दी गई, क्योंकि केंद्र में भी मंत्री रहने के दौरान उनके पास कई महत्वपूर्ण मंत्रालय रहे, लेकिन कभी किसी का आरोप प्रत्यारोप उन पर नहीं रहा. 

योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद को पीडब्ल्यूडी की जिम्मेदारी, उनके केंद्रीय राजनीति के अनुभव के आधार पर दी गई है. कांग्रेस शासित केंद्र सरकार में जितिन प्रसाद भूतल परिवहन मंत्री रहे थे. जिसके चलते माना जा रहा है कि उनके अनुभव को देखते हुए योगी सरकार 2.0 में पीडब्ल्यूडी भारी भरकम विभाग की जिम्मेदौरी सौंपी गई है. बीजेपी में एंट्री करते ही योगी सरकार के पहले कार्यकाल में वो प्राविधिक शिक्षा मंत्री बनाए गए थे, लेकिन इस बार उनके अनुभव के हिसाब से काम सौंपा गया है. पीडब्ल्यूडी जितिन को दिया जाना, भविष्य का बड़ा संदेश भी है, जिसे राजनीतिक समझ के लोग बाखूबी जानते भी हैं. 

दूसरी पार्टी के असंतुष्ट नेताओं के लिए संदेश

जितिन प्रसाद क्लीन छवि के माने जाते हैं और अभी युवा नेता हैं. ऐसे में बीजेपी उन्हें भविष्य के नेता के तौर पर भी आगे बढ़ा रही है और साथ ही कांग्रेस सहित दूसरे दलों के असंतुष्ट नेताओं को भी एक बड़ा संदेश दी है. यही वजह है कि जितिन प्रसाद कैबिनेट में तो रखा ही गया है और उन्हें केशव प्रसाद मौर्य के पास रहे विभाग को दिया गया. जितिन प्रसाद को पीडब्ल्यूडी का मंत्री बनाकर बीजेपी ने कांग्रेस नेताओं के लिए एक बड़ा संदेश छोड़ा है कि कांग्रेस का बड़ा चेहरा बीजेपी में भी आकर बड़ा बन सकता है. 

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जितिन प्रसाद को भारी भरकम विभाग देने और बीजेपी में उनके सियासी बढ़ने से पार्टी ने उस मिथ को तोड़ने कि कोशिश की है दूसरे दलों से आए नेताओं पर बीजेपी कम भरोसा करती है और उन्हें सियासी अहमियत नहीं देती. इस तरह जितिन प्रसाद को पीडब्ल्यूडी और ब्रजेश पाठक को डिप्टीसीएम बनाकर दूसरे दलों के नेताओं को भी यह इशारा है कि अगर वह बीजेपी की तरफ आते हैं तो पछताना नहीं पड़ेगा. 

हालांकि, बीजेपी इससे पहले भी बसपा से आए नेताओं को सरकार में ऊंचे ओहदे दिए थे, जिनमें स्वामी प्रसाद मौर्य से लेकर दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी तक को कैबिनेट मंत्री बनाया था. ऐसे ही मध्य प्रदेश के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा सदस्य बनाने के साथ-साथ केंद्र में मंत्री बनाया तो असम में हेमंत विस्वा सरमा और मणिपुर में एन बीरेन सिंह को मुख्यमंत्री बना रखा है, जो कांग्रेस से बीजेपी आए थे. 

बीजेपी के लिए संकटमोचक बने थे जितिन

जितिन प्रसाद ने बीजेपी में ऐसे समय में आए थे जब ब्राह्मणों के मुद्दे पर पार्टी और योगी सरकार घिरी हुई थी. जितिन प्रसाद ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया था. किसी को भी ये विश्वास नहीं हो रहा था कि जितिन प्रसाद ने कांग्रेस छोड़ दी है, क्योंकि गांधी परिवार के करीबी माने जाते थे. इस तरह जितिन प्रसाद के एंट्री के बाद विपक्ष के ब्राह्मण विरोधी नेरेटिव को तोड़ने में बीजेपी को मदद मिली. यूपी की राजनीति में आए इस युवा नेता ने कुछ ही समय में योगी-मोदी का दिल जीत लिया और दोबारा उन्हें सिर्फ मंत्री ही नहीं बनाया गया बल्कि सियासी कद भी बढ़ाया गया है. 

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जितिन प्रसाद के गढ़ में खिला कमल

बीजेपी में एंट्री के बाद जितिन प्रसाद को राज्यपाल कोटे से एमएलसी बनाकर कैबिनेट में शामिल किया गया और उन्हें योगी सरकार के पहले कार्यकाल के अंतिम विस्तार में प्राविधिक शिक्षा मंत्री का जौंपा गया था. जितिन प्रसाद ने बीजेपी का दामन थामकर प्रबुद्ध सम्मेलनों के जरिए बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाना शुरू किया. जितिन प्रसाद के सियासी प्रभाव वाले गढ़ में बीजेपी को जीत मिली है, जहां किसान आंदोलन और लखीमपुर घटना से नुकसान होने की संभावना थी. ऐसे में शाहजहांपुर, लखीमपुरखीरी, सीतापुर, पीलीभीत, बहराइच और बरेली के इलाके वाली सीटों पर बीजेपी ने बेहतर प्रदर्शन किया है, जिसके चलते बीजेपी ने उन्हें दोबारा से कैबिनेट में जगह दी और रुतबा भी बढ़ा दिया. 

पीडब्ल्यूडी में ठेकेदारों का नेक्सेस तोड़ने की रणनीति

उत्तर प्रदेश की सियासत में पीडब्ल्यूडी मंत्रालय को हमेशा से मलाईदार और सियासी रसूख वाला विभाग माना जाता है और इस विभाग के ठेकेदारों में एक खास जाति का वर्चस्व रहा है. यूपी अगर ठाकुर-ब्राह्मण के बीच वर्चस्व के जंग की चर्चा होती है तो सिर्फ सियासी वर्चस्व की नहीं होती बल्कि ठेके-पट्टे से लेकर नौकरशाही तक मे वर्चस्व की लड़ाई रहती है. ऐसे में इस बार इस विभाग को जितिन प्रसाद को दिया जाना इसलिए भी चर्चा में है, क्योंकि पहली बार सबसे मलाईदार और रसूखदार विभाग किसी ब्राह्मण को मिला है. माना जाता है कि जितिन प्रसाद के जरिए पीडब्ल्यूडी में ठेकेदारों नेक्सेस तोड़ने की दांव शीर्ष नेतृत्व ने चला है. 

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जितिन प्रसाद मृदुभाषी हैं और सहजता से लोगों से मिलते-जुलते हैं. दूसरा सामाजिक समीकरण में ब्राह्मण चेहरा भी हैं और मुख्यमंत्री से उनके सहज संबंध भी हैं. बताया जा रहा है कि सीएम और पीएम से सहज संबंध होना जितिन के लिए लाभकारी साबित हुआ. हालांकि, माना जा रहा है कि योगी सरकार 2.0 में शामिल मंत्री एके शर्मा हो या फिर जितिन प्रसाद. इन दोनों मंत्रियों के विभागों को देते वक्त केंद्र की पसंद का ख्याल रखा गया है. इस तरह कई मिथक इस मंत्रिमंडल के विभाग बंटवारे से टूटने जा रहे हैं तो सियासी संदेश भी बीजेपी देती हुई नजर आ रही है. ऐसे में जितिन प्रसाद किस तरह अपने कामों से सभी संतुष्ट कर पाएंगे, इस पर सबकी नजर होगी. 

 

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