
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा. यूपी पुलिस के एनकाउंटर पॉलिसी पर सवाल उठाते हुए ओवैसी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुठभेड़ों के साथ नियम और नियत प्रक्रिया को बदल दिया है.
योगी सरकार पर आरोप लगाते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह केवल औपचारिकता नहीं है. यह अत्याचारी सरकार से हमारी रक्षा करने का बहुत बुनियादी आधार है. पुलिस के पास किसी को दंडित करने की शक्ति नहीं है. यूपी को छोड़कर, कहां बिना किसी सबूत के मुठभेड़ होती है.
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असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि कई उदाहरणों में एनकाउंटर पीड़ितों के परिवार भी पुलिस के डर से घटना को चुनौती देने से डरते हैं. कुछ उदाहरणों में यूपी पुलिस ने कथित तौर पर पीड़ितों के परिवारों के खिलाफ ही कार्रवाई की, जिसमें पीड़ितों के घरों को गिराने की कार्रवाई शामिल है.
यूपी पुलिस पर निशाना साधते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यूपी पुलिस ने दिखाया है कि कैसे वह सांप्रदायिक और जातिवादी संस्था बन गई है. हिंदुत्व के अपने वैचारिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए यूपी पुलिस, योगी सरकार के हाथों की कठपुतली बन गई है.
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दरअसल, एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2017 में प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी सरकार बनने के बाद अपराधियों की धड़पकड़ के लिए अभियान चलाया गया था. इस क्रम में प्रदेश में अब तक अपराधियों और पुलिस के बीच 6,200 से अधिक मुठभेड़ हो चुकी है जिनमें 14 हजार से अधिक अपराधी गिरफ्तार हुए हैं.
इन मुठभेड़ में अबतक 2,300 से अधिक अभियुक्त और 900 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. अपराधियों से मोर्चा लेते हुए 13 पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं जबकि अब तक 124 अपराधी पुलिस मुठभेड़ में मारे गए हैं. अगर जातिवार इन अपराधियों का ब्योरा देखा जाए तो 47 अल्पसंख्यक, 11 ब्राह्मण, 8 यादव और शेष 58 अपराधियों में ठाकुर, पिछड़ी और अनसूचित जाति/जनजाति के अपराधी शामिल हैं.