
जैसे जैसे मतदान का दिन नजदीक आ रहा है, गाज़ीपुर जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है. मंगलवार को निर्दलीय प्रत्याशी रेखा भट्ट ने अपना पर्चा वापस ले लिया है. इसके बाद अब भारतीय जनता पार्टी की सपना सिंह और समाजवादी पार्टी की कुसुम लता के बीच टक्कर होने वाली है.
इस बार लगभग डेढ़ दशक बाद जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट सामान्य महिला वाली घोषित हुई है, लेकिन इस सीट पर दो दशकों से जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज सपा इस बार भी पिछड़ी यदुवंशी समाज को ही प्रत्याशी बनाई है. कारण है कि 67 सदस्यों वाली जिला पंचायत कुर्सी के वोटों का गणित ही कुछ इस प्रकार का है. चर्चा है कि इस बार सपा इस सीट को बचा पाने में सफल हो पाती है कि नहीं.
जाहिर है इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर जबरदस्त सियासी उठा-पटक चल रही है. बीते 26 जून को गहमा-गहमी के बीच कलेक्ट्रेट में भाजपा से सपना सिंह, सपा से कुसुम लता और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में रेखा भट्ट ने नामांकन किया था. जांच में सभी के पर्चे सही पाए गए थे. इनमें से एक निर्दलीय उम्मीदवार रेखा भट्ट ने अपना पर्चा वापस ले लिया है, जिसका संकेत सपा जिलाध्यक्ष रामधारी यादव ने पहले ही दे दिया था.
नामांकन वाले दिन ही सपा जिलाध्यक्ष ने कहा था कि हमने कुसुमलता का एहतियातन तीन सेट में पर्चा भरवाया था और रेखा भट्ट भी एहतियातन ही पर्चा दाखिल की हैं, जो समय आने पर वापस ले लेंगी. अंत में दी ही लोग चुनाव लड़ेंगे और उन्होंने उस दिन 67 में 45 सदस्यों के समर्थन का दावा भी किया था. जबकि भाजपा की सपना सिंह भी 42 से 45 सदस्यों का दावा कर रही हैं.
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फिलहाल गाज़ीपुर में सपा की डमी कैंडिडेट यानी निर्दलीय प्रत्याशी की पर्चा वापसी के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है. अब भाजपा प्रत्याशी सपना सिंह और सपा प्रत्याशी कुसुम लता के बीच सीधी टक्कर होगी जिसका नतीजा 3 जुलाई को आएगा.
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हालांकि एक चीज दिलचस्प है कि धनबल और बाहुबल वाले इस चुनाव में कुल 67 सदस्य वोटिंग करेंगे और जादुई आंकड़ा 34 का है. दिलचस्प यह भी है कि दोनों प्रत्याशियों ने 42 से 45 सदस्यों के समर्थन का दावा किया है. ऐसा लगता है कि कई सदस्य दोनों प्रत्याशियों के सम्पर्क में हैं और सियासी तराजू में पलड़ा किसका भारी है, उसपर नज़र गड़ाए हुए हैं.