टनल में फंसे मजदूर सकुशल बताए जा रहे हैं. कंप्रेशर की मदद से उन तक खाना-पानी पहुंचाया जा रहा है. साथ ही टनल के भीतर ऑक्सीजन की सप्लाई भी की जा रही है. रेस्क्यू टीम कंक्रीट, गंदगी और मलबे के ढेर को साफ करने के लिए लगातार दो आरओसी मशीनों की मदद से भारी उत्खनन कर रही है.
टनल में जिन राज्यों के मजदूर फंसे हैं उनमें बिहार के 4, उत्तराखंड के 2, बंगाल के 3, यूपी के 8, उड़ीसा के 5, झारखंड के 15, असम के 2 और हिमाचल प्रदेश का एक श्रमिक शामिल हैं. सिलक्यारा कंट्रोल रूम के मुताबिक वॉकी-टॉकी के जरिए टनल में फंसे लोगों से संपर्क किया जा रहा है. अंदर सभी सकुशल हैं.
निर्माणाधीन टनल में हुए भूस्खलन के बाद फंसे मजदूरों को निकालने के लिए जारी रेस्क्यू ऑपरेशन का आज तीसरा दिन है. अब खुदाई के लिए ऑगर ड्रिलिंग मशीन बुलाई है, जो मलबे में 900 मिमी का स्टील पाइप लगाएगी. इस पाइप के जरिए फंसे हुए मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकलने के लिए रास्ता बनाया जाएगा. मौके पर 900 मिमी व्यास के पाइप पहुंच चुके हैं और ऑगर ड्रिलिंग मशीन के लिए प्लेटफार्म तैयार कर लिया गया है.
ऊपर से लगातार गिरने वाली ढीली मिट्टी रेस्क्यू ऑपरेशन में रुकावट पैदा कर रही है. इसके चलते पाइप डाला जा रहा है, ताकि मलबे को रोका जा सके और फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचा जा सके. मशीन खुदाई कर पाइप डालने का रास्ता बनाएगी. माना जा रहा है कि इसमें भी 24 घंटे से ज्यादा का समय लग सकता है.
सुरंग का दौरा करने वाले सचिव आपदा प्रबंधक रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि फंसे हुए मजदूरों को बुधवार तक रेस्क्यू किया जा सकता है. उन्होंने बताया, 'अब तक लगभग 15-20 मीटर मलबा हटा दिया गया है और प्रक्रिया जारी है. मलबे के ढेर में सुराग करके स्टील पाइप डालने का काम शुरू किया जा रहा है.
टनल के अंदर फंसे सुपरवाइजर गब्बर सिंह नेगी के बेटे आकाश ने बताया कि उसके पिता सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं. कंपनी ने आकाश से कहा है कि जल्द से जल्द उन्हें बाहर निकाल लिया जाएगा. आकाश ने बताया कि पाइप के जरिए उसकी पिता से बात हुई है. उन्होंने आकाश से कहा है कि वह बिल्कुल ठीक हैं. आकाश ने उम्मीद जताई है कि जल्द उसके पिता को बाहर निकाल लिया जाएगा.
टनल के अंदर फंसे श्रमिक अजीत के भाई ने बताया कि उनका भाई अंदर फंसा है. उन्हें अपने भाई के अंदर फंसने की बात मीडिया से पता चली. सूचना मिलते ही वह तुरंत परिवार के साथ किराए की कार के जरिए उत्तरकाशी पहुंच गए. कई बार मिन्नतें करने के बाद प्रशासन ने उनके भाई की बच्चों से बात कराई है. अंदर से अजीत ने कहा है कि वह सुरक्षित हैं.
हर मौसम के अनुकूल चार धाम सड़क परियोजना के तहत बन रही इस सुरंग के बनने से उत्तरकाशी से यमुनोत्री धाम तक का सफर 26 किलोमीटर कम हो जाएगा. यह टनल ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसकी लंबाई 4.5 किमी है. चार किलोमीटर सुरंग का निर्माण हो चुका है.
पहले इस टनल का कार्य सितंबर 2023 में पूरा होना था, लेकिन प्रोजेक्ट में देरी हो गई है. अब इसे मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. जानकारी के मुताबिक इस साल मार्च में भी इस निर्माणाधीन सुरंग में भूस्खलन की घटना हुई थी. यह सुरंग करीब 853 करोड़ की लागत से बन रही है.
टनल में फंसे श्रमिकों में से ज्यादातर के परिवार सुरंग के बाहर पहुंच गए हैं, वे अपने वहां बैठकर इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि कब उनका बेटा या भाई टनल से सकुशल बाहर निकलेगा. बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी यहां पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा ले चुके हैं.