
उत्तरकाशी में 10 दिन से सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए उत्तराखंड सरकार से लेकर सुरक्षा एजेंसियां दिन रात एक किए हैं. हालांकि, ऑपरेशन पूरा होने में अभी भी 30 से 40 घंटे का वक्त लग सकता है. टनल में 8 राज्यों के 41 मजदूर फंसे हैं. इस बीच, मजदूरों को खाने के लिए कुछ ना कुछ भेजा जा रहा है. मंगलवार को मजदूरों को रात के खाने में पाइप के जरिए शाकाहारी पुलाव, मटर-पनीर और मक्खन के साथ चपाती भेजी गईं.
बता दें कि उत्तर काशी के सिल्कयारा में सुरंग का निर्माण कार्य चल रहा था. 12 नवंबर को अचानक लैंड स्लाइड हुआ और मलबा ढहकर सुरंग में जाकर समां गया. इस घटना में 41 मजदूर सुरंग के अंदर फंस गए. तब से सरकार से लेकर सुरक्षा एजेंसियां राहत और बचाव कार्य में लगी हैं. दिल्ली से लेकर नॉर्वे तक के एक्सपर्ट की मदद ली रही है. सोमवार को पहली बार मजदूरों को खाना भेजा गया. इससे पहले ड्राई फ्रूट और अन्य सामान भेजा जा रहा है. मजदूरों को अंदर पर्याप्त हवा मिलती रहे, इसके लिए ऑक्सीजन की भी व्यवस्था की गई है. दवाएं और अन्य जरूरी चीजें भी अंदर भेजी जा रही हैं. मंगलवार को पहली बार एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरे में मजदूरों की तस्वीरें कैद हुईं और उनसे बातचीत भी की गई.
'हर घंटे भेजा जा रहा है खाना'
रसोइया संजीत राणा ने बताया कि डॉक्टर की देखरेख में कम तेल और मसालों के साथ भोजन तैयार किया जा रहा है. ताकि यह आसानी से पच सके. श्रमिकों को रात में खाने के 150 पैकेट भेजे गए. उन्होंने बताया कि दिन में फल भेजे गये थे. मजदूरों को हर एक घंटे में खाना दिया जा रहा है. सुबह फल भेजे गए थे, खिचड़ी, दलिया, साबूदाना, सोयाबीन बोतल में भरकर मजदूरों तक पहुंचाए जा रहे हैं. मजदूरों तक 6 इंच चौड़ी पाइप लाइन पहुंच गई है.
टनल में 8 राज्यों के 41 मजदूर फंसे
सिलक्यारा टनल में उत्तराखंड के 2, हिमाचल प्रदेश का 1, यूपी के 8, बिहार के 5, पश्चिम बंगाल के 3, असम के 2, झारखंड के 15 और ओडिशा के 5 मजदूर फंसे हैं. मजदूरों को सुरंग से सुरक्षित निकालने के लिए एक साथ कई प्लान पर काम चल रहा है. होरिजेंटल और वर्टिकल दोनों तरफ से खुदाई की जा रही है. सुरंग में जहां मजदूर फंसे हैं. वहां पहाड़ी में ऊपर से भी सुरंग तक पहुंचने की कवायद की जा रही है. तीन तरफ से ड्रिलिंग का प्लान है. सिलक्यारा और बड़कोट की ओर से ड्रिलिंग हो रही है. यानी हॉरिजेंटल और वर्टिकल दोनों तरफ से खुदाई का काम जारी है. 170 मीटर की पेरपेंडिकुलर हॉरिजेंटल ड्रिलिंग का भी प्लान है.
मजदूरों को निकालने का क्या है पूरा प्लान...
- पहाड़ के ऊपर से सीधी खुदाई कर प्लेटफॉर्म बनाने का काम आज पूरा हो जाएगा. 45 मीटर तक मशीनें पहुंच चुकीं हैं, लेकिन खुदाई 86 मीटर होनी है.
- सुरंग के बड़कोट मुहाने से रेस्क्यू टनल बनाई जा रही है, अगर रेस्क्यू के बाकी प्लान फेल हो गए तो इससे मजदूरों को निकाला जाएगा, ये टनल 8 मीटर से ज्यादा तक बन चुकी है.
- सुरंग के दोनों छोर के बीच में मजदूर फंसे हैं. इसीलिए सिलक्यारा और बड़कोट दोनों छोर से ड्रिलिंग की जा रही है.
- वायुसेना का एक C-17 और दो C-130 J विमान भी रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद कर रहे हैं. क्रिटिकल मशीनों को पहुंचाने का काम कर रहे हैं.
कहां फंसे हैं मजदूर...
- सिलक्यारा छोर से मजदूर अंदर गए थे. 2340 मीटर की सुरंग बन चुकी है. इसी हिस्से में 200 मीटर की दूरी पर मलबा गिरा है. मलबा करीब 60 मीटर लंबाई में है. यानी मजदूर 260 मीटर के ऊपर फंसे हैं. लेकिन मजदूरों के पास मूव करने के लिए दो किलोमीटर का इलाका है. 50 फीट चौड़ी रोड और दो किलोमीटर लंबाई में वो मूव कर सकते हैं.
- इसी 60 मीटर मलबे में से 24 मीटर से ज्यादा ड्रिलिंग हो चुकी है. यानी करीब 36 मीटर हिस्सा भेदना है, जहां दिक्कत आ रही है, क्योंकि कुछ चट्टानें भी गिरी हैं.
- बड़कोट के दूसरे छोर पर 1740 फीट सुरंग बन चुकी है. अब यहां से ड्रिलिंग शुरू हुई है. लेकिन यहां से 480 मीटर तक ड्रिलिंग करनी होगी, तब जाकर मजदूरों तक पहुंच पाएंगे.
- तीसरा सिरा ऊपर से पहाड़ को ड्रिल करके मजदूरों तक पहुंचना है. इसके दो प्वाइंट हैं. एक प्वाइंट पर ड्रिल करेंगे तो 86 मीटर खोदकर सुरंग तक पहुंच जाएंगे. दूसरा प्वॉइंट ऊंचाई पर है. यहां से ड्रिल करेंगे तो 325 मीटर ड्रिल करके ही सुरंग तक जा पाएंगे.
कितना मुश्किल है ऑपरेशन...
सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए अब तक सरकार थाईलैंड और नॉर्वे के एक्सपर्ट की मदद ले चुकी है. कई इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट भी मजदूरों को निकालने में अपना अनुभव साझा कर रहे हैं. लेकिन अभी भी रेस्क्यू टीम के सामने कई चुनौतियां पहाड़ की तरह खड़ी हैं. राहत कार्य में जुटीं एजेंसियाों का कहना है कि वो मलबा चीरकर मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालकर ही चैन की सांस लेंगी. दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने बताया कि NHIDCL ने सिल्कयारा छोर से हॉरिजेंटल बोरिंग ऑपरेशन फिर से शुरू कर दिया है जिसमें एक बरमा मशीन शामिल है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार दूसरे दिन मंगलवार को उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी से बात की. धामी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी श्रमिकों को सुरक्षित निकालना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. उन्होंने पूरे बचाव अभियान के बारे में जानकारी ली है और हरसंभव मदद का भरोसा दिया है.