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उत्तराखंड: हरिद्वार में दिखा ओवैसी का करिश्मा, जिला पंचायत चुनाव में AIMIM के दो प्रत्याशी जीते

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने उत्तराखंड में अपना करिश्मा दिखाना शुरू कर दिया है. हरिद्वार के जिला पंचायत चुनावों में उनकी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के दो प्रत्याशियों भारी मतों से जीत दर्ज की है. उनकी पार्टी ने कई राज्यों में अलग-अलग स्तर के चुनाव लड़े हैं और हाल में गुजरात विधानसभा चुनाव में भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं.

असदुद्दीन ओवैसी असदुद्दीन ओवैसी
चांदनी क़ुरैशी
  • नई दिल्ली,
  • 30 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:13 PM IST

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने अब उत्तराखंड में भी अपने पैर पसारने शुरु कर दिए हैं. हरिद्वार जिला पंचायत त्रिस्तरीय चुनाव में उनकी पार्टी के दो प्रत्याशियों ने भारी मतों से जीत दर्ज की है. उत्तराखण्ड एआईएमआईएम के अध्यक्ष नय्यर काज़मी के नेतृत्व में पार्टी ने राज्य में अपना खाता खोल दिया है. AIMIM की ये जीत सोशल मीडिया पर भी खूब ट्रेंड हो रही है.

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हरिद्वार जिला पंचायत चुनाव में AIMIM के दो प्रत्याशियों ने भारी मतों से बाजी मारी है. हरिद्वार के भगवानपुर चंदनपुर वार्ड नंबर 30 से प्रत्याशी मुंतजिर की ओर से श्रीमती कमलेश ने 4700 वोट और बोडड़ाहेडी पीटपुर वार्ड नंबर 7 से शाहबाज़ राणा की ओर से श्रीमती सरिता ने 2000 वोट से जीत हासिल की है.ये दोनों ही सीट रिजर्व कैटेगरी की थीं.

जानकारी के अनुसार AIMIM ने हरिद्वार जिला पंचायत चुनाव में अपने तीन कैंडिडेट उतारे थे जिनमें से दो प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है. लेकिन यह जीत AIMIM के पार्टी समर्पित सदस्यों मुंतजिर और शाहबाज राणा को ना मिलकर रिजर्व सीट होने के कारण श्रीमती कमलेश और श्रीमती सरिता को मिली है. भगवानपुर चंदनपुर प्रत्याशी श्रीमती कमलेश का चुनाव चिन्ह उगता सूरज था.

इस बारे में जब हमने उत्तराखंड AIMIM के अध्यक्ष नय्यर काज़मी से बात की, तो उन्होंने श्रीमती कमलेश को पार्टी का चुनाव चिन्ह नहीं देने की वजह बताई. उन्होंने कहा कि उनका चुनाव चिन्ह उगता सूरज है, जो किसी पार्टी का न होकर निर्दलीय है. पार्टी ने कोई सिंबल नहीं देने की वजह दोनों प्रत्याशियों का पार्टी का मुख्य प्रत्याशी ना होना है. हालांकि उनकी जीत पार्टी को समर्पित है. ये दोनों सीट रिजर्व होने के कारण AIMIM के मुस्लिम कैंडिडेट चुनाव नहीं लड़ सकते थे, इसलिए AIMIM के सदस्यों ने अपने कैंडिडेट चुनाव मैदान में उतारे और अपने चुनावी खर्चे पर दोनों प्रत्याशियों को चुनाव लड़वाया. इसीलिए यह जीत AIMIM के खाते में आई है.

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