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उत्तराखंड से कश्मीर तक बर्फ की मार, पर बद्रीनाथ के दर्शन में बढ़ा रोमांच

उत्तराखंड में चार धामों पर बर्फबारी ने जहां तीर्थयात्रियों को मंत्रमुग्ध कर रखा है वहीं स्थानीय लोगों के लिए मुसीबत बढ़ गई है. बद्रीनाथ के कपाट बंद होने में 5 दिन और बचे हैं, लेकिन बर्फबारी है कि प्रशासन का इम्तिहान लेने पर अड़ी है.

उत्तराखंड में बर्फबारी (फोटो-कमल नयन सिलोड़ी औली) उत्तराखंड में बर्फबारी (फोटो-कमल नयन सिलोड़ी औली)
वरुण शैलेश
  • नई दिल्ली,
  • 15 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 10:23 AM IST

देश को उत्तर से लेकर दक्षिण तक मौसम की मार झेलनी पड़ रही है. पहाड़ों में बर्फबारी और बारिश ने ठंड बढ़ा दी है तो दक्षिण भारत में आज आने वाले चक्रवाती तूफान गाजा की आहट से तमिलनाडु सहमा है. देश का जन्नत कहे जाने वाले कश्मीर के मौसम का हाल बुरा हो चुका है और पारा लुढ़कता जा रहा है.

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जम्मू-कश्मीर सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में हुई भारी बर्फबारी को 'विशेष प्राकृतिक आपदा' घोषित कर दिया है ताकि इस अप्रत्याशित घटना से प्रभावित किसानों को राहत और सहायता मिल सके. मुख्य सचिव बी वी आर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में राज्य आपदा मोचन कोष की कार्यकारी समिति की बैठक में 3-4 नवंबर को हुई भारी बर्फबारी से कश्मीर संभाग में हुए नुकसान की समीक्षा की गई.

उत्तराखंड में चार धामों पर बर्फबारी ने जहां तीर्थयात्रियों को मंत्रमुग्ध कर रखा है, वहीं स्थानीय लोगों के लिए मुसीबत बढ़ गई है. बद्रीनाथ के कपाट बंद होने में 5 दिन और बचे हैं, लेकिन बर्फबारी है कि प्रशासन का इम्तिहान लेने पर अड़ी है.

प्रसिद्ध स्की रिसॉर्ट औली में जमकर एक बार फिर हुई बर्फबारी हुई है. 2 से 4 इंच तक जमी बर्फ की वजह से समूचे चमोली जिले में बर्फीली हवाओं का सितम जारी है. कुछ दिनों से लगातार ऊंचाई वाली जगहों पर बर्फबारी से दिन प्रतिदिन ठंड में इजाफा हो रहा है. पिछले दो दिनों से गंगोत्री और यमुनोत्री में हो रही बर्फबारी ने उत्तरकाशी में शीतलहर का जो प्रकोप बढ़ाया तो लोग घरों में दुबके रहकर ही वक्त काटने को मजबूर हो गए.

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मुखबा, खरसाली, हर्षिल, सुक्की टॉप, हरकीदून, केदारकांठा, भैरवघाटी समेत कई ऊंचाई वाले इलाकों में जमकर बर्फ गिरी. ठिठुरन के साथ ही पर्यटन ने भी इलाके में जोर पकड़ लिया है. उम्मीद की जा रही है कि नया साल मनाने के लिए सैलानी उत्तरकाशी का बड़ी तादाद में रुख कर सकते हैं. उधर बद्रीनाथ में भी बर्फबारी जारी है, लेकिन तीर्थयात्रियों का आना भी जारी. कहा जा रहा है कि धाम के कपाट खुले होने के दौरान ऐसी बर्फबारी एक दशक में कभी नहीं देखी गई.

जाहिर है ऐसी बर्फबारी में बाबा के दर्शन हो जाएं तो खुद को कौन भाग्यशाली नहीं मानेगा. 20 नवंबर को भगवान बद्रीनाथ के कपाट बंद होने हैं. ऐसे में बचे हुए पांच दिनों भी ज्यादा से ज्यादा दर्शन दर्शनों का लाभ ले लेना चाहते हैं. बदले मौसम ने श्रद्धालुओं के इस अनुभव को और दिव्य बना दिया है.

क्या मंदिर, क्या मकान, क्या गाड़ी , क्या रास्ते सब कुछ बर्फ की मोटी चादर में छिप गए हैं. समूची घाटी में बर्फीली हवाओं के सितम ने लोगों को अलाव की शरण लेने को मजबूर कर दिया है. पूरी बद्रीपुरी बर्फीली ठंड को झेल रही है. तापमान की बात करें तो यहां पर पारा सवेरे के वक्त माइनस 2 डिग्री से लेकर 5 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़का रहता है. बर्फबारी भले ही यहां आने वालों के लिए नजारे को खूबसूरत बनाती हो पर स्थानीय निवासियों के लिए परेशानियां लेकर आई है.

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