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भारी बर्फबारी के बीच खुले बद्रीनाथ धाम के कपाट, जयकारों के बीच नाचने लगे श्रद्धालु

बद्रीनाथ धाम के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए गए हैं. इसी के साथ ही उत्तराखंड में चार धाम की यात्रा शुरू हो गई है. वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यहां पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना हुई. भारी बर्फबारी के बीच श्रद्धालुओं का उत्साह देखने लायक था और कपाट खुलते ही वह झूमने लगे.

बद्रीनाथ मंदिर को 15 टन फूलों से सजाया गया है बद्रीनाथ मंदिर को 15 टन फूलों से सजाया गया है
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 10:40 AM IST

केदारनाथ के बाद अब भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट भी यात्रियों के लिए खुल गए हैं. कपाट खुलने से पहले ही बद्रीनाथ में भारी बर्फबारी हो रही है, लेकिन इसके बावजूद भी श्रद्धालु वहां जयकारे लगाने के साथ झूमते हुए नजर आए. हर साल की तरह इस साल भी पहली पूजा और आरती देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से हुई. आईटीबीपी के बैंड के अलावा गढ़वाल स्काउट्स भी इस मौके पर प्रस्तुति दी. कपाट खुलने से पहले शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद मंदिर पहुंच गए थे. मंदिर को 15 टन से अधिक फूलों से सजाया गया है. 

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धार्मिक मान्यता

12 महीने भगवान विष्णु जहां विराजमान होते हैं, उस सृष्टि के आठवें बैकुंठ धाम को बद्रीनाथ के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि भगवान विष्णु यहां 6 महीने विश्राम करते हैं और 6 महीने भक्तों को दर्शन देते हैं. वहीं दूसरी मान्यता यह भी है कि साल के 6 महीने मनुष्य भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तो बाकी के 6 महीने यहां देवता भगवान विष्णु की पूजा करते हैं जिसमें मुख्य पुजारी खुद देवर्षि नारद होते हैं. 

चारधाम यात्रा का होगा आगाज

बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड में चार धाम की यात्रा शुरू हो गई है. इस दिन का चयन टिहरी नरेश करते हैं जो कि एक पुरानी परंपरा रही है. पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल बताते हैं कि जिस तारीख से वैशाख शुरू हो वही तिथि से बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले जाते हैं और परंपरा के अनुसार नरेंद्र नगर के टिहरी नरेश की तारीख तय करते हैं. परंपराओं के अनुसार यहां 6 महीने मनुष्य और 6 महीने देवता भगवान विष्णु की आराधना करते हैं.

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तैयारियां जोरों पर

बद्रीनाथ धाम के अंदर भी जगह-जगह निर्माण कार्य और तैयारियां जोरों शोरों पर हैं. संत महात्माओं की टोली बद्रीनाथ पहुंच गई है तो श्रद्धालु भी धाम में पहुंच चुके हैं. सडकें पहले के मुकाबले ज्यादा चौड़ी हो चुकी हैं. गोविंदघाट से रास्ता बद्रीनाथ और सिखों के पवित्र धर्मस्थल हेमकुंड साहिब के लिए अलग होता है. बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन यानी सीमा सड़क संगठन की ओर से पीपीपी की तर्ज पर एक रेस्टोरेंट भी बनाया जा रहा है. अगले 2 दिनों में यह रेस्टोरेंट्स है तैयार हो जाएगा और बद्रीनाथ की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर क्वालिटी का खाना मिलेगा.

 

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