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उत्तराखंडः बद्रीनाथ समेत 51 मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त किए जाएंगे- CM तीरथ सिंह रावत

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा है कि देवस्थानम बोर्ड में शामिल किए गए बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री सहित 51 मंदिरों को बोर्ड के नियंत्रण से मुक्त किया जाएगा. देवस्थानम बोर्ड के बारे में सरकार गंभीरता से विचार करेगी.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (फाइल-ट्विटर) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (फाइल-ट्विटर)
मुदित अग्रवाल
  • हरिद्वार,
  • 09 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 10:18 PM IST
  • 'जल्दी ही चार धामों के तीर्थ पुरोहितों की बैठक बुलाएंगे'
  • सरकार किसी का अधिकार छिनने नहीं देगीः तीरथ सिंह
  • त्रिवेंद्र रावत सरकार ने बनाया था चारधाम देवस्थानम बोर्ड

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा है कि देवस्थानम बोर्ड में शामिल किए गए बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री सहित 51 मंदिरों को बोर्ड के नियंत्रण से मुक्त किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि देवस्थानम बोर्ड के बारे में पुनर्विचार किया जाएगा. इस बारे में उनकी सरकार गंभीरता से विचार करेगी और जल्दी ही चार धामों के तीर्थ पुरोहितों की बैठक बुलाएंगे.

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मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि उनकी सरकार किसी के भी अधिकार को छिनने नहीं देगी. मुख्यमंत्री ने विश्व हिंदू मार्गदर्शक मंडल के साथ मीटिंग के बाद ये बयान दिया.

हाल ही में पद संभालने वाले रावत ने कहा कि चार धामों के बारे में शंकराचार्यों द्वारा की गई जो व्यवस्था प्राचीन काल से चली आ रही है, उसका पूरी तरह पालन किया जाएगा. उसमें कोई छेड़छाड़ नहीं होगी और न ही किसी के अधिकारों में कटौती होगी. मुख्यमंत्री ने कहा, 'इस संबंध में जो भी मेरे हाथ में होगा, वह मैं करूंगा. संतों को निराश नहीं होने दूंगा.'

त्रिवेंद्र रावत सरकार ने बनाया था बोर्ड
गौरतलब है कि दिसंबर 2019 में उत्तराखंड की त्रिवेंद्र रावत सरकार ने बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री समेत प्रदेश के 51 मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के लिए एक एक्ट के जरिए चारधाम देवस्थानम बोर्ड बनाया. इस एक्ट को मंजूरी मिलने से पहले से ही मंदिरों के पुरोहितों ने इस बोर्ड और मंदिरों के सरकारीकरण का विरोध शुरू कर दिया था. तब से लगातार इसका विरोध हो रहा था.

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उत्तराखंड सरकार के इस कदम को हिन्दुओं की आस्था में दखल करार देते हुए संत समाज ने भी पुरोहितों का साथ देने का एलान किया था. पुरोहितों और संत समाज की मांग थी कि सरकार 51 मंदिरों के अधि‍ग्रहण के फैसले को वापस ले. विश्व हिंदू परिषद ने भी संत समाज का साथ देते हुए सरकार के इस फैसले का विरोध करने का ऐलान किया था.

राज्य सरकार के इस फैसले के खि‍लाफ पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में अपील भी की थी, ले‍किन कोर्ट ने जुलाई 2020 में स्वामी की याचिका को खारिज कर दिया था. स्वामी ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जहां उनकी याचिका लंबित है. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में चार और याचिकाएं लंबित हैं.

इसके पहले 5 अप्रैल को आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत हरिद्वार पहुंचे थे तो देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रहे संत समाज के लोगों ने उनसे भी मुलाकात की थी और अपनी समस्या बताई थी. भागवत ने संतों को आश्वासन दिया कि जल्द ही इस बारे में सकारात्मक निर्णय लेंगे.

अखाड़ों को अभी से दी जाएगी जमीन
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि महाकुंभ के लिए जमीन चिन्हित करके अखाड़ों को आवंटित कर दी जाएगी ताकि साधु संतों को दिक्कत ना हो. दरअसल, कोरोना के चलते सभी अखाड़ों और साधु-संतों को जमीन आवंटित नहीं हो पाई थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि संतों की भावनाओं का पूरा सम्मान किया जाएगा.

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उन्होंने कहा कि मेले में संतों को कोई भी असुविधा नहीं होने दी जाएगी. हरिद्वार कुंभ दिव्य और भव्य होगा. किसी को भी गंगा स्नान करने में रोक-टोक नहीं की जाएगी. उन्होंने साधु-संत और श्रद्धालुओं से अपील की कि वे केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा जारी कोविड-19 गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन करें, मास्क लगाएं, सैनिटाइजर का प्रयोग करें, साबुन से बार-बार हाथ धोएं और सामाजिक दूरी बनाए रखे.

उन्होंने कहा कि हम स्वयं स्वस्थ रहें और दूसरों को भी स्वस्थ रखें ताकि पूरा समाज और पूरा देश स्वस्थ रहे.


 

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