
जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाओं के चलते अब तक 723 घरों में दरारें पड़ चुकी हैं. जो घर रेड जोन में हैं, प्रशासन उनकी मार्किंग कर उन्हें जल्द ही ढहा देगा. आज दो होटलों माउंट व्यू और मल्हारी इन से ध्वस्तीकरण की शुरुआत होगी. ऐसा कहा जा रहा था कि इन इमारतों को गिराने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया जाएगा लेकिन प्रशासन ने इससे साफ इनकार कर दिया है.
कहा गया है कि ध्वस्तीकरण के लिए बुलडोजर जैसी किसी भी हैवी मशीन का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, जिससे जमीन के हिलने या झटके आने का खतरा हो. इमारतों-घरों को तोड़ने के लिए हथौड़े, ड्रिलर्स और अन्य समान उपकरणों का इस्तेमाल किया जाएगा. उत्तराखंड के DGP अशोक कुमार ने कहा कि जो भी मकान खतरे में हैं, उन्हें गिराया जा रहा है. जोशीमठ ही नहीं कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, नैनीताल, चमोली, उत्तरकाशी भी घरों, जमीन में दरारों आने लगी हैं.
प्रभावित परिवारों को 1.30 लाख मुआवजा!
जानकारी के मुताबिक सुरक्षा को देखते हुए जोशीमठ से 131 परिवारों को अस्थायी रूप से विस्थापित किया जा चुका है. इनमें 10 ऐसे परिवार हैं, जिनके आशियाने पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं. ऐसा दावा किया जा रहा है कि प्रशासन ने उन्हें महज 1.30 लाख की धनराशि दी है. वहीं उचित मुआवजा ने मिलने के कारण लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया है. इसके अलावा कुल 70 अनाज की किट, 70 कम्बल और 570 लीटर दूध प्रभावितों को बांटे गए हैं. कुल 80 प्रभावित व्यक्तियों की सेहत की जांच हो चुकी है.
प्रशासन के लिए मुसीबत बन सकता है मौसम
जानकारी के मुतबिक जोशीमठ में बुधवार को मौसम खराब हो गया. यहां आसमान में घने बादल छाए हुए हैं. वहीं ऊपरी इलाकों में बर्फबारी शुरू हो गई है. लोगों को डर है कि अगर जोशीमठ के प्रभावित इलाके में बर्फबारी या बारिश होती है, तो नमी आने से दरारें और बढ़ेंगी, जिससे हादसे की आशंका बढ़ सकती है. मौसम विभाग के मुताबिक, जोशीमठ और गढ़वाल समेत कई इलाकों में 11 से 14 जनवरी तक बारिश का अनुमान है.
हर परिवार को मिलेगा 4 हजार किराया
सीएम की बैठक के बाद जोशीमठ क्षेत्र के प्रभावितों के लिए जिला प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है. मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रशासन ने 6 महीने तक प्रभावित परिवारों को किराया देने का ऐलान किया है. अधिकारियों के मुताबिक जिन लोगों के घर खतरे की जद में हैं या रहने योग्य नहीं है, उन्हें अगले 6 महीने तक किराए के मकान में रहने के लिए ₹4000 प्रति परिवार सहायता दी जाएगी. यह सहायता मुख्यमंत्री राहत कोष से प्रदान की जाएगी.
पिछले साल विशेषज्ञों ने दी थी चेतावनी
विशेषज्ञों ने 16 से 20 अगस्त 2022 के बीच जोशीमठ का दौरा कर पहली रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि इस इलाके में सुरक्षा कार्य करने के लिए बड़े पैमाने पर लोगों को दूसरी जगह विस्थापित करना होगा.
वहीं 1976 में गढ़वाल कमिश्नर मुकेश मिश्रा की अध्यक्षता में सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी गई थी, जिसमें साफ कहा गया था कि जोशीमठ रेतीली मिट्टी और ग्लेशियर के साथ बहकर आई मिट्टी पर बसा हुआ है. अब इसकी नींव या जड़ को छेड़ा गया तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.
इसके अलावा रिपोर्ट में खनन या ब्लास्ट पर रोक लगाने और अलकनंदा नदी के किनारे सुरक्षा वॉल बनाने का भी सुझाव दिया गया था लेकिन इस रिपोर्ट को नजरअंदाज कर दिया गया था.
अभी निर्माण कार्यों पर लगी है रोक
जोशीमठ में भू-धंसाव को घटनाओं के कारण एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट के टनल के अंदर का काम रोक दिया गया है. प्रशासन ने बीआरओ के अन्तर्गत निर्मित हेलंग बाईपास निर्माण कार्य, एनटीपीसी के तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना के अन्तर्गत निर्माण कार्य एवं नगरपालिका क्षेत्रान्तर्गत निर्माण कार्यों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. साथ ही जोशीमठ-औली रोपवे का संचालन भी अगले आदेश तक रोक दिया गया है.
हालांकि NTPC का कहना है कि वह जोशीमठ शहर के नीचे सुरंग का निर्माण नहीं कर रहा है. सुरंग का निर्माण टनल बोरिंग मशीन से किया जा रहा है. मौजूदा समय में कोई भी ब्लास्टिंग का काम नहीं किया जा रहा है. सुरंग की वजह से जोशीमठ की जमीन नहीं धंस रही है.