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चमोली हादसाः ऋषि गंगा में बनी झील, क्या फिर से बजने वाली है खतरे की घंटी?

हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड के चमोली में इस आपदा को लेकर तरह-तरह की चर्चा थी लेकिन वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह घटना रॉक मार्क्स टूटने से हुआ.

चमोली हादसे के बाद बनी झील (फोटोः पीटीआई) चमोली हादसे के बाद बनी झील (फोटोः पीटीआई)
दिलीप सिंह राठौड़
  • देहरादून,
  • 12 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 7:45 PM IST
  • रॉक मार्क्स टूटने से हुआ हादसा
  • वैज्ञानिकों ने एकत्रित किए मलबे

उत्तराखंड के चमोली में भीषण त्रासदी के बाद ऋषि गंगा में बड़ी झील बन गई है. इस त्रासदी के बाद वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ जूलॉजिकल के वैज्ञानिकों ने जिस जगह ग्लेशियर टूटने की घटना हुई थी, उस जगह का हवाई सर्वेक्षण किया. वैज्ञानिकों के दल ने इस भीषण आपदा में आए मलबे और पत्थरों के कण एकत्रित कर जांच के लिए भेजे हैं. वैज्ञानिकों ने नीति घाटी के रेणी के ऊपर वाले इलाके का निरीक्षण किया और सैलाब में आए पत्थर, मलबे के कण एकत्रित किए. इन नमूनों की जांच इंस्टीट्यूट की लैब में की जाएगी.

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हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड के चमोली में इस आपदा को लेकर तरह-तरह की चर्चा थी लेकिन वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह घटना रॉक मार्क्स टूटने से हुआ. रॉक मार्क्स टूटने का मतलब है कि किसी चट्टान में पहले से दरार हो और वह अचानक खिसक जाए या टूट जाए. वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने कहा है कि इसके ऊपर ग्लेशियर प्वाइंट में जो झील बनी है, वह और ग्लेशियर एकदम से टूट कर नीचे आ गया जिसकी वजह से तबाही मची. इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक डॉक्टर मनीष मेहता ने कहा कि नमूनों की जांच के बाद ही लैंडस्लाइड, ग्लेशियर का टूटना और उसकी तीव्रता का पता चल पाएगा.

कैसे हुआ हादसा

वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉक्टर कालाचंद साईं ने हादसे कैसे हुआ, यह बताया. उन्होंने कहा कि 5600 मीटर से एक आइस रॉक नीचे आया. उसने एक टेम्परेरी पॉन्ड बनाया. इसके बाद वे 3000 मीटर से सीधा नीचे बाकी मलबे के साथ नीचे आया और उसने ये तबाही मचाई. डॉक्टर साईं ने कहा कि 5600 मीटर से नीचे जब रॉक मार्क्स आया तो उसकी वजह से नदी के 3000 मीटर ऊपर एक टेम्परेरी पॉन्ड बना. उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में ऐसी 10 हजार से अधिक झील हैं जो भविष्य में बड़ी तबाही का कारण बन सकती हैं.

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फिर मंडराने लगा खतरा

चमोली हादसे के बाद ऐसा ही खतरा फिर से मंडराने लगा है. इस खतरे की वजह है ऋषि गंगा में बनी बड़ी झील. जलवायु परिवर्तन के हिमालयी भू आकृतियों पर प्रभाव का अध्ययन कर रहे गढ़वाल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है. भूगर्भ विज्ञान के प्रोफेसर यशपाल सुंद्रियाल ने प्रोजेक्ट में अपने साथी डॉक्टर नरेश राणा की ओर से संबंधित क्षेत्र के अध्ययन के बाद कहा कि हकीकत ये है कि ऋषि गंगा की सहायक नदी रौंतीगाड़ के कारण रैणी और तपोवन क्षेत्र में तबाही हुई है. उन्होंने कहा कि रौंती गंगा ने ऋषि गंगा के मुहाने को बंद कर वहां लंबी झील बना दी है. यदि यह झील टूटी तो पहले से भी ज्यादा तबाही ला सकती है.

 

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